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Kurhani By Election: AIMIM-VIP का चक्रव्यूह, नीतीश-तेजस्वी कहीं फंस न जाएं?

Kurhani By Election 2022: 2015 की तरह इस बार भी JDU और RJD एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं.

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बिहार (Bihar) में कुढ़नी उपचुनाव (Kurhani By Election 2022) को लेकर सियासी हलचल तेज है. सोमवार, 5 दिसंबर को कुढ़नी में वोटिंग है. मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव का मुकाबला टाई होने के बाद कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव BJP और महागठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. वहीं इस चुनाव में AIMIM और VIP भी ताल ठोक रही है. दोनों पार्टियों के उम्मीदवार उतारने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

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क्यों हो रहा कुढ़नी में उपचुनाव?

कुढ़नी विधानसभा से RJD विधायक 'अनिल सहनी' को एमपी-एमएलए कोर्ट से अयोग्य ठहराए जाने के बाद उपचुनाव हो रहे हैं. यहां प्रयोग के तौर पर RJD के बजाय जनता दल यूनाइटेड ने अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा है. JDU ने मनोज कुशवाहा को टिकट दिया है.

वहीं बीजेपी ने एक बार फिर केदार प्रसाद गुप्ता को मैदान में उतारा है, जिन्होंने 2020 के चुनाव में आरजेडी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी थी. RJD उम्मीदवार ने मात्र 712 वोटों से जीत हासिल की थी. इस उपचुनाव में जहां सत्तारूढ़ महागठबंधन के सामने इस सीट को बचाने की चुनौती है. तो वहीं बीजेपी पिछले चुनाव में हार का बदला लेना चाहेगी.

कुढ़नी में वोटों का गणित

अब जरा यहां के वोटर्स और जातीय समीकरण पर चर्चा कर लेते हैं. मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 3 लाख 11 हजार 728 है. यहां 1 लाख 64 हजार 474 पुरुष और 1 लाख 46 हजार 507 महिला मतदाता हैं.

Kurhani By Election 2022: 2015 की तरह इस बार भी JDU और RJD एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं.

कुढ़नी में वोटों का गणित

(फोटो: क्विंट)

इस इलाके की जातीय समीकरण की बात करें तो कुशवाहा जाति के सबसे ज्यादा 40 हजार वोटर हैं. इसी को ध्यान में रखकर जेडीयू ने मनोज कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया है. दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनके मतदाता की संख्या करीब 33 हजार के आसपास है. इसी बात का देखते हुए बीजेपी ने केदार गुप्ता को एक बार फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है.

इसके अलावा 25 हजार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर है, जिनके भरोसे मुकेश सहनी ने वीआईपी पार्टी से सवर्ण समाज के नीलाभ कुमार को प्रत्याशी बनाया है.

चौथे नंबर पर करीब 23 हजार मतदाताओं के साथ यादव समाज के लोग आते हैं. इसके अलावा कोइरी और कुर्मी जाति के वोटर्स की भी अच्छी-खासी संख्या है. कुढ़नी सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 22 हजार के आसपास है, जिसको ध्यान में रखते हुए असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM से मुर्तजा अंसारी ताल ठोक रहे हैं.

कौन लगाएगा किसके वोटों में सेंध?

जाति के आधार पर सभी पार्टियों के अपने-अपने वोटर्स हैं, जिसमें सभी सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. VIP का निलाभ कुमार को टिकट देना बीजेपी से भूमिहार मतों को काटने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है तो बीजेपी इसी को कारण बनाकर सहनी मतों पर डोरे डाल रही है. JDU की नजर कुर्मी-कुशवाहा और यादव-मुस्लिम समीकरण पर है. लेकिन AIMIM के प्रत्याशी उतारने से एक बार फिर मुस्लिम वोटर्स बंट सकते हैं, जिसका नुकसान महागठबंधन को हो सकता है. गोपालगंज उपचुनाव में यही महागठबंधन की हार का कारण बना था.

क्या कहतें है पिछले चुनाव के आंकड़े?

अगर पिछले चुनावों पर नजर डालें तो 2015 में बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता ने JDU उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को पटखनी दी थी. तब JDU और RJD ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. केदार प्रसाद गुप्ता को जहां 73,227 वोट मिले थे, वहीं मनोज कुशवाहा को 61,657 वोट मिले थे. हालांकि इस सीट पर साल 2005 से ही मनोज कुशवाहा ही जीत दर्ज करते रहे हैं.

वहीं 2020 आते-आते फिर सियासी समीकरण बदल गया. बीजेपी और JDU ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा. बीजेपी ने अपने सीटिंग विधायक केदार प्रसाद गुप्ता को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन वो RJD उम्मीदवार अनिल सहनी से चुनाव हार गए. जीत-हार का फासला महज 712 वोटों का रहा. अनिल सहनी को 78,549 वोट मिले थे. जबकि केदार प्रसाद गुप्ता को 77,837 वोट मिले थे.

2015 की तरह इस बार फिर JDU और RJD साथ है. प्रदेश में महागठबंधन की सरकार है. जबकि बीजेपी अकेले चुनावी मैदान में ताल ठोक रही है. हालांकि कहा जा रहा है कि AIMIM और VIP वोट कटवा साबित हो सकती है, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है. गोपालगंज में हार के बाद कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव नीतीश-तेजस्वी के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. देखना होगा कि इस बार बाजी कौन मारता है.

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