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FAQ: क्या बच्चे के वैक्सीनेशन को लेकर चिंतित हैं? ये हैं आपके सवालों के जवाब

Vaccination एक आवश्यक स्वास्थ्य सेवा है, जो बच्चों को स्वस्थ जीवन प्रदान करती है.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>वैक्सीनेशन है बेहद जरुरी&nbsp;</p></div>
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वैक्सीनेशन है बेहद जरुरी 

(फोटो:iStock)

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भारत में हर साल 16 मार्च का दिन नैशनल वैक्सीनेशन डे (National Vaccination Day) के रूप में मनाते हैं. इस दिन को इम्यूनाइजेशन डे (Immunization day) भी कहते हैं.

कोरोना महामारी ने हमें वैक्सीनेशन का महत्व बखूबी समझाया है. इस वक्त हमारे देश में कोराना टीकाकरण अभियान चल रहा है और आज से 12-14 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन भी शुरू हो गया है.

इससे पहले इसी साल जनवरी में सरकार ने 15 साल से अधिक उम्र के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाने की अनुमति दी थी.

विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन, घातक और खतरनाक बीमारियों को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है. दुनिया भर में चलाए गए टीकाकरण अभियान की वजह से आज कई खतरनाक बीमारियां खत्म हो चुकी हैं.

इसलिए बच्चे के जन्म से अगले 5 महीने तक उन्हें कुछ जरूरी टीके जरुर लगवाने चाहिए, जिससे कि कई बीमारियों से बचाव के साथ-साथ उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ सके.

कोरोना वायरस की वजह से नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के माता-पिता देर से टीकाकरण और संभावित परिणामों के बारे में चिंतित हैं. वहीं 12 वर्ष की आयु से ऊपर के बच्चों के माता-पिता नई कोविड वैक्सीन को लेकर थोड़ी दुविधा में हैं.

आपके अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब के लिए फिट हिंदी ने मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के पीडीऐट्रिक डायरेक्टर, डॉ पी.एस. नारंग और फोर्टिस हॉस्पिटल्स के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल नागपाल से बातचीत की.

वैक्सीनेशन के लिए बच्चे को लेकर अस्पताल जाते समय माता-पिता को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

वेटिंग एरिया में भीड़ न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए फोन पर अपॉइंटमेंट लेकर ही अस्पताल जाएं. सुनिश्चित करें कि क्लिनिक में केवल एक अटेन्डन्ट ही आए. क्लिनिक में आने वाले हर व्यक्ति को मास्क पहनना चाहिए. कुछ जगह, क्लीनिक के अंदर जूते पहनने की अनुमति नहीं होती है. अब, अधिक से अधिक टीकाकरण कार्ड ऑनलाइन मिलते हैं, इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपडेट करना आजकल सबसे सुरक्षित है. डॉक्टर मास्क, दस्ताने पहनते हैं और सभी सावधानी बरतते हैं, जब वे बच्चे की शारीरिक जांच और उनका टीकाकरण करते हैं. 'न्यूनतम जोखिम, न्यूनतम स्पर्श, न्यूनतम हस्तक्षेप' हमारा ध्यान है.

हम कितने समय तक टीकाकरणों में देरी कर सकते हैं?

पहले 9 महीनों में दिए जाने वाले टीके, प्राथमिक टीके होते हैं और उन्हें एक समय सीमा से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. बूस्टर शॉट्स को कुछ समय के लिए टाल सकते हैं. बीसीजी, पोलियो, हेपेटाइटिस जन्म के समय दिए जाते हैं. पहले वर्ष में डीपीटी और पोलियो की 3 खुराक दी जाती हैं.

हम जन्म के 6 महीने बाद पहली खुराक शुरू करते हैं - इसमें अधिकतम 8 सप्ताह तक की देरी की जा सकती है. हमें खुराक के बीच एक महीने का अंतर रखना होता है. इस अंतराल को अधिकतम 2 सप्ताह तक बढ़ाया जा सकता है.

मीजल्स का टीका 9 से 12 महीने के बीच दिया जाता है.

फ्लू का टीका जन्म के छह महीने बाद दिया जाता है और इसे अधिकतम सात महीने से पहले पड़ जाना चाहिए. रोटावायरस वैक्सीन सात महीने से पहले देनी होती है. सात महीने बाद यह मदद नहीं करता है.

बच्चे के एक साल का हो जाने के बाद, हम और फ्लेक्सिबल हो सकते हैं, लेकिन इससे पहले, हमें बहुत सावधान रहना होगा कि टीके छूटने न दें.

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विलंबित टीकाकरण के लिए किन दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है?

