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National Youth Week: युवाओं में तंबाकू का सेवन करना लाइफस्टाइल का हिस्सा बनता जा रहा है. कब बस एक बार ट्राई करने के नाम पर शुरू की गई बात आदत बन जाती है, पता नहीं चलता. कभी फैशन में तो कभी दोस्तों के सामने कूल लगने के चक्कर में युवा पीढ़ी इसका शिकार बनते जा रही है. तंबाकू की आदत एक ही साथ शारीरिक, मानसिक, वित्तीय और सामाजिक नुकसान पहुंचाने वाली सीढ़ी है. क्या कहता है देश के युवाओं में तंबाकू सेवन का डेटा? युवाओं के दिल और दिमाग को कैसे नुकसान पहुंचा रहा? सोशल मीडिया का क्या रोल है तंबाकू के प्रचार में? क्या आजकल युवाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले नए तंबाकू उत्पाद सेफ हैं? फिट हिंदी ऐसे ही जरूरी सवालों के जवाब लाया है इस आर्टिकल में.
डॉ. ऋषि गौतम कहते हैं, "तंबाकू का सेवन कैंसर और जल्दी मौत का प्रमुख कारण है. यह अनुमान लगाया गया है कि वयस्कों में निकोटिन का उपयोग पुरुषों में लगभग 42% और महिलाओं में 14% है. युवा भी इस लत के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं और वर्तमान में भारत में लगभग 19% पुरुष (किशोर) और 8% महिला (किशोरी) इसका उपयोग करते हैं. तंबाकू की खपत की दर बढ़ रही है और जैसा कि हम जानते हैं इसका उपयोग करना बेहद हानिकारक होता है.
ग्लोबल पब्लिक हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन वाइटल स्ट्रेटेजीज (Global public health Organization Vital Strategies) ने अपनी एक रिपोर्ट 'हिडन इन प्लेन साइट: भारत में सोशल मीडिया पर तंबाकू उत्पादों के सरोगेट मार्केटिंग' को जारी किया है. ये रिपोर्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सरोगेट मार्केटिंग की बात कहती है. रिपोर्ट ने जनवरी और मई 2022 के बीच एकत्र किए गए 2,000 से ज्यादा पोस्ट का एनालिसिस किया, जो अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू का प्रचार करते हैं. जिनमें से 12% सरोगेट मार्केटिंग थी. रिपोर्ट का निष्कर्ष इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे सोशल मीडिया यूजर्स को तंबाकू कंपनियों और ब्रांडों से जुड़े भ्रामक विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि विज्ञापन का यह रूप तंबाकू उत्पाद के समान या समान ब्रांड पहचान का उपयोग करके पान मसाला जैसे अनियमित उत्पादों को बढ़ावा देता है ताकि उपभोक्ता उसे तंबाकू उत्पाद से जोड़ सके.
वैशाखी मलिक कहती हैं कि तंबाकू का उपयोग और सेकेंड हैंड स्मोक अब गैर-संचारी रोगों (एनसीडी), संचारी रोगों और गर्भावस्था के दौरान नुकसान के प्रमुख कारणों के रूप में पहचाना जाता है. इसके अलावा तंबाकू का उपयोग गरीबी को और अधिक बढ़ाने में भी जिम्मेदार है. तंबाकू के उपयोग के नुकसानों में शामिल हैं बीमारी, अक्षमता, अकाल मृत्यु और इससे अनावश्यक पैसे खर्च भी होते हैं, जो लोगों के जीवन को समस्याओं से भर देता है.
डॉ. ऋषि गौतम आगे कहते हैं कि बहुत अधिक नशीला होने के कारण तंबाकू एक्यूट विथड्रावल सिंपटम्स (acute withdrawal symptoms) का कारण बनता है, जो चिड़चिड़ापन, सिर दर्द, भूख में वृद्धि, नींद में खलल, चिंता, ध्यान केंद्रित करने में समस्या और इसका सेवन करते रहने की लालसा के रूप में प्रकट होता है. तंबाकू सभी रूपों में हानिकारक है, जैसे सिगरेट, वैपिंग डिवाइस, गुटका.
वैशाखी मलिक कहती हैं, "नहीं, तंबाकू उत्पादों के संपर्क में आने का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है. कोई भी तंबाकू उत्पाद नुकसान से मुक्त नहीं दिखाया गया है. वास्तव में, तंबाकू एकमात्र लीगल प्रोडक्ट है, जो अपने निर्माताओं द्वारा इच्छा से उपयोग (used as intended) किए जाने पर अपने ग्राहकों के एक बड़े हिस्से की जान लेता है".
डॉ. ऋषि गौतम कहते हैं, "तंबाकू के एडिक्ट युवा स्कूल छोड़ने, असामाजिक या आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने साथ ही घर और समाज से भी अलग-थलग हो जाते हैं". रोकथाम के कुछ उपाय एक्सपर्ट ने बताए:
तंबाकू विरोधी मास मीडिया अभियान शुरू करना.
तंबाकू से जुड़े डिसऑर्डर से लड़ने के लिए शिक्षा, रोकथाम और इलाज के लिए पब्लिक हेल्थ फंडिंग में वृद्धि करनी चाहिए.
तंबाकू उत्पादों पर अधिक टैक्स लगाकर कीमतों में वृद्धि करना.
स्कूलों/कॉलेज के पास ऐसे उत्पादों की पहुंच को सीमित करना. शिक्षण संस्थानों के पास इन्हें बेचने वाली दुकानों पर प्रतिबंध लगाना.
आम जनता द्वारा उपयोग किए जाने वाले कमर्शियल जगहों में तंबाकू के उपयोग पर रोक लगाने वाली धूम्रपान-मुक्त नीतियां लाना.
अभिभावक अपने बच्चों को तंबाकू के उपयोग के जोखिमों के बारे में शिक्षित करें.
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