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पूरी दुनिया में हार्ट से जुड़ी बीमारियां मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है. बदलता लाइफस्टाइल, तनाव, खानपान में पौष्टिक आहारों की कमी, फिजिकल एक्टिविटी कम होना, नींद की समस्या जैसी कई बातें हैं, जो हमारे हार्ट हेल्थ पर बुरा असर डालती हैं.
हम बढ़ते हार्ट प्रॉब्लम से लोगों की मौत की खबर आए दिन सुनने को मिल रही है, खास कर युवाओं में.
आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे दौड़ना कैसे हमारे हार्ट हेल्थ को स्वस्थ बनाने में मदद करता है. गुरुग्राम के मेदांता-द मेडिसिटी में कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी एंड पेसिंग हार्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर डायरेक्टर, डॉ. कार्तिकेय भार्गव दौड़ने से दिल को पहुंचने वाले फायदे के साथ-साथ उससे जुड़ी दूसरी जरूरी जानकरियां भी देंगे.
इससे हमारे ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहती है और हमारा ब्लड प्रेशर भी स्थिर रहता है. यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर है, तो आपको दौड़ना चाहिए क्योंकि इससे आपको ब्लड प्रेशर को प्रबंधित करने में सहायता मिलेगी.
दौड़ने से डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है. जिससे हार्ट का स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा, बिलकुल वैसे ही जैसे किसी साधारण मांसपेशी में व्यायाम से फायदा मिलता है.
दौड़ने के दौरान हार्ट अधिक कुशलता के साथ ब्लड को पंप कर पाता है और इससे हृदय की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं.
दौड़ने से हार्ट की रेस्टिंग हार्ट रेट कम हो जाती है, जिससे हार्ट के अंदर ऑक्सीजन का अधिक मात्रा में संचार होता है और व्यक्ति की उम्र बढ़ जाती है.
दौड़ना हार्ट के साथ-साथ शारीरिक फिटनेस बनाए रखने, वजन कम करने और पूरे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है.
डॉ. कार्तिकेय भार्गव ने दौड़ने से जुड़े अपने अनुभव फिट हिंदी से साझा किए, "मैं एक कार्डियोलॉजिस्ट और डॉक्टर हूं और मुझे दौड़ने का शौक है. मैंने लगभग पांच या छह साल पहले दौड़ना शुरू किया और इसके कई फायदे महसूस किए. इसके बाद से मैं अपना वजन कम करने के लिए रोजाना दौड़ने लगा. मेरा वजन सामान्य से लगभग 10 से 15 किलोग्राम ज्यादा था और मात्र 6 से 8 महीनों में केवल दौड़ने तथा स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से मैंने अपना वजन लगभग 12 किलोग्राम तक कम कर लिया. अब मैं स्वस्थ और तंदुरुस्त दिखता हूं और अपने रोगियों को पहले से कहीं अधिक अच्छे से परामर्श प्रदान करता हूं.
वार्म अप में थोड़ा टहलना या धीमी गति से दौड़ना और गतिशील स्ट्रेचिंग व्यायाम शामिल हैं और यह न केवल व्यायाम करने वाली मांसपेशियों के तापमान को बढ़ाता है बल्कि मुख्य व्यायाम के लिए शरीर और हार्ट को भी तैयार करता है.
इसी तरह, कूल डाउन में धीमी गति से टहलना चाहिए तथा स्टैटिक स्ट्रेचिंग व्यायाम करने चाहिए जो मांसपेशियों को धीरे-धीरे ठंडा करते हैं तथा heहार्ट रेट को धीरे-धीरे नोर्मल कर देते हैं.
डॉ. कार्तिकेय भार्गव आगे कहते हैं, "सच तो यह है कि यदि कोई उचित सावधानी बरतें और नियमित रूप से जांच करवाए. साथ ही व्यायाम करने से पहले और बाद में एक अच्छा बॉडी वार्म अप और कूल डाउन करें. नियमित रूप से स्ट्रेचिंग व्यायाम भी शामिल करें तो हृदय के जोखिम को वास्तव में बहुत कम किया जा सकता है".
डॉ. कार्तिकेय भार्गव के अनुसार उनके कई मरीज ऐसे हैं, जिन की बाईपास सर्जरी हो चुकी है या उनके ह्रदय में स्टेंट लगाए गए हैं, तब भी वो नियमित रूप से दौड़ते हैं और नियमित व्यायाम भी करते हैं. जिससे यह साबित होता है कि यह मात्र एक मिथक है कि ऐसे लोग जिन्हें किसी तरह का ह्रदय रोग है वे दौड़ नहीं सकते.
दौड़ने के अलावा आहार और लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से भी हार्ट हेल्थ में काफी सुधार किया जा सकता है.
आप दिन भर तरोताजा महसूस करने और अपने हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए मौसमी फलों और सब्जियों का खूब सेवन करें.
आहार, लाइफस्टाइल में बदलाव, नियमित शारीरिक व्यायाम, जिसमें दौड़ना भी शामिल है, ये सभी चीजें हार्ट के अच्छे हेल्थ के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेंगी.
हमारे एक्स्पर्ट बताते हैं कि लंबी दूरी की दौड़ करना या कोई ऐसा व्यायाम करना जिसमें लंबा समय लगे, धीरे धीरे कर के हार्ट में एडाप्टिव बदलाव लाते हैं, जो कि ईसीजी और इकोकार्डियोग्राफी पर साफ तौर पर देखा जा सकता है. इसमें घटी हुई रेस्टिंग पल्स एवं हार्ट रेट, हार्ट के वाल्व के आसपास ब्लड फ़्लो में वृद्धि, कार्डियक चेंबर के अंदर डाइलेटेशन होना, जिससे कि हार्ट के पंप करने की क्षमता बढ़ती है.
इन सभी लक्षणों को कुल मिलाकर एथलीट का हार्ट कहा जाता है, जिसके परिणाम के कारण हार्ट की बीमारी से संबंधित कोई भी लक्षण गायब हो जाता है और किसी तरह के उपचार की कोई भी आवश्यकता नहीं पड़ती है.
हालांकि इन्हें हार्ट की अन्य गंभीर स्थितियों से अलग करने की आवश्यकता है.
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