हैदराबाद में भारत का पहला अत्याधुनिक लंग-ट्रांसप्लांट प्रोसेस पूरी तरह से कामयाब हुआ है इसके साथ ही अब भारत अमेरिका और कनाडा सहित उन देशों में से एक देश बन गया है जहां "ब्रीथिंग लंग ट्रांसप्लांट" (Breathing Lung Transplant) किया जा सकता है. इससे एक बड़ा फायदा है क्योंकि नए लंग्स (फेफड़े) पाने का इंतजार करने वालों की संख्या बढ़ रही है और कोरोनावायरस ने 'लंग फेलियर' (Lung failure) के मामलों को बढ़ाया है.
यह अत्याधुनिक प्रक्रिया अंग की कटाई और ट्रांसप्लांट के बीच मौजूद समय को बढ़ाने में मदद करती है. यह संक्रमण को दूर करके और डोनेट किए गए फेफड़ों के "वेस्टेज" को कम करके शरीर के हिस्से को और आसानी से स्वीकार करने की क्षमता को भी बढ़ाता है. इसकी पहली प्रक्रिया शनिवार 11 दिसम्बर को हैदराबाद के कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में की गई.
देश के लंग ट्रांसप्लांट कैपिटल के रूप में उभर रहा हैदराबाद
"वेस्टेज" तब होता है जब इन्फेक्शन और अंदरूनी हिस्सों की खराबी के कारण दान किए गए फेफड़े का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. कार्यक्रम निदेशक डॉ संदीप अट्टावर ने बताया वास्तव में इन वजहों से आधे से अधिक उपलब्ध फेफड़ों का इस्तेमाल उन मरीजों के लिए नहीं किया जा सकता है जिन्हें ट्रांसप्लांट की जरुरत होती है- दिन पर दिन ट्रांसप्लांट की जरुरत वाले लोगों की बढ़ती संख्या एक गंभीर स्थिति है.
एक दान किया गया फेफड़ा "ब्रीथिंग लंग" बन जाता है जब इसे "ऑर्गन रिकंडिशनिंग बॉक्स" नाम की एक मशीन में अच्छे से सील करके डाल दिया जाता है और एक पोषक तत्व के साथ जिसमें एंटीबायोटिक्स और अन्य आवश्यक तरल पदार्थ होते हैं जो संक्रमण को दूर करते हैं.
हैदराबाद देश के लंग ट्रांसप्लांट कैपिटल के रूप में उभर रहा है और देश के 80 प्रतिशत ट्रांसप्लांट यहीं हो रहे हैं.
केआईएमएस अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ अभिनय बोलिनेनी ने कहा,
"एक अत्यधिक जटिल प्रक्रिया का प्रदर्शन करके, उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह न केवल भारत में, बल्कि संभवतः पूरे एशिया में सबसे अच्छी ट्रांसप्लांट टीम है,"डॉ अभिनय बोलिनेनी
(न्यूज इनपुट्स- एनडीटीवी)
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