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Mother's Day 2022| हर मां के लिए जरुर है ये 9 हेल्थ चेकअप, आज ही कराएं ये टेस्ट

Mother's Day: बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं को डायबिटीज, हार्ट, आंख, ब्लड प्रेशर और बोन से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
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<div class="paragraphs"><p>Mother's Day 2022 पर अपनी मां को दें, अपने समय के साथ हेल्थ चेक उप करने की सलाह&nbsp;</p></div>
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Mother's Day 2022 पर अपनी मां को दें, अपने समय के साथ हेल्थ चेक उप करने की सलाह 

(फोटो:iStock)

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Mother’s Day 2022 | मां का आभार व्यक्त करने के लिए जीवन भी कम है लेकिन फिर भी मां को स्पेशल फील कराने के लिए साल का एक खास दिन चुना गया है.

मदर्स डे पर बच्चे अपनी मां को कीमती उपहार देते हैं. कोई महंगी साड़ी खरीदकर देता है तो कोई कीमती फोन गिफ्ट करता है, कोई बाहर घूमाने ले जाता है तो कोई अपनी मां को फिल्म दिखाने ले जाता है.

ये सब जरुर करें, लेकिन इसके साथ-साथ अगर हम हर दिन अपने जीवन में से थोड़ा सा समय निकाल कर उनसे बातें करें, तो शायद इससे बड़ा दूसरा तोहफा उनके लिए कोई और नहीं होगा. ऐसा करने से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा. जो उन्हें हमारे साथ कई साल और मदर्स डे मनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा.

ऐसा करने के साथ-साथ हमें मां के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएं होने लगती हैं. अक्सर परिवार के लोगों के बिजी शेड्यूल की वजह से मां अपनी परेशानी नहीं बताती हैं. आइए जानें कौन से ऐसे जरुरी हेल्थ चेक उप हैं, जो मां को कराने चाहिए.

महिलाओं के लिए जरूरी मेडिकल टेस्ट

हार्ट की जांच - 50 की उम्र के बाद कोशिश होनी कि महिलाएं हर साल ईसीजी, इको, ईकेजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) बीपी और टीएमटी कराएं.

बोन डेंसिटी टेस्ट (bone density test) - मेनोपॉज शुरू होने के बाद महिलाओं में हड्डियों से जुड़ी परेशानियां बढ़ जाती हैं. खास कर ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए साल में 1 बार बोन डेंसिटी टेस्ट कराना चाहिए. आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या का पता लगाने के लिए बोन डेंसिटी टेस्ट बहुत उपयोगी साबित होता है.

ब्लड प्रेशर जांच - कई बार महिलाओं को लो और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है जिसे वो समय पर समझ नहीं पाती हैं. हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर माना जाता है, क्योंकि इसके लक्षण दिखे बिना ही स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए नियमित रुप से ब्लड प्रेशर की मेडिकल जांच करवानी चाहिए.

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कोलेस्ट्रॉल/लिपिड प्रोफाइल की जांच - हर साल कोलेस्ट्रॉल या लिपिड प्रोफाइल (lipid profile) की जांच करवानी चाहिए. खास उन महिलाओं को जिन्हें डायबिटीज, हार्ट या किडनी से जुड़ी कोई समस्या है, तो इसे भी डॉक्टर की सलाह पर टेस्ट करवाते रहें.

आंखों का टेस्ट - उम्र बढ़ने के साथ आंखों में मोतिया बिंदु या ग्लूकोमा की शिकायत होने लगती है. ऐसे में डॉक्टर सलाह देते हैं कि हर 6 महीने में आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए.

मैमोग्राम टेस्ट - मैमोग्राम टेस्ट की सहायता से समय पर ब्रेस्ट कैंसर की समस्या का पता लगाया जाता है. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में 40 साल की उम्र के बाद ये जांच साल में या 2 साल में एक बार जरुर करानी चाहिए.

पैप-स्‍मीयर टेस्‍ट (pap smear test) - पैप-स्‍मीयर टेस्‍ट की मदद से सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जाता है. यानी कि इस टेस्ट से महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा में उन असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है, जो कि कैंसर में डेवलप हो सकती हैं.

“समय-समय पर पैप स्मीयर टेस्ट करते रहने से एचपीवी के कारण होने वाले कैंसर से बचा जा सकता है. याद रखें कैंसर उम्र के साथ बढ़ता है.”
डॉ नुपुर गुप्ता, निदेशक, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट और फाउंडर, वेल वुमन क्लिनिक, गुड़गांव

थॉयराइड टेस्‍ट (thyroid test) - थॉयराइड की जांच महिलाओं के लिए बहुत जरुरी है. थॉयराइड एक ग्‍लैंड है, जो गले में पाया जाता है. इससे हॉर्मोन बनते हैं, जो मेटाबॉलिज्‍म को रेगुलेट करते हैं. थॉयराइड रोग 2 प्रकार के होते हैं. थॉयराइड टेस्‍ट से हॉर्मोन का लेवल चेक किया जाता है. साल में 1 बार इसकी जांच करते रहना चाहिए.

साइकोलॉजिकल स्क्रीनिंग (psychological screening) - अक्सर देखा गया है कि महिलाओं में मेनोपॉज के बाद, मूड स्विंग, डिप्रेशन, नींद नहीं आना, चिड़चिड़ापन जैसी परेशानी होने लगती है. साथ ही इस उम्र तक आते-आते बच्चे भी अपनी दुनिया में बिजी हो जाते हैं. जिसके कारण जीवन में एक खालीपन आ जाता है. ऐसे में किसी विशेषज्ञ से मिल कर समस्या का सामाधन निकाला जा सकता है.

“ऐसे हालातों में अपनी जिंदगी में बिजी रहना चाहिए. जो शौक या सपने अधूरे रह गए हैं उन्हें पूरे करने का ये अच्छा समय है. आजकल दुनिया में कई ऐसी मां हैं, जो बच्चों को सेटल करके अपना करियर शुरू करती हैं. अपना समय वहां लगाएं जहां खुशी और शांति मिले".
डॉ. दीपक गुप्ता, चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकेट्रिस्ट , सर गंगा राम हॉस्पिटल, दिल्ली

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