भारत पर एक बड़ा अटैक हो रहा है. अंदरूनी भी और बाहरी ताकतों से भी. हर दिन लाखों लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. ये है डिजिटल अटैक. अक्टूबर के महीने में उत्तर प्रदेश के आगरा की रहने वाली एक सरकारी स्कूल की टीचर इस अटैक का शिकार हुईं. एक फर्जी कॉल ने टीचर की जान ले ली.
जनवरी 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच साइबर क्रिमिनल ने भारत के लोगों से लगभग 2,140 करोड़ रुपये चुरा लिए हैं. इन अटैक की वजह से कई लोगों की जान गई है तो कई की जमा पूंजी. इन हमलों से बचने के लिए खूब सरकारी दावे हो रहे हैं, लेकिन ये अटैक लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
अगर आप ऐसे फ्रॉड को रोकना चाहते हैं, अवेयर रहना चाहते हैं तो क्विंट के मेंबर बनें.... एक और बात.. अब से हर हफ्ते सैटरडे यानी शनिवार को जनाब ऐसे कैसे का एपिसोड आएगा.... तो देखना न भूलें..
अब बात साइबर अटैक की.. इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि किस-किस तरह से साइबर क्रिमिनल, लोगों के पैसे और जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं.. कैसे ये पूरा तंत्र काम करता है. कैसे सिस्टम के लूप होल्स का फायदा क्रिमिनल्स को हो रहा है? कैसे आप इस फ्रॉड से बच सकते हैं?
साइबर क्राइम के जड़ में जाने से पहले आपको कुछ आंकड़े देखिए
साल 2024 के पहले 6 महीने में ही साइबर ठगों ने 11,269 करोड़ रुपए की ठगी कर डाली..
अक्टूबर के आते-आते ये 2140 करोड़ रुपए हो गया.
हर महीने औसतन 214 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान.
साल 2019 में साइबर क्राइम से जुड़ी 26,049 शिकायतें दर्ज की गईं
2020 में 257,777 शिकायत
2021 में 452,414 शिकायत
2022 में 966,790 शिकायत
2023 में 1,556,218 शिकायत और
अकेले 2024 के पहले चार महीनों में 740,957 शिकायतें दर्ज की गईं
इनमें ज्यादातर लोग इंवेस्टमेंट फ्रॉड, सेक्सटॉर्शन, फर्जी ट्रेडिंग एप्स, लोन एप्स, गेमिंग, डेटिंग एप्लीकेशन, ओटीपी और एल्गोरिदम मैनिपुलेशन के जरिए ठगे गए हैं. ये आंकड़े होम मिनिस्ट्री के अंदर आने वाले इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने जारी किए हैं.
इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के मुताबिक साल 2023 में, एक लाख से ज्यादा इंवेस्टमेंट फ्रॉड की घटनाओं की जानकारी मिली. वहीं ट्रेडिंग स्कैम के 20,043 मामले आए, जिसमें 1,420 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड की चाहत रखने वाले यानी डेटिंग एप से जुड़े 1,725 स्कैम्स सामने आए जिसमें लोगों को 13 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
ये वो मामले हैं जो सामने आए हैं, किसी ने शिकायत की, नहीं तो डेटिंग और सेक्सटॉर्शन से जुड़े लगभग मामले शर्म और बदनामी के डर से रिपोर्ट ही नहीं होते हैं..
सेक्सटॉर्शन मतलब 'सेक्स' और 'एक्सटॉर्शन' , वसूली..
इसे आप ऐसे समझिए कि किसी के वॉट्सएप पर अचानक कोई वीडियो कॉल आती है और आप उस कॉल को पिक कर लेते हैं. तब ही सामने स्क्रीन पर कोई न्यूड यानी कम या बिना कपड़े के कोई महिला या लड़की या लड़का बात करना शुरू कर देता है. आप जब तक कुछ समझ पाते हैं तब तक आपके कॉल की वीडियो रिकॉर्ड हो जाती है. फिर वीडियो लीक करने के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं. साइबर क्रिमिनल आपकी वीडियो आपके करीबी लोगों को भेजने, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर शेयर करने की धमकी देकर बदले में पैसा मांगता है. यहीं बदनामी के डर से लोग गलती करते हैं और उसे पैसे ट्रांस्फर कर देते हैं. और पुलिस में शिकायत भी नहीं कर पाते हैं.
ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में हुआ था जहा एक नाबालिग छात्र की आत्महत्या से मौत हो गई थी. इसी तरह रांची से पूर्व बीजेपी विधायक सीपी सिंह के साथ भी हुआ था. उन्हें एक वीडियो कॉल आई. कथित तौर पर सामने से एक महिला उनसे अश्लील बातें करने लगी. हालांकि उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकाय कराई.
