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Monsoon Infections: मानसून में न करें ये गलतियां, एक्सपर्ट्स की जरूरी सलाह

Gastrointestinal Infections: लिवर और गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल सिस्‍टम की परेशानियां इस मौसम में आम होती हैं.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>Monsoon Infections:&nbsp;मानसून में किस प्रकार के गैस्‍ट्रो इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है?</p></div>
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Monsoon Infections: मानसून में किस प्रकार के गैस्‍ट्रो इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है?

(फोटो:iStock)

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Monsoon Infections Prevention: मानसून का मौसम चिलचिलाती गर्मी के बाद राहत बनकर आता है लेकिन इसके साथ ही स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्‍याएं भी आती हैं. खासतौर से लिवर और गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल सिस्‍टम की परेशानियां इस मौसम में आम होती हैं. लिवर इन्फेक्शन जैसे कि हेपेटाइटिस और एक्‍यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस इस सीजन में पेट के सामान्य इन्फेक्शन हैं, जिनके कारण डायरिया, उल्टी, बुखार और पेट में दर्द जैसी समस्‍याएं परेशानी बढ़ा सकती हैं.

मानसून में किस प्रकार के गैस्‍ट्रो इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है? रेस्टोरेंट का खाना मानसून में क्यों नहीं खाना चाहिए? मानसून में गैस्ट्रिक समस्याओं से कैसे बचें? मानसून में किन जरुरी बातों का रखें ख्याल? फिट हिंदी ने इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए एक्सपर्ट्स से बात की.

मानसून में किस प्रकार के गैस्‍ट्रो इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है?

मानसून के सीजन में हमें कुछ खास तरह के गैस्ट्रों इन्फेक्शन से अपना बचाव करना चाहिए. एक्सपर्ट ने इन गैस्‍ट्रो इन्फेक्शन से बच कर रहने की सलाह दी: 

  • कॉलरा (हैजा): यह विब्रियो कॉलराइ नामक बैक्‍टीरिया के कारण होता है, जो अक्सर प्रदूषित पानी और भोजन के जरिए फैलता है. 

  • टायफाइड बुखार: यह भी एक प्रकार का बैक्‍टीरियल संक्रमण है, जो सैल्‍मोनेला टाइफाइ की वजह से होता है और प्रदूषित भोजन या पानी के जरिए फैलता है. 

  • डायरिया रोग: इस श्रेणी में कई तरह के रोग शामिल हैं, जैसे वायरल गैस्‍ट्रोएंट्राइटिस (पेट का फ्लू) और बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शंस जैसे कि ई-कोलाइ या कैम्‍पाइलोबैक्‍टर, जो कि मानूसन सीजन में फैलते हैं. 

  • हेपेटाइटिस ए: यह भी एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है, जो प्रदूषित भोजन या पानी से फैलता है. 

  • रोटोवायरस इन्फेक्शन: यह खासतौर से नवजातों और कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है, इस वायरल इन्फेक्शन की वजह से गंभीर प्रकार का डायरिया होता है और यह दूषित सतहों या वस्तुओं को छूने से फैल सकता है.

"इन संक्रमणों से अपना बचाव करने के लिए जरूरी है कि हाइजीन का पूरा ख्याल रखा जाए और साथ ही, स्वच्छ और सुरक्षित पानी पिएं."
डॉ. शुभम वत्‍स्‍य, कंसलटेंट गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद

रेस्टोरेंट का खाना मानसून में क्यों नहीं खाना चाहिए?

"घर की बजाय बाहर खाना-पीना और जंक फूड का सेवन इस मौसम में हमें बीमार कर सकता है. अगर खाना आपकी आंखों के सामने पकाया जा रहा है और गर्मागर्म परोसा जा रहा है, तो फिर भी कुछ हद तक ऐसा खाना खाया जा सकता है क्योंकि इससे इन्फेक्शन होने की आशंका कम हो जाती है."
डॉ. अनुकल्‍प प्रकाश, लीड कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम

मानसून के दौरान, बाहर का खाना खाने या खाना ऑर्डर करने से जहां तक हो सके बचना चाहिए. आइए जानें कि आपको इस मौसम में रेस्टोरेंट में खाने से या फूड ऑर्डर करने से क्यों बचना चाहिए. 

  • फूड हाइजीन : मानसूनी महीने खासतौर से स्वच्छ खानपान संबंधी चुनौतियों को बढ़ाते हैं. हो सकता है कि रेस्टोरेंट में या फूड डिलीवरी की साफ-सफाई में कभी कोई चूक रह जाए, डिलीवरी/ट्रांसपोर्टेशन के दौरान स्वच्छता सुनिश्चित करने को लेकर चुनौतियां बढ़ गई हों, जिसके कारण भोजन के दूषित होने की आशंका भी अधिक रहती है. 

  • वाटर पोल्युशन: भारी बारिश के कारण अक्सर जल स्रोतों (water source) पर भी जल जमाव और उनके दूषित होने का खतरा बढ़ जाता है. रेस्‍टॉरेंट्स को भी खाना पकाने और बर्तनों को धोने के लिए साफ और सुरक्षित पानी मिलने की चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है और इनकी वजह से भी पानी में पैदा होने वाले रोगों के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है. 

