लोक आस्था के पर्व छठ को लेकर पटना सहित पूरा बिहार भगवान भास्कर की भक्ति में सराबोर हो गया है. चार दिवसीय इस अनुष्ठान के दूसरे दिन शुक्रवार की शाम व्रतधारियों ने खरना किया जबकि शनिवार की शाम व्रती गंगा के तट और विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित करेंगे. छठ पर्व को लेकर पूरा बिहार भक्तिमय हो गया है.
सड़कों पर सजावट, घाटों पर सुरक्षा
मुहल्लों से लेकर गंगा तटों तक यानी पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं. राजधानी पटना की सभी सड़कें पूरी तरह सज गई हैं जबकि गंगा घाटों में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है. राजधानी के मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक की सफाई की गई है. आम से लेकर खास वर्ग के लोग सड़कों की सफाई में व्यस्त हैं. हर कोई छठ पर्व में हाथ बंटाना चाह रहा है.
पटना में कई पूजा समितियों ने अलग-अलग जगहों पर भगवान भास्कर की मूर्ति स्थापित की है. पूरा माहौल छठमय हो उठा है. कई स्थानों पर तोरण द्वार लगाए गए हैं तो कई पूजा समितियों द्वारा लाइटिंग की व्यवस्था की गई है.
पटना में जिला प्रशासन ने व्रतियों के लिए गंगा के 82 घाटों और 41 तालाबों में व्रतधारियों के लिए भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के लिए व्यवस्था की है. पटना के 23 गंगा घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है. सभी घाटों की निगरानी के लिए सीसीटीवी और वीडियोग्राफी के इंतजाम किए गए हैं. खतरनाक घाटों पर लाल कपड़ा लगाया गया है तथा 'खतरा' के बोर्ड लगाए गए हैं. किसी भी घटना की आशंका को लेकर भी इन घाटों पर पुलिस की तैनाती की गई है.
पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि
पटना के गंगा घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. सभी घाटों पर एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है तथा चिकित्सा दलों की व्यवस्था की गई है. 270 दंडाधिकारियों की तैनाती की है और पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है. गंगा नदी में नाव के परिचालन पर रोक लगा दी गई है और छठ घाटों पर पटाखा छोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इधर, मुजफ्फरपुर, सासाराम, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर सहित सभी जिलों के गांव से लेकर शहर तक लोग छठ पर्व की भक्ति में डूबे हैं. औरंगाबाद के प्रसिद्घ देव सूर्य मंदिर परिसर में लाखों की भीड़ छठ के मौके पर जुटी है.
आपको बता दें कि शुक्रवार की शाम व्रतियों ने भगवान भास्कर की आराधना की और खरना किया. खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया.
पर्व के तीसरे दिन शनिवार की शाम छठव्रती नदी, तालाबों सहित विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित करेंगे. पर्व के चौथे दिन यानी रविवार को उदीयमान सूर्य के अघ्र्य देने के बाद ही श्रद्घालुओं का व्रत समाप्त हो जाएगा. इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करेंगे.
इनपुट: IANS
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