नई बीमारियों के बीच आज हम बात करेंगे एक ऐसे टेस्ट की, जो पहले बुजुर्गों में किया जाने वाला सबसे आम टेस्ट हुआ करता था. बीते कुछ सालों से अब यह टेस्ट नौजवानों को भी कराने की सलाह दी जाती है.
हम बात कर रहे हैं, लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (Lipid Profile Test) की. इस टेस्ट से शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल का पता चलता है. डायबिटीज और मोटापा की तरह ही कोलेस्ट्रॉल भी आजकल बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुका है.
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट क्यों जरूरी है? लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराने का नियम क्या है? टेस्ट से किन बीमारियों का पता चलता है? लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का क्या मतलब है? ऐसे ही कई जरूरी सवालों के जवाब हम ने पूछे अपने एक्स्पर्ट्स से. आइए जानते हैं.
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट क्यों जरूरी है?
"लिपिड प्रोफाइल टेस्ट से कोलेस्ट्रॉल लेवल का पता चलता है. जो भी सबसे बड़े हार्ट डिजीज के कारण हैं, उसमें कोलेस्ट्रॉल के लेवल को देखा जाता है. अगर कोलेस्ट्रॉल ज्यादा रहता है, तो हार्ट की बीमारी या हार्ट अटैक के चांसेज ज्यादा होते हैं और अगर कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में हो, तो हार्ट अटैक की आशंका कम रहती है, इसलिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट काफी जरूरी है".डॉ विवेका कुमार, प्रिंसिपल डायरेक्टर, कार्डियक साइंसेज डिपार्टमेंट एंड कैथ लैब्स चीफ, मैक्स अस्पताल, साकेत
शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने के लक्षण नजर नहीं आते हैं. ऐसे में नसों में कोलेस्ट्रॉल के लेवल का पता करने के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट ही एकमात्र आसान तरीका है.
"लिपिड प्रोफाइल टेस्ट से ब्लड में मौजूद फैट की मात्रा का पता चलता है. यह टेस्ट करना इसलिए जरुरी है क्योंकि यह एक बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर है. अगर लिपिड प्रोफाइल टेस्ट का रिजल्ट खराब यानी अगर तय मापदंड से बैड कोलेस्ट्रॉल ज्यादा और गुड कोलेस्ट्रॉल कम आता है, तो ऐसे लोगों में हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है."डॉ संजीव गेरा, डायरेक्टर कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नॉएडा
डॉ संजीव गेरा आगे कहते हैं, "अगर लिपिड प्रोफाइल ज्यादा आता है, तो यह ये दर्शाता है कि कुछ नसें जो हार्ट, ब्रेन या टांग को ब्लड सप्लाई कर रही हैं, हो सकता है कि उनमें कहीं रुकावट (blockage) हो. यहां बता दें कि ऐसा जरुरी नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल हाई है, तो पक्का ब्लॉकेज होगी. ब्लॉकेज चेक करने के लिए हम आगे दूसरे टेस्ट कराते हैं. कार्डियोलॉजिस्ट या फिजिशियन के पास भेजते हैं. फिर वो बताते हैं कि आगे किन टेस्टों की जरुरत है, जिससे पता चले कि हाई कोलेस्ट्रॉल का असर क्या पड़ रहा है शरीर के ऊपर".
लिपिड के कितने प्रकार हैं?
लिपिड के 4-5 प्रकार होते हैं.
टोटल कोलेस्ट्रॉल (Total cholesterol)
हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (HDL)
लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (LDL)
ट्राइग्लिसराइड्स (Triglyceride)
नॉन एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (Non HDL cholesterol)
एक बेसिक लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में ये सभी देखा जाता है.
