हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) में पूर्व रेसलर विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) अपनी किस्मत आजमा रही हैं. कांग्रेस पार्टी ने उन्हें जुलाना विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. पिछले 15 सालों से इस सीट पर पार्टी को जीत नहीं मिली है.
विधानसभा चुनाव से पहले द क्विंट ने विनेश फोगाट से बातचीत की. जानिए पहली बार चुनाव लड़ने से लेकर ओलंपिक से बाहर होने तक और बृजभूषण शरण सिंह मामले को लेकर उन्होंने क्या-क्या कहा?
20 दिनों से अधिक के चुनाव प्रचार के बाद, आपको कुश्ती या राजनीति में से क्या अधिक कठिन लगता है?
"सच कहूं तो शुरुआत में सब कुछ मुश्किल होता है. लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि जल्द ही ऐसा समय आएगा जब हम अपनी मेहनत और अपने लोगों के प्यार से हर काम को आसान बना लेंगे. कुश्ती भी आसान नहीं है. अगर ऐसा होता तो आज हर कोई पहलवान होता. और खास तौर पर महिलाओं के लिए कोई भी क्षेत्र आसान नहीं है. लेकिन हमें अपनी मेहनत और भगवान पर पूरा भरोसा है...हम सभी बाधाओं को पार करेंगे और विजयी होंगे.
7 सितंबर को बेहद नाटकीय अंदाज में विनेश फोगाट का राजनीति में प्रवेश हुआ, जब वो अपने साथी ओलंपियन पहलवान बजरंग पुनिया के साथ दिल्ली में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं.
दिल्ली में पूर्व WFI प्रमुख और बीजेपी नेता बृज भूषण सिंह के खिलाफ आपका विरोध उस समय शुरू हुआ जब आप किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी थीं, यहां तक कि आपने उनमें से कुछ को सक्रिय रूप से बाहर रहने के लिए भी कहा था. आज, आप इस निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार हैं. किसने आपको राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया?
"हमने सड़कों पर संघर्ष करने की कोशिश की. हर वर्ग के लोग हमारे विरोध में शामिल हुए. लेकिन हमें न्याय नहीं मिला. हम अदालतों में भी गए, लेकिन आप जानते हैं कि यह कैसे काम करता है...लोगों को समाधान के लिए सालों तक इंतजार करना पड़ता है. मैं अपनी बात रखने के लिए ओलंपिक में भी गई. मैं नहीं चाहती कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का हमारा संघर्ष बीच में ही खत्म हो जाए. हम चाहते हैं कि यह एक निर्णायक मुकाम पर पहुंचे, जहां हम सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल वातावरण सुनिश्चित कर सकें. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अब से सालों बाद जब कोई हमारे संघर्ष के बारे में पूछे, तो हम उन्हें उसका नतीजा दिखा सकें. कोई भी आंदोलन बीच में ही खत्म हो जाना अच्छा संकेत नहीं है. यह पूरे समाज के मनोबल को प्रभावित करता है. हम चाहते हैं कि लोगों का मनोबल ऊंचा हो. खासकर उन महिलाओं का जो हमसे प्रेरित थीं और उत्पीड़न के खिलाफ बोलने का साहस रखती थीं."
क्या आपको लगता है कि बीजेपी बृजभूषण सिंह को बचा रही है?
बेशक! इसमें कोई शक नहीं है कि बीजेपी उन्हें बचा रही है. इसी कारण से उनके बेटे को टिकट दिया गया और पार्टी ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. लेकिन उन्हें भगवान से कौन बचाएगा? सच्चाई सामने आएगी. हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे."
पेरिस ओलंपिक के बारे में बताइए. आपकी मनःस्थिति क्या थी? क्या आप उस अयोग्यता से उबर पाई हैं?
"किसी भी एथलीट के लिए यह आसान नहीं है. यहां तक कि जब हम राष्ट्रीय स्तर पर हार जाते हैं, तो भी दुख होता है. वो ओलंपिक था. ईमानदारी से कहूं तो मैं पूरी तरह से उबर नहीं पाई हूं. हर खिलाड़ी को ऐसी असफलताओं से उबरने में समय लगता है. यह शायद जीवन भर में भी न हो. लेकिन मैं एक नया अध्याय शुरू करना चाहती हूं और अपने जीवन का अगला अध्याय दूसरे लोगों और समाज को समर्पित करना चाहती हूं. लोगों ने मुझे एक खिलाड़ी के तौर पर बहुत प्यार और सम्मान दिया है. अब मेरा समय समाज को कुछ वापस देने का है."
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