संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख विशेषज्ञों ने हाल ही में ईरान (Iran)से उसके द्वारा लागू “एंटी-अबॉर्शन” कानून (Anti-Abortion Law) को निरस्त करने का आह्वान किया है, जिसके बारे में उनका कहना है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मिले महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है.
मंगलवार, 16 नवंबर को ईरान में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष दूत जावेद रहमान के नेतृत्व में मानवाधिकारों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर UN के नौ विशेषज्ञों ने कहा कि नया कानून "अंतर्राष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन" है.
बयान में विशेषज्ञों ने कहा कि अस्पष्ट रूप से तैयार किए गए इस कानून का मतलब यह हो सकता है कि गर्भपात, अगर बड़े पैमाने पर किया जाता है, तो यह ऐसे अपराध के अंतर्गत आएगा जिसमें मौत की सजा दी जाती है.
आइये नजर डालते हैं ईरान समेत दुनिया के देशों में गर्भपात पर मौजूदा कानून पर.
ईरान
अपनी उम्रदराज आबादी के कारण संकट का सामना कर रहे ईरान ने हाई चाइल्डबर्थ को प्रोत्साहित करने के प्रयास में 15 नवंबर को “युवा जनसंख्या और परिवार की सुरक्षा कानून” लागू किया.
इस कानून को एक अस्थायी संसदीय समिति की मदद से फास्टट्रैक किया गया था और इसपर सार्वजनिक संसदीय वोट नहीं डाला गया. मुहर लगने के बाद इसे अब सात साल के लिए "प्रयोगात्मक रूप से" लागू किया जा सकता है और आगे इसे बढ़ाया जा सकता है.
यह सुरक्षित गर्भपात के लिए पहले से ही प्रतिबंधित पहुंच पर और मुश्किल पेश करता है. इसमें कहा गया है कि न्यायपालिका के प्रतिनिधियों, इस्लामी न्यायविदों, सांसदों और डॉक्टरों की एक समिति चिकित्सीय गर्भपात पर अंतिम निर्णय लेनी. यह समिति केवल महिला के जीवन पर खतरा होने या भ्रूण संबंधी विसंगतियों के मामले पर विचार करेगी.
यह गर्भ निरोधकों के मुफ्त वितरण पर प्रतिबंध लगाता है और राज्य टेलीविजन पर ऐसे कार्यक्रमों के निर्माण की मांग करता है जो बच्चे पैदा करने को प्रोत्साहित करें और सिंगल रहने के निर्णयों को हतोत्साहित करते हैं.
भारत
भारत सरकार ने गर्भपात पर 13 अक्टूबर 2021 को नए नियमों को अधिसूचित किया है, जिसके तहत कुछ स्थिति में महिलाओं के लिए गर्भपात की सीमा को 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई है.
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) नियम, 2021 के अनुसार यौन उत्पीड़न या बलात्कार सर्वाइवर, नाबालिग, ऐसी महिलाएं जिनकी वैवाहिक स्थिति गर्भावस्था के दौरान बदल जाए (विधवा और तलाक) या जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं- वो गर्भधारण के 24 सप्ताह तक गर्भपात करा सकती हैं.
नए नियमों के अनुसार भ्रूण की विकृति के मामलों में 24 सप्ताह के बाद गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है या नहीं, यह तय करने के लिए एक राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा.
नए नियम मार्च में संसद द्वारा पारित मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) एक्ट, 2021 के तहत आते हैं. इससे पहले, गर्भपात के लिए एक डॉक्टर की सहमति की आवश्यकता होती थी अगर यह गर्भधारण के 12 सप्ताह के भीतर किया जाता था और यदि यह 12 से 20 सप्ताह के बीच किया जाता था तो दो डॉक्टरों की सहमति की आवश्यकता होती थी.