साइबर क्राइम के अलग-अलग रास्ते
मध्य प्रदेश के रहने वाले एक वकील को व्हाट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि उनका बेटा पुलिस की हिरासत में है, 70,000 रुपये देकर बेटे को तुरंत छोड़ने की बात कही. वकील ने पैसे स्कैमर को दे दिए. लेकिन स्कैमर ने और पैसे मांगे. तब वकील को शक हुआ और उन्होंने पुलिस से संपर्क किया. फिर जाकर एक आरोपी विश्वजीत गिरी पकड़ में आया. जिस अकाउंट में पैसा ट्रांस्फर हुआ था वहीं से आरोपी की लीड मिली.
दरअसल, होता ये है कि साइबर क्रिमिनल इसी तरह के कॉल करते हैं, कभी कहते हैं कि आपकी बेटी सेक्स रैकेट में पकड़ी गई है, तो कभी बेटा पुलिस हिरासत में है. जिस नंबर से कॉल आता है उसके वॉट्सएप पर पुलिस की वर्दी पहने रोबीले अधिकारी का फोटो नजर आती है. कॉल करने वाला काफी रोब में बात करता है. आपको इमोशनली फंसाने की कोशिश करेगा. और फिर यहीं कई लोग गलती कर देते हैं.
एक कहावत है न कौआ कान ले गया. तो कई लोग कान को नहीं देखते, कव्वे के पीछे दौड़े जाते हैं.. यहां भी कई लोग यही गलती करते हैं. अपने बच्चों से संपर्क नहीं करते. पुलिस स्टेशन न जाकर स्कैमर के जाल में फंस जाते हैं.
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
जैसे पहले हिंदी फिल्मों में यू आर अंडर अरेस्ट कहते थे, अब साइबर क्रिमिनल यू आर अंडर डिजिटल अरेस्ट कहते हैं..
जी हां, डिजिटल अरेस्ट. ये मामला कितना गंभीर है इसे आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम के 115वें एपिसोड में 27 अक्तूबर को डिजिटल अरेस्ट का जिक्र किया था.
डिजिटल अरेस्ट को ऐसे समझें कि कोई साइबर फ्रॉड आपके वॉट्सएप या नंबर पर कॉल करेगा. जिसमें वो खुद को पुलिस अधिकारी, सीबीआई अफसर या कोई अन्य सरकारी अधिकारी बताएगा. वे आपसे कहेगा कि आपका नाम किसी गंभीर अपराध से जुड़ा है, जैसे मानव तस्करी या मनी लॉन्ड्रिंग. फिर आपसे कहा जाएगा कि अगर वीडियो कॉल कट किया तो आपको सच में पुलिस आकर पकड़कर जेल में डाल देगी. और ये सब इतनी तेजी से होता है कि आम आदमी समझ नहीं पाता और घबरा जाता है और फिर साइबर फ्रॉड के चंगुल में फंस जाता है.
ये साइबर ठग इतने ज्यादा शातिर हैं कि ये पुलिस स्टेशन का पूरा सेट-अप तैयार रखते हैं, पुलिस की वर्दी में दिखते हैं, पुलिस की तरह बात करते हैं.
अगस्त 2024 में PGI लखनऊ की डॉ रुचिका टंडन को कुछ दिनों डिजिटल अरेस्ट में रख कर उनसे 2 करोड़ 81 लाख रुपये ठग लिए गए.
इसी तरह वर्धमान ग्रुप के चेयरपर्सन, 82 साल के एसपी ओसवाल के साथ हुआ. एसपी ओसवाल के पास एक फोन कॉल आया. रिसीव किया तो सामने से आवाज आई- “मैं CBI से बोल रहा हूं. एक पुराने केस में आपके नाम पर अरेस्ट वारंट निकला है. आपको तत्काल ‘डिजिटली अरेस्ट’ किया जाता है.” फिर क्या था एक कॉल से उनके साथ 7 करोड़ रुपये का फ्रॉड हो गया.
एसपी ओसवाल के केस में साइबर क्रिमिनल ने तो नकली अदालत, चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की नकली बेंच, नकली कोर्ट के आदेश सब बना डाले. वीडियो कॉल पर 'जज' जैसे दिख रहे किसी शख्स ने आदेश तक दे दिया कि इनकी प्रॉपर्टी ट्रांसफर करवा ली जाए, और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो गिरफ्तार कर लिया जाए. ये सब इतनी सफाई से हो रहा था मानो सब सच हो..
लेकिन बाद में एसपी ओसवाल ने सायबर सेल में केस दर्ज करवाया. पंजाब पुलिस ने 2 आरोपियों - अतनु चौधरी और आनंद कुमार चौधरी को गिरफ्तार कर लिया है और उनके पास से 5 करोड़ 25 लाख रुपये की रिकवरी भी कर ली गई है.
जनवरी 2024 से लेकर अक्टूबर 2024 के बीच करीब 92, 334 डिजिटल अरेस्ट की वारदातें रिपोर्ट हुई हैं. साल 2024 के शुरुआती सिर्फ चार महीनों में 4,599 मामलों में 120 करोड़ रुपये का चुना लग चुका है.
फिर कह रहा हूं, बड़े मामले तो सामने आ रहे हैं, ऐसे हजारों लोग रोज ठगी का शिकार हो रहे हैं जिनका डेटा हमारे पास नहीं है..
