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अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी (US Speaker Nancy Pelosi) ने हाल ही में ताइवान (Taiwan) का दौरा किया. इसके बाद चीन की बौखलाहट देखने को मिली. नैंसी पेलोसी की यात्रा के ठीक एक दिन बाद चीन ने ताइवान से सटे इलाके में अपना सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू किया. ताइवान को लेकर चीन परेशान है, आइए जानते हैं आखिर क्याें इतना खास है ताइवान.
दक्षिण चीन सागर में पहले से ही चीन का बड़ा प्रभुत्व है, ऐसे में अगर ताइवान भी चीन में जुड़ जाएगा तो चीन की सैन्य ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी, जिसकी वजह से वैश्विक सप्लाई चेन और कारोबार में महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलेगी.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जापान के दक्षिण से होकर एक प्रकार की भौगोलिक रुकावट गुजरती है, जो ताइवान, फिलीपींस होते हुए दक्षिण चीन सागर तक जाती है. यह शीत युद्ध का कॉन्सेप्ट है. द्वीपों की इस पहली शृंखला (फर्स्ट चेन आइलैंड) के देश अमेरिका के सहयोगी हैं और ये उनकी विदेश नीति के लिए काफी अहम हैं. चीन मानता भी है कि वो सामरिक लिहाज से इस ओर से घिरा हुआ है. इसी चलते इस क्षेत्र में ताइवान की स्थिति चीन और पश्चिमी देशों के लिए वैश्विक राजनीति के लिए बहुत काफी अहम है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर ताइवान को चीन अपना हिस्सा बना लेता है तो प्रशांत क्षेत्र में वह अपना प्रभाव और ज्यादा बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा.
दक्षिणी और पूर्वी सागर में हो सकने वाले किसी भी टकराव को रोकने के लिए ताइवान एक अहम लिंक है.
प्रशांत क्षेत्र के गुयाम और हवाई में मौजूद अमेरिकी सैन्य अड्डे भी सुरक्षित नहीं रह जाएंगे.
सेमीकंडक्टर चिप के मामले में ताइवान दुनिया भर में अग्रणी है. अगर इस पर चीन का कब्जा हो जाएगा तो चिप का उद्योग प्रभावित होगा. घड़ियों से लेकर कंप्यूटर, लैपटॉप तक कई गैजेट्स में इन चिप का इस्तेमाल होता है. चिप और सेमीकंडक्टर तक पहुंच बाधित हो जाएगी.
अमेरिका के ऊपर ताइवान की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. चीन ने ताइवान के नियंत्रण वाले कुछ द्वीपों पर 1954-55 और 1958 में बमबारी की थी तब अमेरिका को बीच में आना पड़ा था. तब अमेरिकी कांग्रेस फारमोसा प्रस्ताव लेकर आयी थी, जिसके अनुसार तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति को ताइवान की रक्षा के लिए अधिकृत किया गया था. वहीं 1995-96 में जब चीन ने ताइवान के आस-पास के समुद्रों में मिसाइलों का परीक्षण शुरू किया तब वियतनाम युद्ध के बाद से इस क्षेत्र में सबसे बड़ी अमेरिकी सेना भेजी गई थी.
ताइवान के चारों तरफ किसी भी देश की सीमा नहीं है क्योंकि यह एक द्वीपीय देश है, जो चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग 100 मील दूर है. यह पश्चिमोत्तर प्रशांत महासागर में पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के जंक्शन पर स्थित है. ताइवान का कुल क्षेत्रफल 36,197 वर्ग किलोमीटर है. द्वितीय विश्व युद्ध तक ताइवान को फारमोसा के नाम से भी जाना जाता था. ताइवान द्वीप को ताइवान जलडमरूमध्य द्वारा चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से अलग किया गया है. ताइवान के भूभाग को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है. पहला, पश्चिम में समतल से धीरे-धीरे लुढ़कने वाले मैदान, जहां 90% आबादी रहती है और दूसरा, पूर्वी हिस्सा जहां दो-तिहाई में ज्यादातर पहाड़ी इलाके हैं. ताइवान हांगकांग के उत्तर-पूर्व में, फिलीपींस के उत्तर में और साउथ कोरिया के दक्षिण में और जापान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
ताइवान को रिपब्लिक ऑफ चाइना के नाम से भी जाना जाता है.