अमेरिका
अमेरिका में हर राज्य का गर्भपात पर अपना कानून है, लेकिन हाल ही में टेक्सास राज्य में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून पर खूब विवाद हुआ. सितंबर 2021 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह के बाद टेक्सास राज्य में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य के एक कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
टेक्सास में महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और देश भर में उनके सहयोगियों ने गर्भपात पर लगभग पूर्ण प्रतिबंध के करीब इस कदम की निंदा की, क्योंकि कई महिलाओं को छह सप्ताह में यह भी नहीं पता होता कि वे गर्भवती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राष्ट्रीय स्तर पर गर्भपात के अधिकारों पर एक गलत उदाहरण स्थापित हो सकता है, क्योंकि टेक्सास में पास यह कानून में अमेरिका भर में गर्भपात के अधिकार की गारंटी देने वाले “Roe vs. Wade” केस के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ है.
जापान
जापान में प्रेग्नेंसी के 21 सप्ताह और 6 दिनों तक गर्भपात कानूनी है. हालांकि जापान और बाकी दुनिया के गर्भपात कानूनों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि गर्भपात कराने से पहले जापान में बच्चे के पिता की सहमति आवश्यकता होती है.
जापान दुनिया के उन 11 देशों में से एक है, जिसमें महिलाओं को गर्भपात के लिए पति की सहमति की आवश्यकता होती है और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस आवश्यकता को समाप्त करने के लिए देश पर जोर दे रहे हैं.
रूस
रूस में गर्भपात की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस की जनसंख्या में गिरावट को रोकने के प्रयास में गर्भपात की उच्च दर को रोकने का प्रयास कर रहे हैं.
खास बात है कि रूस वर्तमान में देश के मेडिकल इंश्योरेंस प्रोग्राम के तहत गर्भपात के लिए भुगतान करता है. राष्ट्रपति पुतिन की सरकार- देश के रूढ़िवादी चर्च नेताओं के साथ-साथ इस फंडिंग को उन महिलाओं के लिए मोड़ने का प्रयास कर रही है, जो गर्भावस्था को जारी रखने का विकल्प चुनती हैं.
चीन
हाल ही में चीन की सरकार ने घोषणा की कि वह "गैर-चिकित्सकीय रूप से आवश्यक उद्देश्यों" के लिए किए गए गर्भपात की संख्या को कम करेगी. स्टेट काउंसिल ने कहा कि नए गाइडलाइन्स का उद्देश्य गर्भावस्था से पहले की स्वास्थ्य सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच में सुधार करना है.
जनसंख्या वृद्धि को सीमित करने के सालों की कोशिश के बाद, बीजिंग अब परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नई पॉलिसी रहा है. चीन ने जून 2021 में कहा था कि वह अब सभी कपल्स को दो के बजाय तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देगा.
दक्षिण अफ्रीका
रंगभेद की जगह लोकतंत्र तक इस देश के संक्रमण के दौरान, 1996 में दक्षिण अफ्रीका में गर्भपात को वैध कर दिया गया था. कानून में 2008 के एक संशोधन ने प्रशिक्षित नर्सों को गर्भपात कराने की अनुमति देकर महिलाओं तक गर्भपात की पहुंच का विस्तार किया.
हालांकि गर्भपात के अधिकार की रक्षा करने वाले मौजूदा मजबूत कानूनों की ताकत के बावजूद देश में इसको लेकर एक महत्वपूर्ण पहुंच विभाजन है. ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को शहरी महिलाओं की तुलना में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
सऊदी अरब
सऊदी अरब में गर्भपात की अनुमति केवल उन मामलों में दी जाती है जहां मां की जान जोखिम में हो, या उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जरूरी हो. बलात्कार और अनाचार मामलें मेरिट के आधार पर लिए जाते हैं और एक महिला के मानसिक स्वास्थ्य को संभावित नुकसान के केस में गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है.
इन प्रतिबंधों के बावजूद गर्भपात के अधिकार से जुड़े एक्टिविस्ट्स का मानना है कि अलबामा, टेक्सास और जॉर्जिया जैसे अमेरिकी राज्यों की तुलना में सऊदी अरब में महिलाओं की वास्तव में गर्भपात तक अधिक पहुंच है.
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