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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 5 अक्टूबर को, Gambia में पिछले कुछ महीनों में हुए 66 बच्चों की मौत के बाद एक भारतीय कंपनी द्वारा निर्मित चार खांसी और सर्दी की दवा के खिलाफ चेतावनी जारी की है.
हरियाणा स्थित कंपनी - मेडेन फार्मास्युटिकल्स (Maiden Pharmaceuticals) का उन बच्चों, जिनमें गंभीर किडनी इंजरी देखी गई, की मौत से जुड़े होने की आशंका है.
Gambia सरकार जुलाई से उन मौतों की जांच कर रही है, जो पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर किडनी इंजरी पाए जाने के बाद शुरू हुई थीं.
WHO अब भारत में उस कंपनी और नियामक अधिकारियों के साथ अपनी जांच कर रहा है, रॉयटर्स ने बताया.
WHO ने एक बयान में कहा, "कृपया उनका उपयोग न करें. लोगों से आग्रह किया जाता है कि अगर उन्होंने या उनके किसी परिचित ने इन दवाओं का उपयोग किया है या कोई नकारात्मक दुष्प्रभाव हुआ है, तो वे लाइसेंस प्राप्त हेल्थ केयर प्रोवाइडर से तुरंत मेडिकल कंसल्टेशन लें.”
"रोगियों को नुकसान से बचाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि इन सब-स्टैंडर्ड उत्पादों का पता लगाया जाए और उन्हें सर्कुलेशन से हटाया जाए."
WHO के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेबियस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने कहा कि अभी तक "दूषित उत्पाद" केवल गाम्बिया (Gambia) में पाए गए हैं, लेकिन इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि उन्हें अन्य देशों में भी वितरित किया गया था या नहीं.
WHO के अनुसार, सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया था, जो जहरीले होते हैं और जानलेवा हो सकते हैं.
इनसे हो सकता है:
उल्टी
दस्त
सिरदर्द
गंभीर किडनी इंजरी
"अभी तक, दवाओं के निर्माता ने इन उत्पादों की सुरक्षा और क्वालिटी पर WHO को गारंटी प्रदान नहीं की है."
न भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन और न ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब तक इस पर कोई टिप्पणी की है. भारत में ये चारों सिरप बाजार में उपलब्ध हैं.
सितंबर में, Gambia सभी पैरासिटामोल सिरप की बिक्री और आयात निलंबित कर चुका था, क्योंकि देश की स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक मुस्तफा बिट्टाये के अनुसार, बच्चों की मृत्यु के बाद हुई ऑटोप्सी में "पैरासिटामोल की संभावना मिली थी"
अगस्त तक 28 बच्चों की मौत हो चुकी थी.
बिट्टाये ने संवाददाताओं से कहा था कि "लोकली बिकने वाले" पैरासिटामोल सिरप पीने के 3-5 दिन बाद बच्चे बीमार पड़ गए.
बीमारी के लक्षण थे, पेशाब न कर पाना, बुखार और उल्टी जिससे बच्चों में किडनी फेलियर हुआ. हालांकि, तब तक यह स्पष्ट नहीं था कि यह किस सिरप के कारण हुआ था.
सितंबर में, गैम्बियन अधिकारियों ने घरों से पैरासिटामोल और प्रोमेथाजीन सिरप इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. स्वास्थ्य मंत्रालय की जांच का नेतृत्व करने वाले नेफ्रोलॉजिस्ट अबुबकर जगने ने कहा कि प्रारंभिक जांच के बाद उनका शक उन दवाओं पर था.
जबकि गाम्बिया ने 9 सितंबर को सभी पैरासिटामोल सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया था, WHO ने कहा था कि इस बात का कोई सबूत नहीं था कि मौतें उन सिरपों के कारण हुई थीं. WHO का शक ‘ई कोलाई’ जीवाणु संक्रमण की ओर था. इस दौरान गाम्बिया मीजल्स और मलेरिया से भी जूझ रहा था.
Gambia की 40% से अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे है, और इस कारण यहां नकली दवाओं के मुद्दे अक्सर देखे जाते हैं - क्योंकि वे सस्ते होते हैं और बिना प्रिस्क्रिप्शन के खरीदे जा सकते हैं.
ड्रग्स और अपराध पर UN कार्यालय का हवाला देते हुए, क्वार्ट्ज ने सितंबर में रिपोर्ट किया था कि दुनिया भर की नकली दवाओं का 40% अफ्रीकी देशों में पाया जाता है और "अफ्रीका के कुछ हिस्सों में बेची जाने वाली लगभग एक तिहाई दवाएं नकली हैं."
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