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अमेरिका में Abortion पर ऐतिहासिक Roe v Wade फैसला क्या था,जिसे SC ने रद्द किया?

Roe v Wade Ruling Explained: 1973 में आए इस फैसले ने Abortion पर महिला अधिकारों को कैसे मजबूत किया था?

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अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड मामले (Roe v Wade overturned) के ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है. इससे अमेरिका में गर्भपात का अधिकार अब संवैधानिक अधिकार नहीं रह गया है और कई राज्यों का कानून इसे अब पूरी तरह से बैन कर देगा. यहां समझते हैं कि आज से लगभग 50 साल पहले आए Roe v Wade मामले के फैसले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था और इसने कैसे अमेरिका में महिला अधिकारों को मजबूत किया था.

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Roe v Wade फैसले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

साल 1969 में अमेरिका के अंदर 25 साल की एक महिला, Norma McCorvey ने छद्म नाम "जेन रो" से अमेरिकी राज्य टेक्सास में गर्भपात को आपराधिक बनाने वाले कानूनों को चुनौती दी थी. इस अमेरिकी राज्य ने तब कानून बनाकर गर्भपात को असंवैधानिक करार दिया था. सिर्फ उन मामलों में गर्भपात का अधिकार था जहां मां की जान को खतरा था.

इस मामले में Dallas County के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हेनरी वेड (Henry Wade) गर्भपात विरोधी कानून का बचाव कर रहे थे. इसीलिए इस केस का नाम रो बनाम वेड (Roe v Wade) पड़ा.

दरअसल Norma McCorvey ने जब यह केस दायर किया था, वो अपने तीसरे बच्चे के साथ गर्भवती थीं. Norma McCorvey का कहना था कि उनका बलात्कार किया गया था और वो बच्चे का गर्भपात करना चाहती हैं. लेकिन उनका मामला खारिज कर दिया गया और उन्हें बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया गया.

1973 में Norma McCorvey की अपील अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में पहुंची, जहां उनके मामले की सुनवाई जॉर्जिया की 20 साल की महिला सैंड्रा बेंसिंग के साथ हुई. अपनी याचिकाओं में उन्होंने तर्क दिया कि अमेरिकी राज्य टेक्सास और जॉर्जिया में गर्भपात कानून अमेरिकी संविधान के खिलाफ हैं क्योंकि वे एक महिला के निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 7:2 की सहमति से फैसला सुनाया कि राज्य सरकारों के पास गर्भपात को बैन करने की शक्ति नहीं है. उन्होंने फैसला दिया कि एक महिला को अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने का अधिकार अमेरिकी संविधान द्वारा संरक्षित है यानी गर्भपात एक संवैधानिक अधिकार है.

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Roe v Wade फैसले ने गर्भपात पर महिला अधिकारों को कैसे मजबूत किया था?

इसको समझने के लिए सबसे पहले आपको प्रेगनेंसी से जुड़े ट्राइमेस्टर/तिमाही सिस्टम को समझना होगा. दरअसल गर्भावस्था/प्रेगनेंसी को तीन ट्राइमेस्टर में बांटा जाता है:

  • प्रेगनेंसी के सप्ताह 1 से सप्ताह 12 के बीच के समय को पहला ट्राइमेस्टर कहते हैं.

  • प्रेगनेंसी के सप्ताह 13 से सप्ताह 26 के बीच के समय को दूसरा ट्राइमेस्टर कहते हैं.

  • प्रेगनेंसी के सप्ताह 27 से बच्चे के जन्म लेने तक के समय को ट्राइमेस्टर कहते हैं.

Roe v Wade केस में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनों (पहले ट्राइमेस्टर) में गर्भपात का पूरा अधिकार दे दिया. इस फैसले ने दूसरे ट्राइमेस्टर में कुछ नियमों/रेगुलेशन के साथ गर्भपात का विकल्प दिया जबकि यह अंतिम ट्राइमेस्टर में गर्भपात पर रोक या बैन लगाने के लिए कहता है क्योंकि प्रेगनेंसी की इस अवस्था में भ्रूण मां के गर्भ के बाहर रह सकता है.

Roe v Wade ने यह भी स्थापित किया कि अंतिम ट्राइमेस्टर (27वें सप्ताह के बाद) में एक महिला के पास किसी भी कानूनी प्रतिबंध के बावजूद उस स्थिति में गर्भपात का अधिकार होगा, जब कोई डॉक्टर प्रमाणित करे कि यह महिला के जीवन या स्वास्थ्य को बचाने के लिए आवश्यक है.

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