अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को खत्म कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के रो वी वेड (Roe v. Wade) के उस ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया, जिसने एक महिला के गर्भपात के अधिकार को सुनिश्चित किया था और कहा था कि अलग-अलग राज्य प्रक्रिया को स्वयं अनुमति या प्रतिबंधित कर सकते हैं. इस फैसले के बाद अब अमेरिका में महिलाओं के गर्भपात का कानूनी अधिकार खत्म हो गया है.
क्या था रो वी वेड फैसला जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पलटा?
'रो वी वेड' मामले को कभी-कभी "रो" भी कह दिया जाता है. ये एक 22 साल की महिला नोर्मा मैककोर्वे का कानूनी नाम था, जिसने 1973 में सुप्रीम कोर्ट में यचिका लगाई थी. 'वेड' उस समय डलास काउंटी (टेक्सास) के जिला अटॉर्नी हेनरी वेड थे. इन्ही दोनों के नामों के चलते इस केस को 'रो वी वेड' केस कहा जाता है.
इस फैसले में कई राज्यों में गर्भपात को अवैध बनाने वाले कानूनों को रद्द कर दिया गया था और फैसला सुनाया कि गर्भपात को भ्रूण व्यवहार्यता (Foetal Viability) के हिसाब से अनुमति दी जाएगी.
कोर्ट का फैसला विस्तार से तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन मसौदे में राय लिखने वाले जज सैमुअल अलिटो ने 'रो' के फैसले को शुरू से ही गलत बताकर खारिज कर दिया था और माना था कि दोनों 'रो' और 'केसी' मामले में अदालत का गर्भपात को लेकर दिया गया फैसला निरस्त होना चाहिए.
क्यों अहम है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
गर्भपात दशकों से अमेरिका में रूढ़िवादियों और उदारवादियों में बहस का मुद्दा रहा है. कुछ साल पहले तक, 'रो वी. वेड' फैसले की चुनौती सफल होने की संभावना नहीं थी, लेकिन ऐसा माना जाता है कि डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान रूढ़िवादी जस्टिस गोरसच, कवानुघ और बैरेट की नियुक्तियों के बाद सुप्रीम कोर्ट के चरित्र में बदलाव आया. इस फैसले के बाद अमेरिकी समाज में भयानक बदलावों और प्रतिक्रियाओं की आशंका है.
अब अमेरिका में क्या होगा?
चूंकि अमेरिका में गर्भपात के अधिकार की रक्षा करने वाला कोई संघीय कानून नहीं है, इसलिए अब ये कानून पूरी तरह से राज्यों पर निर्भर करता है. रूढ़िवादी राज्य उन प्रतिबंधात्मक कानूनों को वापस ला सकते हैं, जो 1973 से पहले गर्भपात को प्रतिबंधित करते थे.
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