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Gastric Headache: गैस्ट्रिक के कारण सिरदर्द की समस्या, क्या है इलाज और बचाव?

गैस्ट्रिक समस्याएं और सिरदर्द दोनों आपस में जुड़े हुए हैं और एक के बाद एक हो सकते हैं.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
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<div class="paragraphs"><p>Gastric Headache: गैस्ट्रिक सिरदर्द होने पर क्या करें?</p></div>
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Gastric Headache: गैस्ट्रिक सिरदर्द होने पर क्या करें?

(फोटो:iStock)

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सरदर्द के साथ एसिड रिफ्लेक्स, अपच, जी मिचलाना, कब्ज या डायरिया की समस्या जैसे हालात का सामना क्या आपने भी किया है? कभी-कभी सिरदर्द, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) लक्षणों के साथ भी होता है. वैसे तो मेडिकल टर्मिनोलॉजी में, गैस्ट्रिक सिरदर्द जैसी कोई चीज नहीं होती है, हालांकि अक्सर जो लोग एसिडिटी की शिकायत करते हैं उन्हें सिर में भारीपन और सिरदर्द रहता है. जिसे आमतौर पर लोग गैस्ट्रिक सिरदर्द कहते हैं.

गैस्ट्रिक सिरदर्द क्या है? पेट की समस्या के साथ सिरदर्द कैसे जुड़ा है? गैस्ट्रिक सिरदर्द होने पर क्या करें? गैस्ट्रिक सिरदर्द से बचने के लिए क्या करना चाहिए? आइए सिरदर्द और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) लक्षणों के बीच की कड़ी के बारे में पता लगाएं.

गैस्ट्रिक सिरदर्द क्या है?

"हर दिन दस से पंद्रह प्रतिशत लोगों को गैस्ट्रिक सिरदर्द की शिकायत होती है. लेकिन हकीकत यह है कि गैस्ट्रिक सिरदर्द जैसा कुछ नहीं होता है."
डॉ. राजेश पूरी, सीनियर डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव एंड हेपेटोबिलरी साइंसेज, मेदांता, गुरुग्राम

डॉ. राजेश पूरी आगे कहते हैं, "वास्तव में होता यह है कि जब लोगों को एसिडिटी की समस्या होती है, तो उनके सीने में जलन और भारीपन का एहसास, खाना खाने के बाद पेट फूलने जैसा महसूस होता है. जो मरीज इन लक्षणों को लेकर चिंतित हो जाते हैं, उन्हें सिरदर्द होने लगता है. उन्हें लगता है कि गैस सिर पर जा रही है और वे इसे गैस्ट्रिक सिरदर्द कहने लगते हैं. यह उन रोगियों में आम है, जो स्ट्रेस और डिप्रेशन से पीड़ित हैं, क्योंकि जब उन्हें रिफ्लक्स के लक्षण मिलते हैं, तो उन्हें घबराहट होने लगती है, जिससे सिरदर्द होता है".

एक्सपर्ट के अनुसार, जो रोगी माइग्रेन से पीड़ित होते हैं उनमें रिफ्लक्स, उल्टी और जी मचलने के लक्षण दिखाई देते हैं तो वो इसे गैस्ट्रिक सिरदर्द कहते हैं. इसके विपरीत वास्तव में, ये माइग्रेन के लक्षण होते हैं.

गैस्ट्रिक दर्द और बेचैनी निचली छाती और नाभी के बीच होती है. लोग इस जगह में भारीपन, सूजन और कभी-कभी तेज दर्द महसूस करते हैं, जो भोजन करने के बाद बढ़ जाता है. उन्हें तेज सिरदर्द भी महसूस होता है, जो मुख्य रूप से शाम के समय बढ़ता है.
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पेट की समस्या से सिरदर्द कैसे जुड़ा है?

