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Transvaginal Sonography: ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी मेडिकल इमेजिंग तकनीक है, जिसमें महिलाओं के प्रजनन अंगों की इमेज बनाने के लिए हाई फ्रीक्वेंसी की ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है. ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी का महत्व इसलिए है, क्योंकि महिलाओं की रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी अलग-अलग प्रकार की मेडिकल समस्याओं का पता लगाने और उनकी निगरानी करने के मामले में इसकी क्षमता कहीं अधिक बेहतर है.
ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी प्रक्रिया में वजाइना (योनी) में एक प्रोब (ट्रांसड्यूसर) भीतर डाला जाता है, जिससे पेट के अल्ट्रासाउंड के मुकाबले पेल्विक स्ट्रक्चर की नजदीक से और स्पष्ट तस्वीरें ली जा सकती हैं.
टीवीएस के कुछ खास इस्तेमाल और महत्व इस प्रकार हैं:
समय से गर्भावस्था का पता लगाना: ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड, समय से गर्भावस्था का पता लगाने, गर्भाशय की तस्वीर दिखाने और भ्रूण की हार्ट रेट का पता लगाने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है. इससे गर्भावस्था की हेल्थ की जानकारी पाने और गर्भ की आयु का पता लगाने में मदद मिलती है.
प्रजनन क्षमता में कमी का पता लगाना: टीवीएस, प्रजनन क्षमता में कमी के संभावित कारणों का पता लगाने के लिए गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय की जांच करने में अहम भूमिका निभाता है. इससे अंडाशय के सिस्ट, फाइबरॉयड्स और पॉलिप्स जैसी असामान्य परिस्थितियों का पता लगाया जा सकता है, जिसकी वजह से गर्भ धारण करने में समस्या आ रही होती है.
फीमेल मैटरनिटी से जुड़ी समस्याएं: टीवीएस का इस्तेमाल यूट्रीन से असामान्य स्थितियों, एंडोमेट्रियॉसिस, पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज (पीआईडी) और अंडाशय के ट्यूमर जैसी अलग-अलग तरह की स्त्री प्रसूति से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने और उनकी निगरानी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (PCOS): टीवीएस, अंडाशय में कई सिस्ट का पता लगाकर, उनके आकार और विस्तार की जानकारी देकर पीसीओएस का पता लगाने में मदद कर सकता है.
असामान्य ब्लीडिंग का पता लगाना: टीवीएस, एंडोमेटरियल लाइनिंग का टेस्ट करके और एंडोमेटरियल हाइपरप्लासिया या पॉलिप्स जैसी स्थितियों का पता लगाकर असामान्य यूट्रीन ब्लीडिंग यानी रक्तस्राव के कारणों का पता लगाने में मदद करता है.
फर्टिलिटी के उपचारों की निगरानी: महिलाओं के फर्टिलिटी से जुड़े इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसे उपचारों में टीवीएस का इस्तेमाल फॉलिक्यूलर ग्रोथ और एग रीट्रिवल प्रक्रियाओं की निगरानी करने के लिए किया जाता है.
पेल्विक दर्द का पता लगाना: टीवीएस की मदद से यूट्रस, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे अंगों की तस्वीरें लेकर पेल्विक दर्द के कारणों का पता लगाने में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगाना: ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड, एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगाने के लिहाज महत्वपूर्ण होता है. इस तरह की प्रेगनेंसी में भ्रूण गर्भाशय के बाहर और खास तौर पर फैलोपियन ट्यूब में विकसित होता है.
मीनोपॉज के बाद की स्थिति का पता लगाना: टीवीएफ का इस्तेमाल ऐसी महिलाओं में एंडोमेट्रियल की मोटाई की जानकारी हासिल करने और किसी भी असामान्य स्थिति का पता लगाने या ट्यूमर का पता लगाने में किया जाता है, जो मीनोपॉज के बाद भी रक्तस्राव की समस्या का सामना कर रही होती हैं.
गायनेकोलॉजिकल कैंसर की जांच: इससे ओवरियन और एंडोमेट्रियल कैंसर जैसे गायनेकोलॉजिकल कैंसर की जानकारी हासिल करने और समय से उसका पता लगाने में मदद मिल सकती है.
पेल्विक इन्फेक्शन का पता लगाना: यह महिलाओं के प्रजनन अंगों को प्रभावित करने वाली पेल्विक इंफ्लेमेटरी बीमारियों और दूसरे तरह के इन्फेक्शन का पता लगाने में मदद कर सकता है.
यह सुरक्षित और किसी भी तरह नुकसान न करने वाली प्रक्रिया है, जिससे पेल्विक स्ट्रक्चर की डिटेल्ड इमेज देखने को मिलती है. जिसकी वजह से यह महिलाओं की सेहत के लिहाज से बेहद जरूरी टूल है. हालांकि, किसी भी दूसरे मेडिकल टेस्ट की तरह इसका इस्तेमाल भी सही तरीके से करना चाहिए और इसका मूल्यांकन दूसरे क्लिनिकल जानकारी के साथ कुशल एक्सपर्ट्स द्वारा ही किया जाना चाहिए.
(फिट हिंदी के लिये ये आर्टिकल फरीदाबाद, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ ऑब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी के डायरेक्टर एंड हेड डॉ. नीति कौटिेश ने लिखा है.)
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