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उत्तर प्रदेश विधान चुनाव 2022 के परिणाम (election result 2022) सामने हैं. यूपी में चुनावी मुद्दों की बात करें तो यहां मंदिर-मस्जिद अहम भूमिका निभाते हैं. इस बार के चुनाव में अयोध्या (ayodhya) के राम मंदिर, वाराणसी (varanasi) के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और मथुरा (mathura) के भगवान कृष्ण की चर्चा जोर-शोर से रही. आइए जानते हैं इन क्षेत्रों में जनता किसके पक्ष में वोट का चढ़ावा देते हुए जीत का प्रसाद दिया है...
रामजन्मभूमि यानी अयोध्या सीट इस बार काफी चर्चा में रही पहले सीएम योगी आदित्यनाथ के यहां से चुनावी मैदान में खबरें आईं फिर बीजेपी ने अपना चेहरा वेद प्रकाश गुप्ता को बनाया. वेद ने यहां पार्टी को जीत भी दिलाई. करीब 49.04 फीसदी मतों के साथ वेद प्रकाश सबसे आगे रहे. उन्हें लगभग 113414 वोट मिले सपा के तेज नारायण को 93424 मत मिले तो वहीं वहीं बीएसपी को 17706 और कांग्रेस को 2011 वोट मिले. इस प्रकार बीजेपी ने SP को 19990 मतों के अंतर से हराया.
अयोध्या सदर सीट पर बीजेपी से मौजूदा विधायक वेद प्रकाश, SP के पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन, कांग्रेस की रीता मौर्या और बीएसपी के रवि मौर्या के बीच संघर्ष था.
बीकापुर विधानसभा सीट से एसपी ने फिरोज खां उर्फ गब्बर, बीजेपी ने शोभा सिंह चौहान के बेटे डॉ. अमित सिंह चौहान और बीएसपी ने सुनील पाठक को चुनावी मैदान पर भेजा था. जबकि कांग्रेस ने अखिलेश यादव पर दांव लगाया था.
अयोध्या की गोशाईगंज सीट पर SP के बाहुबली अभय सिंह तो बीजेपी से पूर्व विधायक और बाहुबली इंद्रप्रताप तिवारी खब्बू की पत्नी आरती तिवारी मैदान थीं. वहीं बीएसपी ने राम सागर वर्मा और कांग्रेस ने शारदा देवी पर दांव लगाया था. SP और बीजेपी के दोनों बाहुबली तीसरी बार मैदान में थे. यहां पर बीजेपी और SP के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही थी, जिसमें SP ने बाजी मारी.
मिल्कीपुर सीट में बीजेपी की तरफ से बाबा गोरखनाथ मैदान में थे तो SP ने पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद पर दांव लगाया था, जबकि कांग्रेस ने बृजेश रावत और बीएसपी ने मीरा को चुनानी रण में उतारा था.
रूदौली सीट पर बीजेपी ने मौजूदा विधायक राम चंद्र यादव को, बीएसपी ने SP के बागी अब्बास अली उर्फ रूश्दी मियां को तो वहीं SP ने आनंद सेन को सियासी मुकाबले के लिए मैदान पर उतारा था. रूदौली क्षेत्र को यादव और मुस्लिम मतदाताओं का गढ़ माना जाता है.
पिंडरा विधानसभा सीट पर पिछली बार बीजेपी के टिकट पर डॉ अवधेश सिंह को जीत मिली थी. इस बार कांग्रेस के टिकट पर चार बार के विधायक रहे अजय राय चुनाव लड़ रहे थे.
अजगरा विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. पिछले चुनाव में यहां से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने जीत हासिल की थी. सुभासपा के कैलाश नाथ सोनकर ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार लालजी सोनकर को हराया था. बीएसपी के त्रिभुवन राम तीसरे नंबर पर थे. अजगरा सीट से इस बार बीजेपी ने त्रिभुवन राम को उम्मीदवार बनाया था. जबकि सुभासपा ने सुनील सोनकर पर दांव लगाया था.
शिवपुर विधानसभा सीट से योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर यहां से विधायक थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के आनंद मोहन यादव को लगभग 54 वोटों से हराया था. इस बार भी बीजेपी से अनिल राजभर मैदान में थे. वहीं पिछली बार बीजेपी के साथ रहने वाले ओमप्रकाश राजभर इस बार सपा के साथ थे. सपा-सुभासपा ने अरविंद राजभर को मैदान में उतारा था.
