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गाजा शहर के अल-शिफा अस्पताल में काम करने वाले एक फिलिस्तीनी डॉक्टर, जिन्होंने नाम न छापने की रिक्वेस्ट की, ने कहा, "यह विनाशकारी है... कोई भोजन या ईंधन नहीं है. पानी या बिजली तक पहुंच नहीं होने के कारण जिंदगियां खत्म हो रही हैं."
अल-शिफा अस्पताल, गाजा स्ट्रिप का सबसे बड़ा मेडिकल कॉम्प्लेक्स और केंद्रीय अस्पताल, एक रिफ्यूजी कैम्प और बॉम्ब शेल्टर में बदल गया है, जहां गंभीर रूप से घायल लोग इस उम्मीद में छिपे हुए हैं कि वे एक और दिन देखने के लिए जीवित रहेंगे, डॉक्टर ने कहा.
गाजा सिटी, गाजा स्ट्रिप पर एक फिलिस्तीनी शहर, में 7 अक्टूबर को आतंकवादी समूह हमास के 'आश्चर्यजनक' हमले के कुछ दिनों बाद इजरायली हमलों के बीच, अब 'पूरी तरह से घेराबंदी' कर दी गई है, और वहां अब कोई भोजन, पानी या बिजली नहीं है. AFP की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल और फिलिस्तीन में संयुक्त रूप से मरने वालों की संख्या 3,000 का आंकड़ा पार कर गई है, जबकि गाजा में कम से कम 1,354 लोग मारे गए हैं.
डॉक्टर ने द क्विंट को बताया, "हम नहीं जानते कि क्या करें. हम और भी जानें खो देंगे, लेकिन देखते रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकते.".
10 अक्टूबर को फिलिस्तीन स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस रिलीज के अनुसार, आठ अस्पताल (क्षेत्र में) गाजा स्ट्रिप की "जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं", जहां कम से कम 2.3 मिलियन लोग रहते हैं. इनमें से कई अस्पताल पूरी तरह फंक्शनल भी नहीं हैं जैसे अल-शिफा की नीओनेटल यूनिट, जो डैमेज हो गई है या बीट हनौन अस्पताल, जो अब ऑपरेशनल नहीं है.
"बमबारी के पैमाने को देखते हुए, दुर्भाग्य से हम अपनी मेडिकल फैसिलिटी की सुरक्षा की गारंटी देने में असमर्थ हैं. ऐसे सिचुएशन में काम करना बहुत कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है. 10 अक्टूबर को, हमारी सुविधाओं के करीब हुए बम विस्फोटों ने गाजा सिटी में हमारे क्लिनिक और उस घर, जहां हमारे अंतरराष्ट्रीय कलीग रहते थे, को आंशिक रूप से नष्ट कर दिया,'' फिलिस्तीन के लिए मेडेसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स (MSF) कार्यक्रम की प्रमुख सारा शैटो ने कहा.
MSF एक अंतरराष्ट्रीय, स्वतंत्र संगठन है, जो संघर्ष, महामारी और आपदाओं से प्रभावित लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करता है.
एक दूसरे डॉक्टर, जो अल-शिफा के साथ भी काम कर रहे हैं, ने कहा कि अब, हेल्थकेयर प्रोफेशनल भी लगातार बमबारी के कारण भार संभालने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा, हर एक जान जिन्हें वो बचाते हैं, के बदले 10 और मरीज अस्पताल में आते हैं.
"हर पांच मिनट में लोग अस्पतालों में आ रहे हैं. अगर मैं आपको तस्वीरें भेज सकूं, तो आप देखेंगे कि हर जगह मरीज हैं. लॉन में, गलियारों में, सीढ़ियों पर बैठे हैं. हमारे पास हर जगह मरीज हैं. हम लोगों को ऑपरेशन थियेटर भी नहीं ले जा सकते क्योंकि बिजली नहीं है. लगातार बमबारी हो रही है. यदि आप एक की जान बचा भी लेते हैं, तब तक 10 नए मरीज आ जाते हैं. हमें नहीं पता कि क्या करें," डॉक्टर ने समझाया.
"हम एक ऐसे युद्ध की शुरुआत में हैं, जो लग रहा है कि लंबे समय तक चल सकता है. फिर भी हम महत्वपूर्ण संसाधनों की इतनी जल्दी कमी देख रहे हैं, अस्पतालों में सप्लाइज की कमी हो रही है," घासन अबू सिट्टा एक सर्जन और मेडिकल असिस्टन्स फॉर पैलेसटाइन के ट्रस्टी, जो अल-शिफा अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहे हैं, ने सोशल मीडिया पर कहा था.
शैटो ने कहा, "गाजा में हमारे सहयोगियों के अनुसार, जो दुर्भाग्य से पिछले युद्धों से गुजर चुके हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. इन्टेन्सिटी के मामले में, ऐसी बमबारी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी है."
"हम दवाओं या ऑक्सीजन की आपूर्ति के बारे में नहीं सोच रहे हैं. इस ट्रेजेडी का पैमाना इतना अधिक है, हम केवल बेसिक एसेन्शियल, जिनकी जल्द ही हमारे पास कमी हो सकती है, के साथ जितना संभव हो सके उतने लोगों की जान बचा रहे हैं. मरीजों की सूची की शीट पर शीट हैं और हम उन लोगों तक जा रहे हैं, जिन्हें बचाने के लिए हमारे पास संसाधन हैं," डॉक्टर ने कहा.
सना बेग, MSF की संचार निदेशक, ने द क्विंट को बताया कि कुछ अस्पताल अपने जनरेटर के लिए ईंधन पर निर्भर हैं और हो सकता है कि उनके पास केवल कुछ दिनों के लिए ही पर्याप्त ईंधन हो.
मानवीय संगठन ने अपने दो महीने के आपातकालीन भंडार से मेडिकल सप्लाइज को गाजा के अल-अवदा अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया है, जहां उन्होंने कथित तौर पर पिछले तीन दिनों में ही तीन सप्ताह के स्टॉक का उपयोग किया है.
डॉक्टरों ने कहा कि पिछले चार दिनों से, फिलिस्तीनी अस्पतालों में काम कर रहे कई हेल्थकेयर प्रोफेशनल घर नहीं जा पा रहे हैं. इस बीच, कई दूसरे लोग जो घेराबंदी शुरू होने पर घर पर थे, अस्पतालों तक पहुंचने में असमर्थ थे.
लेकिन वे कहते हैं कि आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
दूसरे ने कहा, "हां, मैं अपने परिवार और अपने जीवन के लिए चिंतित हूं. लेकिन हमें निर्दोष लोगों की जान बचानी है, जब तक वे अस्पतालों पर हमला नहीं करते."
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