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World Hepatitis Day 2022: कैसे रखें अपने लिवर का ख्याल, जानें-बीमारी और इलाज

World Hepatitis Day पर जानें लिवर से जुड़ी सबसे गंभीर बीमारी के बारे में.

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वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे (World Hepatitis Day) हर साल 28 जुलाई को पूरे विश्व में मनाया जाता है. इस खास दिन पर लोगों को शरीर के महत्वपूर्ण अंग लिवर से जुड़ी सबसे गंभीर बीमारी 'हेपेटाइटिस' के प्रति जागरूक किया जाता है.

हम अक्सर लिवर से जुड़ी परेशानियों को पहचान नहीं पाते और बीमारियों को नजरअंदाज करते चले जाते हैं, जो आगे चलकर गंभीर रूप ले लेती हैं.

ज्यादातर लोगों को ये गलतफहमी रहती है कि लिवर की बीमारी सिर्फ एल्कोहल से होती है. लेकिन ये गलत है, खराब लाइफस्टाइल और जंक फूड भी लिवर से जुड़ी बीमारियों का कारण हो सकते हैं.

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लिवर को शरीर का वर्कहाउस भी कहा जाता है, जो हमारे शरीर में खून को साफ करने से लेकर दूसरे अंगों तक पोषण पहुंचाने का काम करता है. यह हमारे खाने में मौजूद फैट और कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मदद करता है.

आइए जानते हैं, मेदांता गुड़गांव में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर ट्रांसप्लांटेशन एंड रीजनरेटिव मेडिसिन के चेयरमैन, डॉ. अरविंदर सिंह सोइन से लिवर से जुड़ी बीमारी हेपेटाइटिस के लक्षणों और उनसे निपटने के उपायों के बारे में.

ये हैं हेपेटाइटिस और उसके प्रकार

हेपेटाइटिस का अर्थ है - लिवर में सूजन. हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं - ए, बी, सी, डी और ई - ये सभी वायरल इन्फेक्शन हैं.

हेपेटाइटिस बी और सी पर एक साथ चर्चा की जा सकती है क्योंकि उनके फैलने का तरीका एक जैसा है, जबकि हेपेटाइटिस ए और ई एक ही तरह से प्रसारित होते हैं.

हेपेटाइटिस बी और सी का संचरण बिल्कुल एचआईवी (HIV) की तरह ही होता है - ब्लड और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के माध्यम से, संक्रमित सुइयों, सीरिंज, हेमोडायलिसिस मशीनों और ब्लड बैंकों में संक्रमित ब्लड के माध्यम से.

एचआईवी की ही तरह, हेपेटाइटिस बी और सी भी यौन संचारित हो सकते हैं. जब वे प्रारंभिक अवस्था में लिवर को संक्रमित करते हैं, तो वे केवल सूजन का कारण बनते हैं. बाद के चरणों में, वे विकृति, गंभीर क्षति, सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बनते हैं.

हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर फेको-ओरल मार्ग से होते हैं - संक्रमित पानी और भोजन के माध्यम से. यह भारत में बेहद आम है.

हेपेटाइटिस डी- जो लोग पहले से एचबीवी वायरस से इन्फेक्टेड होते हैं, वे ही इस वायरस से संक्रमित होते हैं. एचडीवी और एचबीवी दोनों के एक साथ होने के कारण स्थिति और भी खराब हो जाती है.

शुरू में व्यक्ति को पीलिया हो जाता है और उसकी भूख कम हो जाती है. रोगी के ब्लड टेस्ट में बिलीरुबिन, एसजीपीटी और एसजीओटी की मात्रा बढ़ी हुई मिलेगी. ऐसा हेपेटाइटिस आमतौर पर 2-4 सप्ताह में कम हो जाता है, लेकिन 5% मामलों में, यह लिवर फेलियर में बदल सकता है, जिसके लिए ट्रैन्स्प्लैंट की आवश्यकता हो सकती है.

लिवर एक नेचुरल फिल्टर का काम करता है, जो हमारे शरीर के वेस्ट प्रोडक्ट्स को शरीर से बाहर निकालने में भी सहायता करता है.
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हेपेटाइटिस के लक्षण 

अक्यूट हेपेटाइटिस की शुरुआत में लक्षण बहुत स्पष्ट दिखायी नहीं देते हैं. लेकिन, क्रोनिक हेपेटाइटिस और इंफेक्शियस की स्थिति में ये समस्याएं स्पष्ट रूप से लक्षण के तौर पर दिखायी पड़ती हैं:

  • स्किन, नाखून, आंखों और यूरिन का पीला पड़ना

  • बहुत अधिक थकान महसूस करना

  • हर वक्त घबराहट और उल्टी की शिकायत रहना

  • पेट में सूजन और भारीपन का एहसास होना

  • खुजली होना

  • भूख न लगना या कम लगना

  • अचानक से वजन कम हो जाना

हेपेटाइटिस की पहचान कैसे करें?

ब्लड टेस्ट से हेपेटाइटिस बी और सी का पता लगाया जा सकता है. इसके लिए 35 साल से ऊपर के सभी लोगों को हर 3 साल में अपना ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए.

हेपेटाइटिस बिलीरुबिन, एसजीओटी और एसपीजीटी को बढ़ाकर लिवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) को रेंज से बाहर कर देता है. इसके अलावा, यदि किसी ने पहले कभी ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराया है और उसे पीलिया हो जाता है, तो यह हेपेटाइटिस का सूचक हो सकता है.

एक साधारण सा ब्लड टेस्ट इसकी पुष्टि कर सकता है. हेपेटाइटिस बी के गंभीर मामलों में, व्यक्ति पीलिया, डीरेंज क्लॉटिंग और प्री-कोमा या कोमा की अवस्था से पीड़ित हो सकता है. ऐसे कई मामलों में आपातकालीन लिवर ट्रैन्स्प्लैंट की आवश्यकता होती है.

हेपेटाइटिस को कैसे रोकें?

सभी लोगों (किसी भी उम्र में) को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए, जो वायरस से 99% सुरक्षा प्रदान करता है. हेपेटाइटिस सी का कोई टीका नहीं है, लेकिन इससे डिस्पोजेबल सुइयों एवं सीरिंज का उपयोग करके बचा जा सकता है.

डायलिसिस केंद्रों और ब्लड बैंकों की नियमित जांच भी होनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन के पहले रक्त किसी भी तरह के संक्रमण से मुक्त हो.

कंडोम जैसे गर्भनिरोधक साधन का उपयोग करने से यौन संक्रमित होने से बचा सकता है. अगर हेपेटाइटिस सी और हेपेटाइटिस बी अभी केवल सूजन के चरण में हैं, तो उनके लिए बेहद प्रभावी एंटी वायरल दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन अगर लिवर सिरोसिस विकसित हो चुका है, तो इसका इलाज करना बेहद कठिन है.

हेपेटाइटिस की गंभीर एवं एडवांस स्टेज में स्कारिंग हो सकती है. एक बार ऐसा होने पर, सिम्पटोमैटिक इलाज की जरूरत होगी. ऐसे लोग जिनमें हेपिटाइटिस गंभीर रूप ले चुका है या लिवर कैंसर का रूप ले चुका है, उन्हें केवल लिवर ट्रांसप्लांट से ही बचाया जा सकता है.

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