कुछ फिल्में तो अच्छे और सटीक किरदारों को चुनने की वजह से पहले ही हिट हो जाती हैं. TE3N कुछ इसी तरह की फिल्म है.
इसमें अमिताभ बच्चन हैं, नवाजुद्दीन सिद्दीकी हैं और साथ में विद्या बालन भी.
लेकिन यदि निर्देशक रिभु दासगुप्ता ने स्क्रीनप्ले में और मेहनत की होती, तो नतीजे और भी शानदार हो सकते थे. हम आपको बता दें कि TE3N कोरियाई फिल्म ‘मोन्टेज’ पर आधारित है.
इस फिल्म का प्लॉट कोलकाता में सेट किया गया है, जहां हम शुरू में ही एक बच्चे के अपहरण के अलग-अलग हिस्सों में अपने आप को खोया हुआ पाते हैं.
जैसे ही फिल्म शुरू होती है, पहले सीन में एक बूढ़ा आदमी टेपरिकॉर्डर में अपने पोते की आखिरी आवाज सुनता हुआ नजर आता है.
अमिताभ बच्चन इस फिल्म में लाजवाब हैं. उनकी तेज, उत्तेजना भरी आवाज में डाॅयलाॅग डिलेवरी जबरदस्त है. चेहरे के बदलते भाव, जिसमें वह अपने पोते को ढूंढते फिरते हैं, आपको इमोशनल कर देते हैं.
बच्चे के अपहरण केस में आॅफिसर इनचार्ज नवाजुद्दीन सिद्दीकी रहते हैं, जो बाद में पादरी बन जाते हैं. इसमें नवाज ने ग्लानि के मारे पादरी के रोल में शानदार अभिनय किया है.
इस किरदारमें वह लगातार खुद से जूझते नजर आते हैं. वहीं विद्या बालन आॅफिसर इनचार्ज के किरदार में हैं. उन्होंने इतने शानदार ढंग से अपना किरदार निभाया है कि हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि काश उनका किरदार थोड़ा और लंबा होता.
लेकिन इसमें सब कुछ अच्छा ही अच्छा नही है. अच्छे अभिनय की आड़ में फिल्म अपनी कहानी की गलतियों से नहीं बच सकती.
रहस्य, रोमांच किसी भी थ्रिलर फिल्म का भाग होते हैं और आखिर में क्लाइमेक्स में सब पता चलता है, सारे राज से पर्दा उठता है. बदकिस्मती से ऐसा कुछ करने में फिल्म नाकाम रही है.
स्क्रिप्ट की कमजोरी के चलते हम बड़े आराम से समझ जाते हैं कि आगे क्या होने वाला है. फिल्म ‘कहानी’ के उलट यहां हमारे पास पर्याप्त समय होता है अंदाजा लगाने का कि फिल्म किस तरह से अपना रुख बदलेगी.
लेकिन फिर भी अमिताभ बच्चन के शानदार अभिनय को देखने फिल्म देखी जा सकती है और केवल अमिताभ के लिए मैं फिल्म को दे रही हूं 5 में से 3.5 क्विंट्स.
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