समाजवादी पार्ट के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने अपने बयान से फिर यूपी के सियासी गलियारे को सरगर्म कर दिया है. उन्होंने हिंदू धर्म को एक धोखा बताया है. इसके बाद से ही सूबे में सत्तारूढ़ दल बीजेपी उनपर हमलावर हो गई है.
स्वामी प्रसाद ने कहा कि ब्राह्मणवाद की जड़ें काफी गहरी हैं और ब्राह्मण धर्म को ही हिंदू धर्म कहा जा रहा है. हिंदू धर्म दरअसल, पिछड़ों, आदिवासियों और दलितों को मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है. हिंदू अगर एक धर्म होता तो वहां दलितों और पिछड़ों का भी सम्मान होता. सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है. हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है.
स्वामी प्रसाद ने कहा कि हम लोग भले ही पागल होकर हिंदू धर्म के लिए मरें पर ब्राह्मणवादी व्यवस्था के चालाक लोग हमें आदिवासी मानते हैं. ऐसा ही व्यवहार भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ हुआ. दलित होने के कारण उन्हें मंदिर में जाने से रोका गया. इसी तरह अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री पद से हटने पर मुख्यमंत्री आवास और कालिदास मार्ग को गौमूत्र से पवित्र किया गया था क्योंकि वो पिछड़े समाज से आते हैं.
उन्होंने कहा कि बाबा अंबेडकर और ज्योतिबा फुले जैसे हमारे महापुरूषों ने एक लंबा संघर्ष किया, जिसका नतीजा है कि आज हजारों साल की गुलामी से निजात पाकर हम सम्मान और स्वाभिमान के रास्ते पर चल पड़े हैं.
बीजेपी हमलवार
स्वामी प्रसाद के विवादित बयान पर यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव के निर्देश पर इनके नेताओं के जहरीले बयान ही सपा को बनाएंगे समाप्तवादी पार्टी.
सभी समस्याओं का समाधान प्रधानमंत्री मोदी जी के सबका साथ, सबका विकास रूपी महामंत्र से होगा.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश त्यागी ने कहा कि स्वामी प्रसाद जानबूझकर ऐसे बयान देते हैं, जिससे समाज में द्वेष पैदा हो. सपा के लोग सिर्फ वोट बैंक को लेकर तुष्टिकरण की राजनीति के लिए ऐसे विष भरे बयान दे रहे हैं. इस तरह के बयान देकर केवल माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.
पहले भी हो चुका है स्वामी प्रसाद के बयान पर बवाल
गौरतलब हो कि स्वामी प्रसाद ने इससे पहले रामचरित मानस को लेकर ऐसी टिप्पणी की थी, जिसपर जमकर बवाल कटा था.
उन्होंने कहा था कि रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश हैं, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.
ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ये कहकर भी विवाद खड़ा कर दिया थी कि बद्रीनाथ, केदारनाथ और जगन्नाथपुरी पहले बौद्ध मठ थे.
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