राजधानी : ताइपे सिटी
क्षेत्रफल : 36, 197 वर्ग किलोमीटर
लंबाई : 394 किलोमीटर
चौड़ाई : 144 किलोमीटर
कृषि भूमि : 7,930 वर्ग किलोमीटर
सबसे ऊंची चोटी : जाडे माउंटेन (3,952 मीटर)
औसत तापमान : 22 डिग्री सेल्सियल (जनवरी 180C जुलाई 290C )
प्रमुख भाषाएं : मंदारिन (आधिकारिक), होलो (ताइवानीज), हक्का
कुल आबादी (जनसंख्या) : लगभग 23.5 मिलियन (जून 2021)
प्रमुख धर्म : 35% बौद्ध, 33% ताओ इनके अलावा इस्लाम और इसाई भी हैं
मुद्रा : न्यू ताइवान डॉलर (NT$)
राष्ट्रीय फूल : प्लम ब्लॉसम
राष्ट्रपति : त्साई इंग-वेन
ताइवान में फर्न की 800 से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं.
जापान और फिलीपींस के बीच पश्चिम प्रशांत में ताइवान स्थित है. ताइवान का अधिकार क्षेत्र पेन्घु, किनमेन और मात्सु के द्वीपसमूह के साथ-साथ कई अन्य द्वीपों तक फैला हुआ है. यहां प्राकृतिक भव्यवता है.
ताइवान खुद को एक आजाद देश मानता है. उसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है. ताइवान का राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति हर चार साल में सीधे तौर पर चुना जाता है. ताइवान के विधायी चुनावों में प्रत्येक मतदाता अपने जिले और दूसरी बड़ी सीटों के लिए एक-एक बैलेट मतदान करता है.
यहां सरकार का प्रमुख राष्ट्रपति होता है, यह सेना का भी कमांडर होता है. राष्ट्रपति सरकार की 4 शाखाओं के प्रमुखों को नियुक्त करता है. ताइवान में कुओमिन्तांग (KMT) और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) प्रमुख राजनीतिक पार्टी हैं. विधानमंडल में मौजूद अन्य प्रमुख दलों में ताइवान पीपुल्स पार्टी, न्यू पावर पार्टी और ताइवान स्टेटबिल्डिंग पार्टी शामिल हैं.
ताइवान भले ही आकार के हिसाब से छोटा सा देश है लेकिन इसकी अर्थव्यवस्था काफी मजबूत है. यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. दुनिया के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उद्योग में यह एक अहम खिलाड़ी है.
वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन यानी विश्व व्यापार संगठन के अनुसार, ताइवान 2020 में गुड्स का 15वां सबसे बड़ा निर्यातक और 18वां सबसे बड़ा आयातक था. 2020 में ताइवान की प्रति व्यक्ति जीडीपी 28,371 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई थी. नॉमिनल जीडीपी की बात करें तो यह देश स्विटजरलैंड और पोलैंड के करीब है.
ताइवान की अर्थव्यवस्था में सर्विस सेक्टर का वर्चस्व है, जीडीपी में इसका योगदान 60 फीसदी से ज्यादा का है. 2020 के आंकड़ों के अनुसार यहां की जीडीपी में इंडस्ट्री सेक्टर का योगदान 36 फीसदी से अधिक का है जबकि एग्रीकल्चर सेक्टर का योगदान 2 फीसदी से कम (1.56%) है.
विदेशी मुद्रा भंडार : 529.9 बिलियन यूएस डॉलर
कुल ट्रेड : 631 बिलियन यूएस डॉलर
इंपोर्ट : 345.2 बिलियन यूएस डॉलर
एक्सपोर्ट : 285.8 बिलियन यूएस डॉलर
ट्रेड बैलेंस : 59.4 बिलियन यूएस डॉलर सरप्लस
(आंकड़े 2020 के अनुसार)
ताइवान दुनिया के शीर्ष विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों में शामिल है. मई 2022 तक इसके विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 548 बिलियन यूएस डॉलर थे, जिसकी वजह से दुनिया का 6वां सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश था. इसका विदेशी मुद्रा भंडार जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है.