  • वैक्‍टर जनित बीमारी: मानसून सीजन मच्छरों और दूसरे रोगाणुओं-कीटाणुओं के पनपने के लिए अनुकूल समय होता है, जिसके कारण कई तरह के वैक्‍टर जनित रोग जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का खतरा इन दिनों बढ़ जाता है.

  • ट्रैफिक और डिलीवरी में देरी: भारी बारिश और सड़कों पर जलभराव की वजह से फूड डिलीवरी में देरी हो सकती है. ट्रांसपोर्टेशन समय अधिक होने से आपके फूड की ताजगी और क्‍वालिटी पर असर पड़ता है.

"बेशक, यह जरूरी नहीं है कि बारिश के दौरान आप रेस्टोरेंट फूड का पूरी तरह बहिष्कार कर दें और फूड ऑर्डर ही न करें, लेकिन आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. बाहर खाना चाहते हैं या घर/दफ्तर में फूड ऑर्डर करना चाहते हैं, तो ऐसी किसी प्रतिष्ठित जगह पर ही जाएं या ऑर्डर करें जहां साफ सफाई का ध्यान रखा जाता हो."
डॉ. शुभम वत्‍स्‍य, कंसलटेंट गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद
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मानसून में गैस्ट्रिक समस्याओं से कैसे बचें?

बारिश के महीनों में गैस्ट्रिक समस्याओं से बचने के लिए एक्सपर्ट्स ने बताए ये उपाय:

  1. साफ-सफाई का ध्यान रखें: बार-बार हाथों को धोएं, खासतौर से खाना खाने या पकाने से पहले ऐसा करना जरूरी है ताकि आपके गंदे हाथों की वजह से इन्फेक्शन फैलने का जोखिम न रहे. 

  2. सुरक्षित पानी पिएं: आप जिस भी पानी को पीने के लिए प्रयोग में लाते हैं, वह स्‍वच्‍छ और सेहत के लिए सुरक्षित होना चाहिए. उबला हुआ या प्‍योरीफाइड पानी पिएं, कभी भी ऐसे किसी सोर्स का पानी पीने के लिए इस्तेमाल न करें जिसकी सुरक्षा के बारे में आप पक्के से न कह सकें. 

  3. ताजा पका भोजन ही खाएं: हमेशा ताजा पकाया गया भोजन ही खाएं. बचे-खुचे या बासी भोजन को खाने से बचना चाहिए क्‍योंकि इनमें बैक्‍टीरिया पनप सकते हैं, जिनकी वजह से पाचन संबंधी परेशानियां पैदा हो सकती हैं. 

  4. हल्का-फुलका और आसानी से पचने वाला भोजन खाएं: ऐसा भोजन करें जो पेट के लिए हल्का हो और जिसे पचाना आसान हो. कम फैट वाला और कम मिर्च-मसाले वाला भोजन करें. अपने भोजन में फलों, सब्जियों, साबुत अनाजों, लीन प्रोटीन और सूप को शामिल करें. 

  5. शरीर में पानी की कमी न होने दें: दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो. पानी से पाचन में भी मदद मिलती है और कब्ज से बचाव होता है.

मानसून में न करें ये गलतियां 

  1. स्‍ट्रीट फूड खाने से बचें: बारिश के महीनों में, स्‍ट्रीट फूड खाने से बचना चाहिए क्योंकि इस बात की आशंका हो सकती है कि गली-नुक्‍कड़ पर स्टाल वाले जिन चीजों को बेचते हैं उसे पकाते वक्त साफ-सफाई का बिल्‍कुल ख्‍याल नहीं रखा गया हो. इस कारण दूषित पानी से फैलने वाले रोगों की आशंका बढ़ जाती है. 

  2. तला-भुना और मसालेदार भोजन सीमित करें: अपने खानपान में तले-भुने और मसालेदार भोजन की मात्रा जहां तक हो सके कम करें क्योंकि इनकी वजह से पाचन संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं. जितना हो सके ऐसा भोजन सीमित मात्रा में ही करें.

  3. कच्चे या कम पके हुए भोजन से बचे: कच्चा या कम पका भोजन, जैसे कि सलाद या कच्ची सब्जियां इस मौसम में कम खानी चाहिए, इनमें बैक्‍टीरिया हो सकते हैं, जो रोगों का कारण बनते हैं.

  4. कार्बोनेट ड्रिंक्‍स और कैफीन का सेवन सीमित करें: कार्बोनेटेड और कैफीनयुक्‍त पेय पदार्थों की वजह से पेट में अफारा (ब्‍लोटिंग) और गैस्ट्रिक की समस्या हो सकती है. इनकी जगह सेहतमंद विकल्‍पों जैसे हर्बल चाय और इंफ्यूज्‍़ड वॉटर का अधिक प्रयोग करें. 

  5. प्रोसैस्‍ड एवं पैकेज्‍ड फूड का सेवन कम करें: इस प्रकार के खाद्य पदार्थों में एडिटिव्‍स, प्रीजरवेटिव्‍स और आर्टिफिशियल फूड प्रॉडक्ट्स का इस्‍तेमाल किया जाता है, जो आपकी पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं. 

लेकिन अगर आपकी गैस्ट्रिक की समस्या लगातार बनी रहे और आपकी परेशानी बढ़ने लगे तो बिना देर किए हॉस्पिटल जाएं. सही डायग्नोस और इलाज के लिए हेल्थ केयर प्रोफेशनल से सलाह लें.

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