जो लोग एसिडिटी, हार्टबर्न और ब्लोटिंग के साथ-साथ एंग्जाइटी से पीड़ित हैं, वह लोग ज्यादातर सिर में भारीपन और एसिडिटी से होने वाले सिरदर्द की शिकायत करते हैं. हालांकि, कभी-कभी प्राइमरी माइग्रेन से पीड़ित लोगों में भी मुख्य रूप से सिर के पिछले हिस्से में जलन होती है, जो उल्टी, सूजन और पेट के ऊपरी हिस्से में भारीपन से जुड़ी होती है. इसलिए, गैस्ट्रिक समस्याएं और सिरदर्द दोनों आपस में जुड़े हुए हैं और एक के बाद एक हो सकते हैं.

दो सबसे आम गैस्ट्रिक समस्याएं जो सिरदर्द का कारण बनती हैं वो हैं, रिफ्लक्स डिजीज और नॉन -अल्सर डिस्पेप्सिया हैं.

गैस्ट्रिक सिरदर्द के लक्षण

एसिडिटी और स्ट्रेस के लक्षणों वाले मरीजों में स्ट्रेस के इलाज के बाद उनके सिरदर्द का भी समाधान हो सकता है. माइग्रेन से पीड़ित रोगी सिरदर्द के साथ-साथ गैस्ट्रिक लक्षणों का भी अनुभव करते हैं.

गैस्ट्रिक सिरदर्द के लक्षण कुछ इस प्रकार रहते है:

  • सिरदर्द

  • सिर में भारीपन

  • नींद की कमी

  • उदासी

  • चिड़चिड़ापन

  • थकावट महसूस होना

  • पेट दर्द और कब्ज

  • जी मिचलाना और उल्टी

गंभीर मामलों में, इससे पेट से संबंधित विकार जैसे गैस्ट्रो-एसोफेजियल रिफ्लक्स डिसऑर्डर, पेट का कैंसर, अल्सर हो सकता है.

गैस्ट्रिक सिरदर्द से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

इसे रोकने का सबसे अच्छा तरीका एसिड रिफ्लक्स रोग और नॉन -अल्सर डिस्पेप्सिया का जल्द से जल्द इलाज करना है. साथ ही ऐसे में दवाओं और काउंसलिंग की मदद से एंग्जायटी का इलाज करना भी बेहद कारगर होता है.

डॉ. राजेश पूरी कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो लोग एसिडिटी से पीड़ित होते हैं और जिन्हें अक्सर सिर में भारीपन महसूस रहता हैं, उन्हें मसालेदार, तेलयुक्त और जंक फूड्स खाने से बचना चाहिए. सिट्रस फलों का भी सेवन नहीं करना चाहिए और डॉक्टर की बताई दवा लेनी चाहिए. डॉक्टर की दी एंटी डिप्रेसेंट दवाओं के साथ, मैडिटेशन और योग से अपनी चिंता दूर कर सकते हैं.

गैस्ट्रिक सिरदर्द होने पर क्या करें?

"गैस्ट्रिक सिरदर्द एसिडिटी से ही होता है, इसके सभी कारणों का इलाज करने से गैस्ट्रिक सिरदर्द का इलाज करने में भी मदद मिल सकती है. एसिडिटी के लिए प्रोटोन पंप इनहिबिटर्स दिए जाते हैं और एंग्जायटी के लिए ओरल पिल्स. यह बहुत जरूरी है कि यह दवाईयां डॉक्टर की सलाह के बाद ही ली जाए.
डॉ. राजेश पूरी, सीनियर डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव एंड हेपेटोबिलरी साइंसेज, मेदांता, गुरुग्राम

डॉ. राजेश पूरी आगे कहते हैं, "अगर आप माइग्रेन का इलाज करेंगे तो गैस्ट्रिक समस्या का समाधान अपने आप हो जाएगा. लेकिन कुछ रोगियों के लिए जिन्हें गैस की समस्या है और रिफ्लक्स के लक्षण दिखते हैं और साथ ही स्ट्रेस रहता है, तो आप डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बाद ही एसिडिटी की दवाएं जैसे पैंटोप्राजोल और रैनिटिडीन ले सकते हैं. ये एसिडिटी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और रोगी का इलाज आसानी से किया जा सकता है. किसी भी दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह लेने पर ही करें".

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