ताइवान की अर्थव्यवस्था दुनिया के लिए काफी मायने रखती है. रोजमर्रा इस्तेमाल होने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसे फोन, लैपटॉप, घड़ियों और गेमिंग उपकरणों में जो सेमीकंडक्टर चिप लगती हैं, वे ज्यादातर ताइवान में बनती हैं. इस चिप के मामले में ताइवान फिलहाल दुनिया की बहुत बड़ी जरूरत है. अकेले ताइवान की एक ही कंपनी- ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी या TSMC ही दुनिया भर की कुल सेमीकंडक्टर चिप का आधे से ज्यादा (65 फीसदी) का प्रोडक्शन करती है. 2021 में दुनिया का चिप उद्योग करीब 100 अरब डॉलर का था और इस पर ताइवान का दबदबा रहा है.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज (IISS) की मिलिट्री बैलेंस 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान के पास 1,69,000 की एक्टिव फोर्स (सैनिक) है जिसमें से ग्राउंड फोर्स 94000, नेवी फोर्स 40000 और एयरफोर्स 35000 की है. वहीं रिजर्व फोर्स का आंकड़ा 16,57,000 का है. ताइवान के पास 650 टैंक्स हैं, 504 से ज्यादा एयरक्राफ्ट हैं, 4 सबमरीन हैं, 26 नेवल शिप और 2093 अर्टिलरी हैं.
ग्लोबल फायर पावर 2022 के आंकड़ों के अनुसार ताइवान के पास 741 एयरक्राफ्ट, 288 फाइटर एयरक्राफ्ट, 208 हेलिकॉप्टर, 91 अटैक हेलिकॉप्टर, 3472 बख्तरबंद वाहन, 37 एयरपोर्ट्स, 6 पोर्ट और टर्मिनल हैं.
विवाद की सबसे बड़ी वजह ताइवान पर नियंत्रण की है. चीन हमेशा से ताइवान को एक ऐसे प्रांत के तौर पर देखता है जो उससे अलग हो गया है. चीन 'एक चीन की नीति' यानी 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करता है. इसलिए चीन का मानना है कि आगे चलकर ताइवान फिर से उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं ताइवान खुद को एक आजाद मुल्क के तौर पर देखता है. बीबीसी के अनुसार फिलहाल दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग और संप्रभु देश मानते हैं. दूसरे देशों पर ताइवान को मान्यता न देने के लिए चीन का काफी कूटनीतिक दबाव रहता है.
ताइवान के लगभग 15 देशों के साथ राजनयिक संबंध हैं. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ के देशों, जापान एवं न्यूजीलैंड जैसे कई अन्य देशों के साथ भी इसके अनौपचारिक संबंध हैं. ताइवान के पास लगभग 38 अंतर-सरकारी संगठनों और उनके सहायक निकायों की पूर्ण सदस्यता है, जिसमें विश्व व्यापार संगठन (WTO), एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) और एशियाई विकास बैंक (ADB) शामिल हैं.
दोनों देशों के बीच हालिया संघर्ष तब देखने को मिला जब चीन ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की थी. ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में चीन अपने लड़ाकू विमान भेजकर उस पर दबाव बनाने की कोशिश करता रहा है. अक्टूबर 2021 में एक ही दिन में चीन के 56 विमानों के ताइवानी इलाके में दाखिल होने की जानकारी ताइवान ने दी थी. ताइवान के रक्षा मंत्री के बयान के अनुसार 'चीन के साथ उसके संबंध पिछले 40 सालों में सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं.'
चीन और ताइवान का अलगाव लगभग दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हुआ. दरअसल ताइवान 1642 से 1661 तक नीदरलैंड्स की कॉलोनी था. उसके बाद चीन का क्विंग राजवंश वर्ष 1683 से 1895 तक ताइवान पर शासन करता रहा. 1895 में जापान के हाथों चीन की हार के बाद ताइवान, जापान के हिस्से में आ गया. दूसरे विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद अमरीका और ब्रिटेन ने तय किया कि ताइवान को उसके सहयोगी और चीन के बड़े राजनेता और मिलिट्री कमांडर चैंग काई शेक को सौंप देना चाहिए. उस समय चैंग की पार्टी का चीन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण था. लेकिन कुछ सालों बाद चैंग काई शेक की सेनाओं को कम्युनिस्ट सेना से हार का सामना करना पड़ा. तब चैंग और उनके सहयोगी चीन से भागकर ताइवान चले आए, इसके बाद कई वर्षों तक 15 लाख की आबादी वाले ताइवान पर उनका प्रभुत्व रहा.
1642 से 1661 : ताइवान, नीदरलैंड्स की कॉलोनी था.
