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यूपी विधानसभा चुनाव में दुर्गा प्रसाद यादव ने आजमगढ़ सदर सीट से जीत हासिल करते हुए अखिलेश के गिरते ‘दुर्ग’ में एक ईंट का योगदान दिया है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के लिए चुनाव प्रचार के दौरान ही आजमगढ़ सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा था. यहां की सीटों में एक बड़ा नाम दुर्गा प्रसाद यादव (Durga Prasad Yadav) की आजमगढ़ सदर का था.
दुर्गा प्रसाद यादव (SP)- जीते
अखिलेश कुमार मिश्रा (BJP)- हारे
सुशील कुमार सिंह (BSP)- हारे
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर, मेहनगर, अतरौलिया, निजामाबाद, फूलपुर पवई, दीदारगंज और लालगंज विधानसभा सीटें हैं.
2017 में यहां की 11 सीटें एसपी ने जीती थी. 11 सीटों में भी सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले उम्मीदवार दुर्गा प्रसाद यादव ही थे. साल 2012 में 54 में से 34 सीट पर एसपी का कब्जा था. बीजेपी वाराणसी की 3 और जौनपुर की 1 सीट और बीएसपी 7 सीट जीती थी.
दुर्गा प्रसाद यादव 37 साल से विधायक रहे हैं. 1985 में निर्दलीय चुनाव लड़कर पहली बार विधायक बने. तब उन्हें 50.6% वोट मिले थे. सिर्फ 1993 में बीएसपी से राज बली यादव विधायक बने. आजमगढ़ विधानसभा सीट पर दुर्गा प्रसाद यादव के प्रभाव को उनके वोट प्रतिशत से समझ सकते हैं.
आजमगढ़ सदर सीट से साल 2017 में दूसरे नंबर पर बीजेपी के अखिलेश मिश्रा थे, उन्हें 28% वोट मिले. 2012 में दूसरे नंबर पर बीएसपी के सर्वेश सिंह सीपू थे, उन्हें 33% वोट मिले. 2007 में दूसरे नंबर पर बीएसपी के रमाकांत थे, उन्हें 35% वोट मिले. 2002 में दूसरे नंबर पर बीएसपी के आरपी राय थे, उन्हें 29% वोट मिले. 1996 में दूसरे नंबर पर बीएसपी के ओम प्रकाश थे, उन्हें 37% वोट मिले थे.
पूर्वांचल में आजमगढ़ को एसपी का गढ़ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि मोदी लहर में भी बीजेपी इस सीट से नहीं जीत सकी. साल 2014 में मुलायम सिंह यादव ने यहां से चुनाव लड़ा और 35% के साथ जीत दर्ज की. 2019 में अखिलेश यादव 60% वोटों के साथ यहां से सांसद बने.
मोदी लहर में भी बीजेपी एसपी के इस दुर्ग को नहीं भेद पाई. आजमगढ़ सदर में सबसे ज्यादा 70 हजार यादव हैं. इनके अलावा 25 हजार ब्राह्मण, 45 हजार क्षत्रिय, 50 हजार वैश्य, 50 हजार मुस्लिम और 60 हजार दलित वोटर हैं.
अबकी बार आजमगढ़ सदर से दुर्गा प्रसाद के सामने बीजेपी के अखिलेश कुमार मिश्रा, बीएसपी के सुशील कुमार सिंह और कांग्रेस के प्रवीण कुमार सिंह थे.
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