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टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई द्वारा किए गए एक ऐतिहासिक भारतीय अध्ययन के अनुसार, एक लोकल एनेस्थीसिया दवा (लिडोकेन) के साथ सरल, कम लागत वाला इंटरवेंशन ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी के बाद मरीजों के सर्वाइवल रेट को बढ़ा सकता है.
अध्ययन के परिणाम सोमवार, 12 सितंबर को पेरिस में वार्षिक यूरोपियन सोसाइटी ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी (ESMO) कांग्रेस में टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ राजेंद्र बडवे द्वारा प्रस्तुत किए गए थे.
शोधकर्ताओं के अनुसार, इस अध्ययन के निष्कर्ष ब्रेस्ट कैंसर ट्रीटमेंट के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं, क्योंकि यह सस्ता है और अतिरिक्त विशेषज्ञता के बिना आसानी से प्रशासित किया जा सकता है.
यहां अध्ययन के तरीके के बारे में अधिक जानकारी दी गई है.
यह 2011 और 2022 के बीच 11 वर्षों में आयोजित एक रैंडमाइज्ड कन्ट्रोल्ड ट्रायल था.
इसमें मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर सहित भारत के 11 कैंसर केंद्र शामिल थे.
अध्ययन में 1,600 महिलाओं ने भाग लिया.
ये सभी शुरुआती स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएं थीं, जिनका इलाज सर्जरी से करने की योजना थी.
इनमें से 800 प्रतिभागियों को कंट्रोल ग्रुप में रखा गया और बिना किसी हस्तक्षेप के रेगुलर सर्जरी की गई.
इंटरवेंशन में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले लोकल एनेस्थीसिया एजेंट, 0.5 परसेंट लिडोकेन, का इंजेक्शन रोगी को सर्जरी से पहले दिया जाता है.
इंजेक्शन, सर्जरी से ठीक पहले, ट्यूमर के पास लगाया जाता है.
ट्रायल ग्रुप के सभी रोगियों को इंजेक्शन दिए जाने के बाद कंट्रोल ग्रुप के समान सर्जरी और पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल दी गई.
अध्ययन के प्रतिभागियों को उनकी सर्जरी के बाद वर्षों तक फॉलो किया गया ताकि परीक्षण में शामिल लोगों और नियंत्रण समूह के लोगों के बीच रिकवरी की दर की तुलना की जा सके.
अध्ययन में पाया गया,
छह साल बाद, इंटरवेंशन प्राप्त करने वाले ट्रायल ग्रुप में ओवरऑल सर्वाइवल रेट 89.9% थी, और कंट्रोल ग्रुप में 86.2% थी.
कंट्रोल ग्रुप में 81.7% की तुलना में ट्रायल ग्रुप में 6 वर्षों में डिजीज-फ्री सर्वाइवल रेट 86.1% थी.
सर्वाइवल रेट में वृद्धि के अलावा, अध्ययन में यह भी पाया गया कि हस्तक्षेप से, ट्रीट्मेंट के वर्षों बाद तक रोगियों में डिसेमिनेटेड स्टेज 4 मेटास्टेटिक कैंसर का जोखिम कम था.
लोकल एनेस्थीसिया प्राप्त करने वाले ट्रायल ग्रुप में दोबारा कैंसर होने के जोखिम में 26 प्रतिशत की रिलेटिव कमी देखी गई.
इसे प्राप्त करने वाले रोगियों में लिग्नोकेन से कोई टॉक्सिसिटी या दुष्प्रभाव नहीं देखा गया.
अध्ययन के लेखकों के अनुसार, इस इंटरवेंशन का मुख्य लाभ यह है कि इंजेक्शन के लिए किसी अतिरिक्त विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है, यह सस्ता है, और आसानी से उपलब्ध है.
अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी कीमत प्रति मरीज 100/- रुपये से भी कम होगी. इसकी तुलना अगर ब्रेस्ट कैंसर ट्रीट्मेंट में इस्तेमाल होने वाले अन्य कॉमन टारगेटेड दवाओं से करें, तो उनकी कीमत प्रति रोगी दस लाख से भी अधिक हो सकती है.
भारत जैसे देश में, लॉजिस्टिक्स में आसानी और हस्तक्षेप की कम लागत इसे ब्रेस्ट कैंसर ट्रीट्मेंट में एक गेम चेंजर बना सकता है.
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