यदि टीकाकरण में देरी होती है, तो हम WHO द्वारा तैयार किए गए चार्ट के आधार पर कैच-अप टीकाकरण कार्यक्रम का पालन करते हैं. इसके आधार पर, जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, हमें शॉट्स के बीच के अंतर को कम करना होता है, इसलिए यदि आवश्यकता 6 सप्ताह के अंतराल की है, तो हम उन्हें 4 सप्ताह में शॉट देते हैं.

दुनिया भर के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि टीकों में देरी से अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. WHO ने निम्नलिखित बयान जारी किया:

“टीकाकरण एक आवश्यक स्वास्थ्य सेवा है, जो वर्तमान कोविड-19 महामारी से प्रभावित हो सकती है. टीकाकरण सेवाओं में व्यवधान से, यहां तक ​​कि थोड़े समय के लिए भी, संवेदनशील व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि होगी और मीजल्स जैसे आउटब्रेक-प्रोन वैक्सिनेशन प्रीवेन्टेबल डिजीज (वीपीडी) की संभावना बढ़ जाएगी.

क्या साथ में एक से ज्यादा शॉट लगवा सकते हैं?

बेसिक टीके जन्म के समय दे दिए जाते हैं. कोविड महामारी के डर के कारण माता-पिता छोटे बच्चों को ले कर बार-बार अस्पताल नहीं आना चाहते, इसलिए हम अपने पास आने वाले बच्चों को कॉम्बिनेशन वैक्सीन देने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए हम यह तय करते हैं कि एक साथ क्या-क्या देना सुरक्षित है.

आज से कौन सी कोविड वैक्सीन 12-14 वर्ष के बच्चों को लगनी शुरू हो गयी?

12-14 साल के बच्चों को कॉर्बीवैक्स लगनी शुरू हुई है. यह वैक्सीन कोवोवैक्स की तरह एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है.

प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन तकनीक एक अपेक्षाकृत(relatively) आजमाई हुई और परीक्षण की गई तकनीक है. जिसमें वायरस के केवल उस हिस्से को पेश किया जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए आवश्यक होता है.

बच्चों को कॉर्बीवैक्स की कितनी खुराक की आवश्यकता होगी?

कॉर्बीवैक्स दो खुराक वाला टीका है. पहली वैक्सीन लगने के 4 हफ्ते बाद दूसरी वैक्सीन दी जाएगी.

क्या ये वैक्सीन बच्चों के लिए सुरक्षित है?

बिल्कुल, इसका ट्राइयल बड़ों में न करके सीधे बच्चों पर किया गया है और हर तरह के टेस्ट पास करने के बाद इसे बच्चों में देने की स्वीकृति मिली है.

क्या बच्चों को कोविड वैक्सीन लगवाना अनिवार्य है?

ऐसा नहीं है. भारत में किसी भी आयु के लोगों को कोविड वैक्सीन लगवाना अनिवार्य नहीं है.

कॉर्बीवैक्स वैक्सीन किन बच्चों को लगवानी चाहिए?

यह वैक्सीन सभी बच्चों को लगवानी चाहिए. खास कर जो बच्चे किसी तरह की गंभीर बीमारी का शिकार हों. जिनको कोई रेस्प्रिटॉरी समस्या है, कार्डीऐक समस्या है, अस्थमा है या कोई भी गंभीर बीमारी उन्हें वैक्सीन जरुर लगवानी चाहिए.

किन बच्चों को कॉर्बीवैक्स वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए?

सिर्फ एक हालात में ये नहीं लगवानी चाहिए और वो है अगर इस या इसके जैसी ही दूसरी वैक्सीन से बच्चे को पहले कोई ऐलर्जी या रीऐक्शन हुआ हो तब.

अगर बच्चा कुछ दिनों पहले कोविड संक्रमित था तब क्या करें?

कोविड संक्रमण के 3 महीने बाद कॉर्बीवैक्स वैक्सीन जरुर लगवाएं. उससे पहले भी अगर लगवानी है, तो उसमें कोई समस्या नहीं है.

अगर बच्चे को सर्दी-खांसी, बुखार, दस्त या दूसरी परेशानी हो तब क्या कॉर्बीवैक्स वैक्सीन लगवा सकते हैं?

ऐसे में तबियत सही होने का इंतजार करें या अपने डॉक्टर से परामर्श करें. थोड़ी बहुत सर्दी-खांसी में वैक्सीन लेने में कोई परेशानी नहीं है, पर बेहतर होगा डॉक्टर से एक बार सलाह कर लें.

वैक्सीन लगने के बाद बुखार आए तो क्या करें?

अगर बुखार आए तो एक पैरसीटमॉल कुछ खाना खिला कर खिला दें. पानी पर्याप्त मात्रा में पिलाएं.

किन परिस्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करें?

वैक्सीन लगने के बाद अगर बच्चे को तेज बुखार आए, हाथ पैर ठंडे हो रहे हों, उसका चेहरा पीला पड़ रहा हो या साँस लेने में दिक्कत हो, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.

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