2017 में रोहनिया विधानसभा सीट पर बीजेपी के सुरेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने सपा के महेंद्र सिंह को हराया था. चुनावी गठबंधन के तहत इस बार यह सीट बीजेपी ने सहयोगी दल अपना दल (एस) को दी थी. पटेल बाहुल्य इस सीट पर चार राजनीतिक दलों ने पटेल जाति के उम्मीदवारों को ही टिकट दिया थी. अपना दल (एस) से डॉ सुनील पटेल, अपना दल (कमेरावादी) से अभय पटेल, कांग्रेस ने राजेश्वर पटेल मैदान पर थे. वहीं बसपा ने अरुण पटेल पर दांव खेला था.
पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की उत्तरी सीट पर योगी सरकार के मंत्री रवींद्र जायसवाल बीजेपी की तरफ से मैदान में थे. यहां सपा से अशफाक अहमद, कांग्रेस की तरफ से गुलराना तबस्सुम और श्याम प्रकाश राजभर बसपा की तरफ से मैदान पर थे.
काशी विश्वनाथ मंदिर समेत लगभग सभी चर्चित मंदिर इसी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं. 1989 से इस सीट पर बीजेपी का राज रहा है. बीजेपी के श्यामदेव राय चौधरी लगातार सात बार यहां से विधायक रहे. वहीं पिछली बार पार्टी को यह सीट दिलाने वाले डाॅ नीलकंठ तिवारी को योगी ने मंत्री बनाया था. इस बार वे फिर से मैदान में थे उनके सामने सपा से किशन दीक्षित थे. किशन बनारस के महंत परिवार से हैं. पिछले चुनाव में नीलकंठ तिवारी बनारस की सभी सीटों में सबसे कम वोटों से जीतने वाले प्रत्याशी थे.
वाराणशी शहर सीट पर बीजेपी का लंबे समय से दबदबा रहा है. जनसंघ के नेता रहे हरीश चंद्र श्रीवास्तव की पत्नी ज्योत्सना श्रीवास्तव ने 1991 में इस सीट से चुनाव लड़ा था और जीती भी थीं. उसके बाद लगातार इस सीट पर उन्हीं के परिवार का वर्चस्व रहा है. इस सीट पर चार बार ज्योत्सना श्रीवास्तव और दो बार हरीश चंद्र श्रीवास्तव विधायक हुए. 2017 में उनके बेटे सौरभ श्रीवास्तव इस सीट से निर्वाचित हुए और इस बार भी वही प्रत्याशी थे. सपा ने पूजा यादव पर तो कांग्रेस ने राजेश कुमार मिश्रा को मैदान पर उतारा था.
सेवापुरी सीट ग्रामीण क्षेत्र सीट है. पिछली बार बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल (एस) के नील रतन सिंह यहां से विधायक थे. इस बार भी पार्टी ने उन्हीं पर भरोसा जताया था.वहीं समाजवादी पार्टी ने सुरेन्द्र सिंह पटेल को मैदान पर उतारा था.
मथुरा जिले की छाता विधानसभा सीट पर बीजेपी ने चौधरी लक्ष्मी नारायण पर, सपा-रालोद ने तेजपाल सिंह पर दांव लगाया था तो वहीं बसपा से सोनपाल सिंह और कांग्रेस से पूनम देवी मैदान पर थे.
बलदेव विधानसभा से बीजेपी की ओर से पूरन प्रकाश जाटव, बसपा से अशोक कुमार सुमन, सपा- रालोद से बबिता देवी और कांग्रेस की तरफ से विनेश कुमार बाल्मीकि मैदान पर थे.
गोवर्धन विधानसभा सीट पर बीजेपी से मेघश्याम, बसपा से राजकुमार रावत, सपा से प्रीतम सिंह और कांग्रेस से दीपक चौधरी अपनी किस्मत आजमा रहे थे.
मथुरा सीट पर बीजेपी ने मंत्री श्रीकांत शर्मा तो सपा से पूर्व विधायक देवेंद्र अग्रवाल पर दांव लगाया था. वहीं कांग्रेस से पूर्व विधायक प्रदीप माथुर मैदान पर थे. जबकि बसपा ने एस के शर्मा को मैदान पर उतारा था.
मांट विधानसभा सीट पर बीजेपी से राजेश चौधरी, बसपा से श्यामसुंदर शर्मा, कांग्रेस से सुमन चौधरी और सपा से संजय लाठर मैदान पर थे.
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