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Xi-Biden Meet: फिलिस्तीन, ताइवान, चिप... बाइडेन-जिनपिंग के बीच किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden और चीनी राष्ट्रपति Xi Jinping बुधवार, 15 नवंबर को मुलाकात करने वाले हैं.

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अमेरिका (America) के सैन फ्रांसिस्को शहर में 11 से 17 नवंबर के बीच APEC शिखर सम्मेलन होने जा रहा है, जिसकी मेजबानी अमेरिका कर रहा है. इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) बुधवार, 15 नवंबर को मुलाकात करने वाले हैं.

दोनों राष्ट्रपति की यह मुलाकात इंडोनेशिया में हुई मीटिंग के ठीक एक साल बाद हो रही है. इन दोनों नेताओं की मीटिंग APEC शिखर सम्मेलन का केंद्र बिंदु नहीं है लेकिन इस पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है क्योंकि हाल के वर्षों में अमेरिका और चीन के संबंधों में कुछ हद तक तना-तनी देखी गई है.

इन तमाम गहमागहमी के बीच आइए जानते हैं कि चीन और अमेरिका के बीच होने जा रही इस मीटिंग में किन-किन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है...

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बाइडेन और जिनपिंग के बीच मीटिंग में क्या होगा?

चीन और अमेरिका की इस बैठक में दोनों देशों के बीच के पर्सनल इंट्रेस्ट और भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद की जा रही है. बैठक में इन मुद्दों पर बातचीत हो सकती है:

अमेरिका द्वारा लगाया गया 'निर्यात प्रतिबंध'

पिछले दिनों अमेरिकी वाणिज्य विभाग के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (BIS) ने एक अंतरिम नियम जारी किया. इसका उद्देश्य था कि चीन को एडवांस कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर चिप्स, सुपरकंप्यूटिंग और सेमेकंडक्टर कैपेबिलिटीज जैसी संवेदनशील टेक्नोलॉजी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक ये नियम 16 नवंबर से लागू होने वाले हैं.

ये नियम स्पेशल टेक्नोलॉजीज के उपयोग से उत्पन्न चिंताओं को दूर करने के लिए व्यापक नीति का हिस्सा हैं.

चीन के द्वारा ग्रेफाइट पर नियंत्रण

अमेरिका द्वारा सेमीकंडक्टर चिप्स पर प्रतिबंध लगाने के कुछ दिनों बाद चीन ने ग्रेफाइट पर निर्यात नियंत्रण का ऐलान किया. यह बैटरियों के लिए एक अहम खनिज है, जो कि मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) सभी को पॉवर देने में मदद करता है. यह निर्यात प्रतिबंध 1 दिसंबर 2023 से प्रभाव में आएगा.

बता दें कि चीन को दुनिया का बड़ा ग्रेफाइट का उत्पादक देश माना जाता है, जो कि लगभग विश्व का दो-तिहाई हिस्सा आपूर्ति करता है.

इजरायल-हमास युद्ध

चीन और अमेरिका अब सिर्फ रूस-यूक्रेन युद्ध ही नहीं बल्कि इजरायल और फिलिस्तीन संघर्ष में भी अलग-अलग पाले में हैं.

The Guardian की रिपोर्ट के मुताबिक इस महीने अमेरिका और चीन ने ओबामा प्रशासन के बाद पहली बार हथियार नियंत्रण और हथियारों को अलग-अलग देशों के बीच ना बांटने पर बातचीत की. अमेरिकी विदेश विभाग ने इस बातचीत को "स्पष्ट" और "रचनात्मक" बताया, क्योंकि अधिकारियों ने चर्चा की कि यह कैसे तय किया जाए कि ताइवान सहित कई मुद्दों पर आर्थिक प्रतिस्पर्धा और असहमति संघर्ष में न बदले.

US-चीन जलवायु समझौता

चीन के पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक अमेरिका और चीनी जलवायु दूतों ने हाल ही में कैलिफोर्निया में बातचीत की, जिसके अच्छे नतीजे आए. APEC शिखर सम्मेलन में नए US-चीन जलवायु समझौते की जानकारी सामने आने की उम्मीद है.

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ताइवान मुद्दे पर दोनों देशों का रुख

चीन, अमेरिका, यूके, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर फ्रंटियर AI द्वारा उत्पन्न जोखिमों के संबंध में "ब्लेचली घोषणा" पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन बीजिंग के नजरिए से अमेरिका-चीन संबंधों के लिए सबसे अहम मुद्दा ताइवान है. ताइवान के लिए समर्थन में राष्ट्रपति बाइडेन ओबामा प्रशासन की तुलना में अधिक सशक्त रहे हैं. यहां यह जानना जरूरी है कि चीन, ताइवान को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है.

बता दें कि पिछले साल जो बाइडेन ने कहा था कि चीन से हुए हमलों की स्थिति में अमेरिका, ताइवान की रक्षा के लिए सशस्त्र बल भेजेगा. बाइडेन का यह बयान आने के बाद चीन ने इसकी निंदा की थी.

पिछले साल अमेरिकी की तत्कालीन स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने भी ताइवान का दौरा किया था, जिसकी वजह से चीन ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच संचार बंद कर दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि बाइडेन उन चैनलों को बहाल करने की कोशिश में हैं लेकिन चीन ऐसा करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.

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