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World No Tobacco Day 2022: तंबाकू शरीर और वातावरण दोनों के लिए खतरनाक

World No Tobacco Day|स्मोकिंग छोड़ देने से अधिकतर लोग गंभीर बीमारियों से अपने साथ-साथ अपने परिवार को भी बचा सकते हैं

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Updated:
<div class="paragraphs"><p>World No Tobacco Day 2022 में बात करते हैं तंबाकू से बढ़ रहे शरीर के खतरे के बारे में</p></div>
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World No Tobacco Day 2022 में बात करते हैं तंबाकू से बढ़ रहे शरीर के खतरे के बारे में

(फोटो:नमिता चौहान/फिट हिंदी)

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World No Tobacco Day 2022: दुनिया भर में हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है और हर साल एक थीम भी रखी जाती है. इस वर्ष का थीम है, ‘पर्यावरण की सुरक्षा करें’.

तंबाकू हमारी सेहत के साथ-साथ वातावरण भी खराब कर रहा है. आपको बता दें, सिगरेट के धुएं से पर्यावरण में 7,000 से अधिक रसायन निकलते हैं - जिनमें से 70 ज्ञात कार्सिनोजेन हैं, जिससे वातावरण को बहुत हानि पहुंचती है साथ ही मनुष्यों में कैंसर होने की आशंका भी काफी बढ़ जाती है.

इस विषय पर विस्तार से बात करने के लिए फिट हिंदी ने मेदांता अस्पताल में कैंसर संस्थान के हेड एंड नेक के ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. दीपक सरीन और वाइटल स्ट्रैटेजिस में पॉलिसी एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशन की एसोसिएट डायरेक्टर वैशाखी मल्लिक से बात की.

शरीर पर तंबाकू के हानिकारक प्रभाव

चाहे आप सिगरेट पीते हों या नहीं, आपको शरीर पर तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में तो पता ही होगा. सिगरेट सिर्फ शरीर को ही नहीं बल्कि पर्यावरण को भी हानि पहुंचा रहा है.

डॉ. दीपक सरीन बताते हैं, "तंबाकू का लंबे समय तक सेवन करने से खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है. इसके कई नुकसान होते हैं, कैंसर उनमें से एक है. कैंसर के अलावा तंबाकू का बहुत खतरनाक दुष्प्रभाव खून की नलियों और हार्ट पर पड़ता है. हार्ट अटैक, स्ट्रोक, खून की नलियों का बंद होना, हार्ट फेल होना भी शामिल हैं".

भारत में 80% से ज्यादा सिर और गले का कैंसर तंबाकू के कारण होता है.
"भारत में सबसे ज्यादा सेवन चबाने वाले तंबाकू का किया जाता है इसलिए सबसे आम है मुंह का कैंसर. अगर हम तुलना अमेरिका से करेंगे तो वहां पर वॉस बॉक्स, लंग्स के कैंसर के मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है क्योंकि वहां स्मोकिंग बहुत आम बात है. इसलिए उसका दुष्प्रभाव मुंह के साथ-साथ दूसरे अंगों पर भी पड़ता है, जहां-जहां धुआं जाता है".
डॉ. दीपक सरीन, डायरेक्टर, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, कैंसर संस्थान, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम

पैसिव स्मोकिंग यानी कि खुद स्मोक नहीं करना पर स्मोक करने वाले लोगों के आसपास रहने से जो नुकसान शरीर को होता है, उसे पैसिव स्मोकिंग कहते हैं. इसके सबसे ज्यादा शिकार बच्चे होता हैं.

ऐसे बच्चे जिनके परिवार के सदस्य धूम्रपान के आदी हैं, वो इस समस्या का सामना करते हैं. लगातार धूम्रपान के धुएं में रहने वाले बच्चों में फेफड़े की बीमारी बाकी बच्चों की तुलना में कहीं अधिक होती है. और अब कैंसर की दुनिया में भी यह माना गया है कि सेकंड हैंड स्मोक या पैसिव स्मोक के संपर्क से कैंसर भी हो सकता है.

"सिगरेट में बहुत सारे ऐसे पदार्थ होते हैं, जिसमें 10 से 40000 तक केमिकल होते हैं और कम से कम 40 केमिकल ऐसे हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं. इन सबके अलावा सिगरेट में होता है निकोटीन. ये लत लगाने का काम करता है, जिससे तलब पैदा होती है" ये कहते हैं, डॉ. दीपक सरीन.