चाइल्ड पोर्नोग्राफी, पीडोफिलिया का आरोप लगाने वाले फर्जी ई-मेल
अभी हाल ही में मुझे और मेरे एक कलीग के मेल पर ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवेलप्मेंट के लेटर हेड से एक मेल आया.
इसमें चाइल्ड पॉर्नोग्राफी जैसे मामले का जिक्र था. नोटिस पर IB से लेकर साइबर क्राइम सबके मोहर लगे थे. कमाल देखिए उस नोटिस में ये भी लिखा था कि अगर 24 घंटे में रिस्पॉन्ड नहीं किया तो आपकी जानकारी मीडिया को दे दी जाएगी. ये एक ट्रैप था हमें फंसाने का. आप जान लीजिए कि पुलिस की तरफ से ऐसा कोई मेल नहीं आता है.
ये तो पुलिस वाले के नाम पर ठगी की कोशिश थी. अभी हाल ही में हमारे एक और कलीग को कॉल आया कि आपका फोन बंद हो जाएगा. TRAI के नाम से कॉल था. ये एक फर्जी कॉल था.
याद रहे आधार कार्ड बंद हो जाएगा, फोन नंबर बंद होने वाला है, पैन कार्ड ब्लॉक कर दिया जाएगा, Atm card का पिन बताएं, OTP बताएं, जैसे कोई भी कॉल आएं तो पहले उसकी जांच कर लें. ये एक स्कैम हो सकता है.
फोन नंबर, आधार के अलावा भी ऑनलाइन फ्रॉड के कई तरीके आ गए हैं. हमारे एक जानने वाले को दिल्ली बिजली विभाग के नाम से मैसेज आया कि थोड़ी देर में आपके घर की बिजली काट दी जाएगी. हमारे ऑफिसर से संपर्क करें.
ये एक स्कैम था. लेकिन हम बच गए. हमें पता था कि साइबर क्राइम से कैसे बच सकते हैं. आप भी बच सकते हैं, क्विंट के मेंबर बनिए और जागरुक रहिए.
डिजिटल अटैक से कैसे बचें?
दरअसल, पीएम मोदी ने भी अपने मन की बात में सुझाव दिया है. 'रुको-सोचो-एक्शन लो'.
अगर ऐसे कॉल आए तो रुककर सोंचे. अपनी कोई भी जानकारी इस तरह कॉल पर साझा न करें..
ये भी जान लें कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर न गिरफ्तार कर सकती है, न आपसे पैसे मांग सकती है.
और सबसे अहम ऐसे फ्रॉड और फर्जी कॉल की तुरंत शिकायत करें. साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर डायल करके इसकी सूचना दें. साथ ही www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें.
लेकिन इन सबके लिए लोगों को जागरुक करना होगा. अगर ये साइबर अटैक है तो हमारी तैयारी भी वॉर लेवल की होनी चाहिए.
चीन, कंबोडिया, पाकिस्तान से आते फर्जी कॉल
सरकारी आंकड़ों की माने तो पाकिस्तान, चीन, कंबोडिया, म्यंमार जैसे देश से करीब 40-50 फीसदी साइबर अटैक हो रहे हैं. इनसे तो निपटना ही होगा. लेकिन भारत के अंदर रहने वाले भी बहुत से साइबर क्रिमिनल लोगों की जिंदगी के साथ खेल रहे हैं, उनके लिए सख्त से सख्त कानून और सजा की जरूरत है.
पुलिस एक्शन में देरी, स्कैम में फंसे पैसे मिलना मुश्किल
साइबर क्राइम के बढ़ने के पीछे एक और वजह है- पुलिस एक्शन में देरी. या पुलिस का ओवर वर्कड होना. कई मामलों में पुलिस की सुस्ती और बैंक से सहयोग नहीं मिलने की वजह से भी अपराधी इस तरह के काम को आसानी से अंजाम दे रहे हैं.
मेरे पिता के एटीएम से एक लाख से ज्यादा रुपए गायब हुए. साइबर क्रिमिनल ने कई एटीएम से पैसे निकाले. कुछ पैसे पीओएस मशीन में ट्रांसफर हुए. हमने तुरंत एफआईआर दर्ज कराई. पुलिस के पास गोल्डन पीरियड था. सीसीटीवी से लेकर बैंक ट्रांस्फर की मदद से अपराधी पकड़े जा सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुलिस वाले हमें ही कहते कि बैंक से सीसीटीवी और बाकी जानकारी निकालें. आज दो साल से ज्यादा हो गया लेकिन उस केस का क्या हुआ कुछ पता नहीं.
सरकारी आंकड़ों की माने तो साइबर क्राइम के मामलों में सिर्फ 10 फीसदी लोगों का ही पैसा वापस उन्हें मिल सका है. और ये पैसा वापस मिलना भी एक जंग से कम नहीं है.
भारत को इस डिजिटल अटैक से लड़ने के लिए बड़ी तैयारी की जरूरत है. पुलिस को डिजिटली तैयार करना होगा. नहीं तो हम पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?
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