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World Breastfeeding Week: अगस्त के पहले हफ्ते यानी कि 1 से 7 अगस्त तक हर साल दुनिया भर में वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार एक मां को अपने बच्चे को जन्म के बाद पहले 6 महीने तक केवल दूध पिलाना चाहिए और ठोस आहार शुरू करने के बाद भी एक साल तक दूध पिलाते रहना चाहिए, बशर्ते मां और बच्चा दोनों इसके साथ कम्फर्टेबल हों.
WHO के अनुसार, बच्चे को 2 साल की उम्र तक स्तनपान कराना चाहिए. इसके ऊपर लोगों की अलग-अलग राय है, लेकिन सब मानते हैं कि जन्म के कुछ महीनों बाद तक स्तनपान कराना बच्चे और मां दोनों के लिए आवश्यक और लाभदायक होता है. लेकिन बहुत सी माताएं स्तनपान को लेकर अनिश्चित और भ्रमित हैं.
आज, हम मां और बच्चे के लिए स्तनपान के लाभों के बारे में जानते हैं.
WHO के अनुसार, बच्चे को केवल मां का दूध पिलाने के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जिसमें बीमारियों से बचने की क्षमता भी शामिल है.
पबमेड सेंट्रल के अनुसार, स्तन का दूध बच्चे की रक्षा करने के साथ साइनस इन्फेक्शन, आंत में इन्फेक्शन, श्वसन रोग, एसआईडीएस (सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम), डायबिटीज, बाउल डिजीज और अन्य एलर्जी होने की संभावना को कम कर सकता है.
स्तनपान बच्चे को मोटापा से बचाता है और स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करता है. यूएस एनआईएच के अनुसार, जिन बच्चों को जन्म के बाद कम से कम 4 महीने तक स्तनपान कराया जाता है, उनमें मोटापे का रिस्क कम होता है. ऐसा विभिन्न आंत बैक्टीरिया के विकास के कारण होता है, जो फैट स्टोर करने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं.
जिन शिशुओं को स्तनपान कराया जाता है, उनके सिस्टम में लेप्टिन होता है, जो भूख को नियंत्रित करने और फैट के संचय के लिए जिम्मेदार एक हार्मोन है. इन बच्चों के खाने के पैटर्न भी स्वस्थ होते हैं.
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा होशियार बने. अगर कोई बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से बेहतर स्कोर करता है या अधिक होशियार लगता है, तो यह स्तनपान के कारण हो सकता है. स्तनपान करने वाले शिशु अक्सर फॉर्मूला दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में अधिक चालाक होते हैं, क्योंकि स्तनपान, बच्चे और मां के बीच स्पर्श, नजदीकी और आई कॉन्टैक्ट से बच्चे के मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देता है.
यह न केवल मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालता है बल्कि व्यवहार संबंधी समस्याओं, सीखने की कठिनाइयों या विकास संबंधी समस्याओं को भी रोकता है.
माताएं अक्सर अपने बच्चों को दूध पिलाने के बारे में भ्रमित या डरी हुई होती हैं या इस बारे में चिंतित होती हैं कि यह प्रक्रिया शरीर या उनके वजन को कैसे प्रभावित कर सकती है.
अच्छी खबर यह है कि स्तनपान माताओं के लिए वजन घटाने का प्राकृतिक तरीका है, हालांकि ऐसा हमेशा नहीं होता और कुछ माताओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिखता है. स्तनपान कराने वाली महिलाएं एक दिन में लगभग 500 कैलोरी बर्न करती हैं, जो कि 45 मिनट के मीडियम इन्टेन्सिटी वर्काउट (पबमेड सेंट्रल) के बराबर है.
वजन घटाने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए माताओं को मीठे या अस्वास्थ्यकर खाने से बचना चाहिए और अपने आहार में उच्च प्रोटीन और उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए.
यूएस एनआईएच के अनुसार, पोस्टपार्टम डिप्रेशन 80% महिलाओं में आम है और यह इमोशनल डिस्ट्रेस की एक छोटी अवधि के साथ शुरू हो सकता है, जिसे 'बेबी ब्लूज़' कहा जाता है. पहले, लोगों को लगता था कि थकान, कम ऊर्जा या खराब मूड के कारण स्तनपान में समस्या हो सकती है.
बाद में, विशेषज्ञों ने पाया कि स्तनपान में परेशानी और डिप्रेशन दोनों एक दूसरे का कारण हो सकते हैं. इसका मतलब है कि स्तनपान न कराने से डिप्रेशन की संभावना बढ़ सकती है.
इसके अलावा, जिन माताओं ने अपने बच्चों को स्तनपान कराया, उनमें पोस्टपार्टम डिप्रेशन की संभावना कम होती है.
PAHO और WHO के अनुसार, जो माताएं स्तनपान नहीं कराती हैं, उनमें स्तन कैंसर का खतरा 3% और ओवेरियन कैंसर का जोखिम 27% बढ़ जाता है. इसलिए, माताओं को नीचे दो गई दीर्घकालिक बीमारियों से खुद को बचाने के लिए स्तनपान को ध्यान में रखना चाहिए:
हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड फैट
अर्थराइटिस
हार्ट डिजीज
टाइप-2 डायबिटीज
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Published: 11 Apr 2022,04:11 PM IST