1683 : यह द्वीप चीन के क्विंग (Qing) राजवंश के अधीन रहा.
1895 : पहले चीन-जापान युद्ध में चीन की हार हुई और ताइवान को जापान को सौंप दिया गया.
1945 : जापान की द्वितीय विश्व युद्ध में हार के बाद ताइवान में चीनी नियंत्रण की वापसी हुई.
1947 : तत्कालीन राष्ट्रवादी सैनिकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी. ताइवान में लगभग 20,000 लोगों का नरसंहार हुआ था इसे 228 घटना के नाम से जाना जाता है.
1949 : माओत्से तुंग की कम्युनिस्ट ताकतों से राष्ट्रवादी नेता चैंग काई शेक गृहयुद्ध हार गए और ताइवान भाग गए. इसके उन्होंने अपनी मौत तक (1975) इस द्वीप पर शासन किया.
1950 और 1960 का दौर : ताइवान में तीव्र औद्योगिक विकास हुआ.
1971: संयुक्त राष्ट्र ने कम्युनिस्ट चीन को पूरे देश की एकमात्र सरकार के तौर पर मान्यता दी. पीपुल्स रिपब्लिक ने चीन की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सीट संभाली.
1986 : ताइवान में पहली विपक्षी पार्टी, डेमोक्रैटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) की स्थापना हुई.
1987 : ताइवान ने लगभग चार दशकों के मार्शल लॉ को हटाया और चीन की यात्रा पर लगे प्रतिबंध में ढील दी
1991 : चुनावों में डीपीपी ने ताइवान की आजादी को अपने संविधान का हिस्सा बनाया. पार्टी संविधान के मुताबिक, ताइवान संप्रभु है और पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का हिस्सा नहीं है.
2000 : मतदाताओं ने पहली बार डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी को सत्ता सौंपी और इस तरह से ताइवान में पांच दशक से अधिक के राष्ट्रवादी शासन (KMT की सत्ता) को समाप्त किया.
2001 : ताइपे ने चीन के साथ सीधे तौर पर ट्रेड और इंवेस्टमेंट पर लगाए गए बैन को खत्म किया.
2002 : ताइवान WTO का सदस्य बना. इसके कुछ सप्ताह पहले ही चीन को WTO में एंट्री मिली थी.
2003 : ताइवान ने ताइपे 101 नाम की इमारत को शुरु किया. यह उस समय दुनिया की ऊंची (508 मीटर) बिल्डिंग थी.
2007 : ऐसे समाचार मिले कि ताइवान ने शंघाई या हांगकांग को मारने में सक्षम क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है.
2015 : सिंगापुर में चीन और ताइवान के राष्ट्रपति की मुलाकात हुई. 66 वर्षों में दोनों मुल्कों के शीर्ष पदों के बीच यह पहली मुलाकात थी.
ताइपे 101- यह 2004 से 2009 तक दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग थी. इसकी ऊंचाई 508.2 मीटर है. इसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते थे.
नेशनल पीस म्यूजियम : यहां प्राचीन चीन के शाही आर्टवर्क और आर्टिफैक्ट का विशाल संग्रह है.
सन मून लेक : यह झील नान्टौ काउंटी में स्थित है, यह ताइवान की सबसे बड़ी वाटर बॉडी है. लुंगशान मंदिर : यह 18वीं सदी का प्रसिद्ध चीनी मंदिर है. यह ताइपे का सबसे पुराना मंदिर है, कई बार भूकंप में टूटा लेकिन फिर इसे खड़ा किया गया.
शिलिन नाइट मार्केट : इसे ताइवान का सबसे प्रसिद्ध नाइट मार्केट कहा जाता है.
इंटरनेशनल बैलून फेस्टिवल : ताइवान इंटरनेशनल बैलून फेस्टिवल एक हॉट-एयर बैलून फेस्टिवल है जो ताइतुंग काउंटी के लुये हाइलैंड में आयोजित किया जाता है.
डोम ऑफ लाइट : रंगीन कांच के अलग-अलग टुकड़ों से बना दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक कला प्रतिष्ठान है, यह काऊशुंग में फॉर्मोसा बुलेवार्ड मेट्रो स्टेशन में स्थित है. हाई-माउंटेन चाय : यह अपने जटिल स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है. यह मध्य ताइवान के पहाड़ों में 1,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर उगाई जाती हैं.
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