"निकोटीन सीधे तौर पर कैंसर का कारण नहीं होता है. कैंसर का कारण होते हैं बाकी सारे पदार्थ, जो तंबाकू में होते हैं और जो उसको जलाने से और भी ज्यादा जहरीले और हानिकारक हो जाते हैं. निश्चित रूप से जब ये सारे केमिकल्स हमारे वातावरण में रहेंगे और अगर ये हमारे खाने और पानी में पहुंचेंगे तो इसका नुकसान वातावरण के साथ-साथ हमें भी झेलना पड़ेगा".
डॉ. दीपक सरीन, डायरेक्टर, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, कैंसर संस्थान, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम
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अभी हमने जाना शरीर पर तंबाकू के हानिकारक प्रभाव, आइए अब बात करते हैं तंबाकू से वातावरण को पहुंच रहे नुकसान के बारे में.

तंबाकू से वातावरण को पहुंच रहा नुकसान

वैशाखी मल्लिक कहती हैं, "सिगरेट के धुएं से पर्यावरण में 7,000 से अधिक रसायन निकलते हैं - जिनमें से 70 ज्ञात कार्सिनोजेन (carcinogen) हैं. तंबाकू उगाना, निर्माण करना और उपयोग करना, हमारे पानी, मिट्टी, समुद्र तटों और शहर की सड़कों को रसायनों, जहरीले कचरे, सिगरेट बट्स, माइक्रोप्लास्टिक्स (microplastics) सहित जहर देता है".

वो आगे कहती हैं,

"तंबाकू हमारे जंगलों को नष्ट करता है - तंबाकू की खेती के लिए जमीन साफ करने के लिए पेड़ों को काटा जाता है, इसके अलावा फसल के बाद तंबाकू के पत्तों को ठीक करने के लिए लकड़ी को जलाया जाता है. 300 सिगरेट बनाने में लगभग एक पूरा पेड़ लगता है. हर साल लगभग 4.5 ट्रिलियन सिगरेट पर्यावरण में फेंक दी जाती है. सिगरेट और बीड़ी न केवल हवा को प्रदूषित करते हैं बल्कि गैर-बायोडिग्रेडेबल बट्स (biodegradable butts) के रूप में पर्यावरणीय क्षति का कारण बनते हैं".
वैशाखी मल्लिक, एसोसिएट डायरेक्टर - साउथ एशिया, पॉलिसी एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशन, वाइटल स्ट्रैटेजिस

विश्व स्तर पर 70 लाख से अधिक मौत प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग का परिणाम हैं और लगभग 12 लाख धूम्रपान न करने वालों की मौत तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने का परिणाम है. सिगरेट के धुएं में 7,000 से अधिक रसायन होते हैं और सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर, स्ट्रोक, अस्थमा के दौरे आदि होते हैं.

"एक किसान जो तंबाकू की खेती करता वह प्रतिदिन उतना ही निकोटीन अवशोषित कर सकता है, जितना कि 50 सिगरेट में पाया जाता है. ग्रीन टोबैको सिकनेस (जीटीएस) निकोटीन विषाक्तता का एक रूप है, जो लगभग 4 में से 1 किसान में होता है" ये कहना है वैशाखी मल्लिक का.

तंबाकू का धुआं उच्च वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ावा देता है और इसमें तीन प्रकार की ग्रीनहाउस गैसें होती हैं: कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड, जो घर के अंदर और बाहर के वातावरण को प्रदूषित करते हैं.

थर्ड हैंड स्मोकिंग का बढ़ता खतरा

कुछ ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जिसमें व्यक्ति हर तरह की सावधानी बरतता है, पर तब भी उसे तंबाकू के दुष्परिणामों का सामना करना पड़ता है. चिंता की बात है, आजकल ऐसे मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं.

हमें से कई धूम्रपान नहीं करने वाले लोग अक्सर यह सोचकर खुश होते हैं कि वह तंबाकू का सेवन करने वाले करोड़ों भारतीयों में शामिल नहीं हैं. साथ ही उनमें से कईयों को यह बात भी तसल्ली दे सकती है कि वह धूम्रपान करने वालों के आसपास भी नहीं बैठते, जिस कारण परोक्ष रूप से धुएं के संपर्क में आकर हर साल लाखों जान गंवाने वाले पैसिव स्मोकर्स में भी शामिल नहीं हैं. मगर उन्हें निश्चित तौर पर यह बात परेशान कर सकती है कि वह थर्ड हैंड स्मोकिंग के खतरे में हो सकते हैं क्योंकि धूम्रपान के घंटों बाद भी वातावरण और सिगरेट के बचे हुए हिस्से में 250 से अधिक घातक केमिकल होते हैं, जो उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए काफी हैं.

