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रविवार, 27 अगस्त को दिल्ली जाने वाली फ्लाइट में एक दो साल की बच्ची की सांसें हवा में रुक गईं. हालांकि, घटनाओं के एक चमत्कारी मोड में, उसी उड़ान में यात्रा कर रहे पांच डॉक्टरों की एक टीम ने उसकी जान बचा ली.
इस घटना को याद करते हुए, 'ऑपरेशन' का नेतृत्व करने वाली AIIMS, एनेस्थीसिया की सीनियर रेजिडेंट डॉ. नवदीप कौर ने फिट को बताया, "जब मैंने बच्ची का मूल्यांकन किया, तो वह प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी और उसकी नाड़ी भी नहीं चल रही थी. उसे कार्डियक अरेस्ट हुआ था. इस समय मेरा आकलन यह था कि मुझे पुनर्जीवन के लिए तुरंत हस्तक्षेप करना होगा."
यह घटना रविवार को विस्तारा एयरलाइन की उड़ान यूके-814 में हुई. डॉ. नवदीप कौर ने कहा, "प्रस्थान के लगभग आधे घंटे बाद, हमें केबिन क्रू से एक इमरजेंसी कॉल मिली, जिसमें पूछा गया कि क्या कोई डॉक्टर जहाज पर उपलब्ध है."
16 महीने की इस बच्ची को जन्मजात हृदय की समस्या थी, उसे उड़ान के दौरान कार्डियक अरेस्ट हुआ और वह बेहोश हो गई.
एक एनेस्थीसिया और गहन देखभाल विशेषज्ञ के रूप में, डॉ. कौर ने स्थिति की जिम्मेदारी संभाली और चार डॉक्टरों की टीम के साथ बच्ची को बचाने में लग गईं.
"हमने चालक दल के सदस्यों से अपने सभी चिकित्सा उपकरण (medical equipment) लाने के लिए कहा." और इस तरह शुरू हुआ घंटे भर का 'ऑपरेशन'.
AIIMS दिल्ली द्वारा X माइक्रोब्लॉगिंग साईट पर किए गए पोस्ट के अनुसार, बच्चे की जान बचाने वाले डॉक्टर थे,
डॉ नवदीप कौर (सीनियर रेजिडेंट एनेस्थीसिया)
डॉ दमनदीप सिंह (सीनियर रेजिडेंट कार्डियक रेडियोलॉजी)
डॉ. ऋषभ जैन (पूर्व सीनियर रेजिडेंट एम्स रेडियोलॉजी)
डॉ ओइशिका (सीनियर रेजिडेंट ओबीजी)
डॉ अविचला टैक्सक (सीनियर रेजिडेंट कार्डियक रेडियोलॉजी)
डॉक्टरों का समूह बेंगलुरु में इंडियन सोसाइटी ऑफ वैस्कुलर एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी (आईएसवीआईआर) के एक सम्मेलन से लौट रहा था.
हालांकि, 28 वर्षीय डॉ. कौर अपनी नौकरी पर आपातकालीन स्थितियों का सामना करने की आदी थीं, लेकिन इस विशेष स्थिति ने अद्वितीय चुनौतियां पेश कीं और उन्होंने हालत को देखते हुए बिना समय गवाए जरुरी कदम उठाए.
"हमने आपातकालीन किट का मूल्यांकन किया. मुझे एक फेस मास्क की आवश्यकता थी, लेकिन जो उपलब्ध था वह वयस्क आकार का था. एक ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध था, लेकिन हमें इसे जोड़ने के लिए एक पाइप की आवश्यकता थी. हमने उस पाइप का उपयोग किया जो आपातकालीन किट के साथ आता है. हमने इसे काटने के लिए कुछ कटलरी का उपयोग किया और इसे सिलेंडर से एएमबीयू में ठीक किया. " डॉ. नवदीप कौर ने बताया.
उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे बच्चे की स्थिति का आकलन करने के लिए मॉनिटर नहीं होने से चीजें और भी मुश्किल हो गईं.
डॉ. कौर ने कहा, "मुझे नहीं पता था कि उसका ईसीजी, या उसकी ऑक्सीजन सैचुरेशन कितनी कम थी."
उस समय उसके दिमाग में क्या चल रहा था?
"मैं केवल इस बारे में सोच रही थी कि मुझे आगे क्या करना चाहिए और हमारे पास जो चीजें हैं उनका मैं कैसे उपयोग कर सकती हूं." उन्होंने कहा.
उन्होंने कहा कि एक चीज जो उन्हें हमेशा सिखाई गई है वह यह है कि जब भी आप संकट की स्थिति में हों, तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खुद को शांत रखें ताकि आप अपने पास मौजूद नॉलेज का उपयोग कर सकें.
उन्होंने कहा, "मेरे पास डॉक्टरों की पूरी टीम थी और हमारे बीच समन्वय होने से बहुत में मदद मिली." लगभग 20 मिनट के पुनर्जीवन के बाद, वह बताती है, "हम नाड़ी को महसूस कर सकते थे. लेकिन फिर हमने इसे खो दिया और बच्ची फिर से गिरफ्त में आ गई."
तब उन्होंने निर्णय लिया कि लैंड करने की आवश्यकता है, क्योंकि बच्चे का इंट्यूबेशन महत्वपूर्ण था.
डॉक्टरों की टीम ने पायलट से बात की और फ्लाइट को नागपुर में इमरजेंसी लैंडिंग के लिए रूट बदला गया.
नागपुर में उतरने पर, बच्ची को एक इंतजार करते एम्बुलेंस को सौंप दिया गया, और वे उसे इंट्यूबेट करने में सक्षम हुए.
डॉ. नवदीप कौर ने कहा, "ऑक्सीजन सैचुरेशन कम था, लेकिन हृदय गति बनी हुई थी." वे उसे स्थिर करने में कामयाब रहे थे.
उन्होंने फिट को बताया कि जटिल जन्मजात समस्या के अलावा, उसके दिल में कई दूसरी समस्या हैं, साथ ही उसके शरीर में दूसरी समस्याएं भी हैं, और हाल ही में उसका केवल एक ही इलाज किया गया था.
उन्होंने कहा कि उसके माता-पिता परेशान हैं लेकिन अस्पताल द्वारा समय-समय पर उनकी काउंसलिंग की जा रही है. "हम उन्हें सहायता प्रदान करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं."
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