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World Health Day हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है. इसे मनाने का मकसद है, लोगों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना.
इस लेख में फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ मनोज गोयल, फेफड़ों की बीमारी और उनका ध्यान कैसे रखें के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
फेफड़े हमारी सेहत की जीवनरेखा होते हैं. हृदय और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंग जहां हमारे शरीर के सुरक्षित हिस्से में छिपे हुए होते हैं, वहीं फेफड़े सीधे वातावरण के संपर्क में आते हैं. ये बेहद नाजुक होते हैं और अन्य अंगों जैसे कि हृदय, जिगर तथा गुर्दे के खराब होने पर प्रभावित होते हैं. इसलिए हमें फेफड़ों की सेहत को लेकर लापरवाह नहीं करनी चाहिए. सच तो यह है कि फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए.
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज, अस्थमा और लंग कैंसर का प्रमुख कारण धूम्रपान है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि धूम्रपान के इन खतरों की बखूबी जानकारी होने के बावजूद भारत में धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या दुनियाभर में सर्वाधिक है.
हमारे यहां बीड़ी और हुक्का भी काफी प्रचलित है और यह माना जाता है कि ये प्राकृतिक साधन हैं, जिनसे सेहत नहीं बिगड़ती. लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि असल में सिगरेट की तुलना में बीड़ी और हुक्के से सेहत को ज्यादा नुकसान पहुंचता है.
यहां तक कि ई-सिगरेट भी सुरक्षित नहीं पायी गई हैं. इनके अलावा, परिवार के अन्य सदस्यों और सहयोगियों द्वारा धूम्रपान की वजह से फैलने वाले धुंए के परोक्ष सेवन से भी उन लोगों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है, जो खुद धूम्रपान नहीं करते हैं.
इसलिए, फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह से धूम्रपान रहित होना जरूरी है. अगर आप धूम्रपान करते हैं तो, धूम्रपान छोड़ने से मिलने वाले लाभ उठाने में कोई देरी नहीं हुई है. अपने घर को धुंआ रहित बनाने पर ध्यान दें.
यह भी ध्यान देने योग्य है कि आउटडोर और इंडोर वायु प्रदूषण की वजह से अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज, कैंसर तथा फेफड़ों के अन्य कई तरह के संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है, जो वायरल, फंगल तथा बैक्टीरियल हो सकते हैं.
हर दिन एयर क्वालिटी पर ध्यान दें और अगर आपके शहर/गांव में एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडैक्स) खतरनाक स्तरों तक पहुंच चुका हो तो बाहरी गतिविधियों और व्यायाम आदि को सीमित रखें. घर से बाहर जाते समय मास्क का प्रयोग करें.
अपने घर और दफ्तर को हवादार रखें. ऑफिस तथा मॉल्स जैसे बंद इंडोर क्षेत्रों में निगेटिव गैस एक्सचेंज लगवाएं. किचन में चिमनी लगवाने की व्यवस्था करें. धूम्रपान के अलावा घरों में अगरबत्तियों, दियों और मोमबत्तियों का प्रयोग न करें.
अपने घर में सीलन वाले स्थानों पर गौर करें क्योंकि इनकी वजह से फफूंद पैदा हो सकती है, जो फेफड़ों की एलर्जी और इंफेक्शंस का कारण बनती है. साथ ही, अगर आपको रेस्पिरेट्री एलर्जी है, तो डियोडोरेंट्स, परफ्यूम्स, पाउडर आदि का इस्तेमाल करने से बचें
आप खुद को लंग इंफेक्शंस से बचाने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं.
अपने हाथों को बार-बार धोएं
अपनी नाक और मुंह को छूने से बचें
खांसी-जुकाम के मौसम में भीड़-भाड़ में जाने से बचें
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें
बंद जगहों पर भीड़-भाड़ से परहेज करें
हाइ-रिस्क ग्रुप को जहां वहां मास्क लगाएं
अपनी ओरल हाइजिन पर ध्यान दें
हर दिन कम से कम दो बार ब्रश करें
हर छह महीने पर डेंटिस्ट के पास अवश्य जाएंें
नियमित रूप से जांच करवाने से रोगों से बचाव मुमकिन है, जब आप खुद को स्वस्थ महसूस कर रहे हों, तब भी स्वास्थ्य जांच करवाते रहें. फेफड़ों के रोगों के मामले में यह खासतौर से सही है, क्योंकि ये रोग अक्सर तब तक पकड़ में नहीं आते जब तक गंभीर रूप नहीं ले लेते.
नियमित रूप से या हर साल लंग फंक्शन टेस्ट कराने से अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज शुरुआती अवस्था में ही, लक्षणों के उभरने से पहले पकड़ में आ जाती हैं.
अगर आपको लगातार 2 हफ्तों से अधिक समय तक खांसी, बुखार बना रहे और थूक-बलगम में खून भी आए तो तत्काल डॉक्टर से मिलें, ये लक्षण ट्यूबरक्लॉसिस (तपेदिक/टीबी) की निशानी भी हो सकते हैं.
बचाव के लिए संतुलित भोजन लेने की सलाह दी जाती है, अपने भोजन में मेवे और मौसमी फलों को शामिल करें. नियमित रूप से व्यायाम करें, जिसमें गहरी सांस लेना, प्राणायाम, योग तथा अन्य व्यायाम किसी प्रशिक्षण की देखरेख में करें.
याद रखें कि सेहतमंद फेफड़े आपके शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य का भी आईना होते हैं.
( World Health Day पर यह लेख फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ मनोज गोयल द्वारा फिट हिंदी के लिए लिखा गया है.)
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