आम तौर पर धूम्रपान करने वाले और उसके धुएं के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों को उसके दुष्प्रभाव का सामना करने वालों की श्रेणी में रखा जाता है. मगर अब ये नुकसान का दायरा बढ़ गया है. इसमें एक तीसरी कड़ी भी जुड़ गई है और इस तीसरी श्रेणी को कहते हैं, ‘थर्ड हैंड स्मोकर्स’.

थर्ड हैंड स्मोकिंग का मतलब है, सिगरेट के बचे हुए हिस्से, जैसे बची हुई राख, सिगरेट बट, और जिस जगह धूम्रपान किया गया है, वहां के वातावरण में उपस्थित धुंए के केमिकल से पहुंचने वाला नुकसान.

इसे ऐसे समझें, आफिस का कमरा, बंद कार, घर और वहां मौजूद फर्नीचर धूम्रपान के थर्ड हैंड स्मोकिंग एरिया बन जाते हैं. अच्छी बात ये है कि सावधानी बरतने से इसका खतरा आसानी से कम किया जा सकता है.

तंबाकू को हराने के हैं आसान उपाय  

"कई बीमारियां व्यक्ति के नियंत्रण के बाहर हैं, पर कुछ ऐसी भी हैं, जिन्हें वो रोक सकते हैं उसमें स्मोकिंग पहले नम्बर पर आती है. स्मोकिंग छोड़ देने से अधिकतर लोग गंभीर बीमारियों से अपने साथ-साथ अपने परिवार को भी बचा सकते हैं. ऐसा करने से उनके जीवन में कई तंदुरुस्ती भरे साल जुड़ जाएंगे. तंबाकू का सेवन करने वालों को जागरूक करें और उन्हें स्वस्थ जीवन जीने को प्रोत्साहित करें".
डॉ. दीपक सरीन, डायरेक्टर, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, कैंसर संस्थान, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम

वैशाखी मल्लिक ने फिट हिंदी से कहा, "भारत सरकार विशेष रूप से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विभिन्न राज्य स्वास्थ्य विभाग राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए कई प्रयास कर रही है और विभिन्न धूम्रपान मुक्त नीतियों को मजबूत करने के लिए भी कार्य कर रही है. लेकिन कुछ प्रयास और हैं, जो सरकार लोगों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए तंबाकू के जोखिम को कम करने के लिए कर सकती है. मूल रूप से धूम्रपान मुक्त क्षेत्रों को मजबूत करना और विशेष रूप से सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान मुक्त नीतियों को मजबूत करना".

"तंबाकू उत्पाद कचरे की पर्यावरणीय और आर्थिक लागतों के लिए तंबाकू उत्पादकों को जिम्मेदार बनाने के लिए मौजूदा योजनाओं के कार्यान्वयन (implementation) और सुदृढ़ीकरण (reinforcement) सहित कानून को आगे बढ़ाना एक और अच्छा कदम होगा. इसके साथ ही तंबाकू किसानों को एक अन्य विकल्प प्रदान करना एवं अधिक स्थायी आजीविका प्रदान करना अतिआवश्यक है".
वैशाखी मल्लिक, एसोसिएट डायरेक्टर - साउथ एशिया, पॉलिसी एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशन, वाइटल स्ट्रैटेजिस

लोगों को तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारें में जागरूक करने की जरूरत है. इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक सेवा घोषणा, मीडिया लेख, सोशल मीडिया टूल्स जैसे मजबूत अभियान शामिल करने चाहिए. लोगों को तंबाकू सेवन के स्वास्थ्य प्रभाव और पर्यावरण पर तंबाकू के प्रभाव के बारे में भी जागरूकता जरूरी है. इन प्रमुख मुद्दों के बारे में जागरूकता महत्वपूर्ण होगी और इन अभियान के माध्यम से विशेष रूप से युवाओं को शिक्षित करना चाहिए और उन्हें तंबाकू के उपयोग और पर्यावरणीय नुकसान के बीच गहरे संबंधों से परिचित कराना चाहिए.

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Published: 31 May 2022,07:52 AM IST

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