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भारत में लिवर से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और 20 से 30% वयस्क इससे प्रभावित हैं. इसकी वजह से मरने वालों की संख्या बहुत बढ़ी है. लिवर से जुड़ी बीमारी से हर वर्ष 2,68,580 लोगों की मौत होती है, जो कुल मौतों में से 3.17% है. दुनिया भर में लिवर की वजह से 20 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं और दुख की बात है कि भारत की इसमें 18.3% हिस्सेदारी है.
लिवर की बीमारी के शुरुआती लक्षण क्या हैं? लिवर में कौन-कौन सी बीमारी होती हैं? क्या फैटी लिवर डायबिटीज का कारण बनता है? फैटी लिवर होने पर क्या करें? फिट हिंदी आपके लिए लाया है ऐसे ही जरुरी सवालों के जवाब.
लिवर ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और जब यह ठीक से काम नहीं कर रहा होता है, तो इससे थकावट और कमजोरी महसूस हो सकती है. लिवर की बीमारी के शुरुआती लक्षण ये सभी हो सकते हैं:
थकान और कमजोरी- लिवर की बीमारियों के शुरुआती चरण में व्यक्ति को किसी भी तरह शारीरिक कार्य करने की क्षमता में कमी महसूस होने लगती है और थकान का अहसास होता है. थकान का अहसास बीमारी के गंभीर होने या लिवर में सूजन के बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है.
पेशाब और मल के रंग में बदलाव
जी मिचलाना/उल्टी
पेट में भारीपन- पेट के ऊपरी हिस्से के दाईं ओर भारीपन महसूस होना, लिवर के ऊपर कैप्सूल को परेशान करने वाले लिवर के टिशू लक्षण है. मरीज को बिना किसी गंभीर दर्द या परेशानी के पेट के दाएं हिस्से में संवेदनशीलता महसूस होती है.
भूख न लगना- भूख खत्म हो जाने या खाने की इच्छा न होने जैसे लक्षण लिवर की सूजन या हेपेटाइटिस के शुरुआती चरणों में देखने को मिलते हैं. रोगी की खाना खाने की इच्छा बिल्कुल खत्म हो जाती है और खाना देखकर भी उन्हें परेशानी होने लगती है.
अचानक वजन कम होना- अचानक से वजन कम होना या वजन में ऐसी गिरावट होती है, जिस पर आसानी से गौर किया जा सकता है. यह गिरावट तब भी होती है, जब व्यक्ति वजन कम करने की कोशिश नहीं कर रहा होता है. अचानक से वजन कम होना शुरुआती दौर की लिवर की बीमारी का लक्षण हो सकता है और इसकी जांच होनी जरूरी होती है.
आंखों में पीलापन- चूंकि लिवर की बीमारी शुरुआती दौर में होती है, ऐसे में बिलीरुबिन का स्तर 2-3 एमजी% होना सामान्य बात है और इसे आंखों व मूत्र में देखा जा सकता है. आंखों में ऊपर की ओर सफेद हिस्सों की सामान्य जांच से यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि यह पीलापन शुरुआती स्तर की बीमारी से जुड़ा है या नहीं.
इसलिए सतर्क रहना महत्वपूर्ण है और अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
इस संख्या में आई तेजी का मुख्य कारण लाइफस्टाइल का इनएक्टिव होना और खानपान की खराब आदतें हैं, जिनकी वजह से मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. इलाज न होने पर एनएएफएलडी लिवर फाइब्रॉसिस, लिवर सिरॉसिस और लिवर कैंसर का रूप भी ले सकता है.
लिवर कई बीमारियों से प्रभावित हो सकता है. कुछ इस प्रकार हैं:
लिवर की कुछ सामान्य बीमारियों में हेपेटाइटिस शामिल है, जो वायरल संक्रमण (जैसे हेपेटाइटिस ए, बी या सी) के कारण लिवर की सूजन का कारण बनती हैं.
शराब से संबंधित लिवर रोग समय के साथ अत्यधिक शराब के सेवन के कारण होती है.
फैटी लिवर की बीमारी तब होती है, जब लिवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है.
सिरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जहां लिवर के स्वस्थ टिश्यू को स्कार टिश्यू द्वारा रिप्लेस किया जाता है.
लिवर कैंसर जो लिवर में उत्पन्न हो सकता है या शरीर के दूसरे भागों से लिवर में फैल सकता है.
ऑटोइम्यून लिवर डिजीज जैसे ऑटोइम्यूनहेपेटाइटिस, प्राइमरी बाइलिएरी कोलानगाइटिस (पीबीसी) और प्राइमरी सिलेरोजिंग कोलानगाइटिस(पीएससी) ऐसी स्थितियां हैं, जहां प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) गलती से लिवर की कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे सूजन और क्षति होती है.
लिवर की जेनेटिक बीमारी जो कि परिवार में चली आ रही हैं, लिवर के कार्य को प्रभावित कर सकती हैं.
वायरल संक्रमण भी लिवर पर हमला कर सकता है और लिवर की बीमारी का कारण बन सकता है.
इससे लिवर में फैट जमा होता है, जो लिवर में फैट डिपॉजिट करता है.
डायबिटीज और फैटी लिवर दोनों ही हानिकारक हो सकते हैं. डायबिटीज वाले मरीजों में अगर फैटी लिवर होता है, तो उन्हें अपने शुगर को नियंत्रित रखना चाहिए और फैटी लिवर का इलाज समय पर कराना चाहिए. यदि वे अपने शुगर को संभाल नहीं पाते हैं या फैटी लिवर का इलाज समय पर नहीं करवाते हैं, तो उनके लिवर को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है.
इसके अलावा इलाज के दौरान जीवनशैली में बदलाव की सलाह भी दी जाती है, जैसे:
शराब पीना कम कर देना या छोड़ देना
वजन कम करना
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना
एक्सपर्ट्स के अनुसार फैटी लिवर होने पर सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें. आपके लिवर की देखभाल में कई महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं.
शराब के सेवन को सीमित करना या उससे बचना आवश्यक है, क्योंकि अत्यधिक शराब के सेवन से लिवर को नुकसान हो सकता है.
लिवर के स्वास्थ्य के लिए नियमित स्वस्थ आहार भी महत्वपूर्ण है. भरपूर मात्रा में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन युक्त संतुलित आहार खाना और संतृप्त वसा, चीनी और प्रोसेस्ड फूड से बने पदार्थों से परहेज करना.
लिवर के स्वास्थ्य के लिए रेगुलर एक्सरसाइज फायदेमंद है, क्योंकि यह मेटाबोलिज्म (चयापचय) में सुधार करने और फैटी लिवर रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है.
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना चाहिए.
लिवर को स्वस्थ रखने के लिए हेपेटाइटिस की वैक्सीन लें.
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Published: 19 Apr 2023,05:56 PM IST