"एक एडवांस लिपिड प्रोफाइल टेस्ट होता है, जिसके अंदर अपोलीपोप्रोटीन भी देखे जाते हैं, जिससे हार्ट अटैक होने की जेनेटिक टेंडेंसी का पता लगाया जाता है.डॉ संजीव गेरा, डायरेक्टर कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नॉएडा
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराने से पहले करें ये काम
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट का नियम यह है कि टेस्ट से पहले 10-12 घंटे कुछ न खाएं यानी खाली पेट यह टेस्ट कराएं. पानी पीने में कोई हर्ज नहीं है. अच्छा ये होगा कि टेस्ट खाली पेट में सुबह-सुबह कराएं. ऐसा करने से सही वैल्यू का पता चलता है. अगर आप खाना खाने के बाद टेस्ट कराते हैं, तो कई बार ट्राइग्लिसराइड्स (Triglyceride) का वैल्यू फॉल्स हाई यानी कि गलत आ जाता है. ऐसे में टेस्ट दोबारा कराना पड़ता है.
टेस्ट से 10-12 घंटे पहले कुछ न खाएं
सुबह-सुबह खाली पेट टेस्ट करना अच्छा
टेस्ट से पहले पानी पीने की मनाही नहीं लेकिन चाय या कॉफी न पीयें
लिपिड, फैट जैसा पदार्थ है, जो हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत है. यह ब्लड और टिश्यूज में जमा होता है और हमारे शरीर की सही कार्य प्रणाली के लिए बेहद जरूरी भी होता है.
वहीं अगर हमारे शरीर में लिपिड का लेवल हाई हो जाए तो, स्ट्रोक, दिल का दौरा या कोरोनरी आर्टरी डिजीज जैसी बीमारियों का रिस्क बढ़ा भी सकता है.
इस टेस्ट के रिजल्ट बीमारी का पता लगाने के साथ-साथ कई मेडिकल कंडिशन की रोकथाम और निगरानी में भी मददगार साबित होते हैं.
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की सामान्य रेंज क्या होती है?
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की सामान्य रेंज हैः
टोटल कोलेस्ट्रॉल का नॉर्मल रेंज- 200 mg/dL से कम
HDL का नॉर्मल रेंज- 40 mg/dL से ऊपर
LDL का नॉर्मल रेंज- 100 mg/dL से नीचे
ट्राइग्लिसराइड्स (Triglyceride) का नॉर्मल रेंज- 10 से 150 mg/dL के बीच
"भारत में हाई गुड कोलेस्ट्रॉल बहुत कम देखने को मिलता है. 5 प्रकार के लिपिड में सामान्य रेंज हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है. जैसे अगर कोई डायबिटीक है या किसी दूसरी बीमारी से ग्रसित है, तो उसके लिए अलग होगी. पुरुष और महिला के लिए रेंज अलग होती है. सामान्य रेंज उम्र पर भी निर्भर करती है. डॉक्टर व्यक्ति को उसके स्वास्थ्य और बाकी कारणों के आधार पर क्या सही लिपिड रेंज बता पाने में मददगार होते हैं".डॉ संजीव गेरा, डायरेक्टर कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नॉएडा
हाई कोलेस्ट्रॉल से शरीर को पहुंचते ये नुकसान
हाई कोलेस्ट्रॉल शरीर के लगभग सभी भागों को नुकसान पहुंचता है.
हाई कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक की आशंका को कई गुना बढ़ा देता है
शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने पर वह आर्टरीज में जमा होने लगता है, जो ब्लॉकेज का कारण बनता है. इससे ब्लड फ्लो में बाधा आती है. इसका असर दिल, दिमाग, किडनी और शरीर के निचले भाग पर भी पड़ता है.
हाई कोलेस्ट्रॉल से आंखों पर बुरा असर पड़ता है क्योंकि कोलेस्ट्रॉल के अधिक मात्रा में जमा होने से आंखों की ओर होने वाले ब्लड फ्लो में रुकावट आती है.
किन परिस्थितियों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है?
"जितनी भी चीजें जो कि हार्ट के लिए रिस्क फैक्टर होती हैं, जैसे कि खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होना, घी और तेल ज्यादा खाना, अगर डायबिटीज है, तो जाहिर सी बात है, एक कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी बढ़ेगा, तीसरी महत्वपूर्ण चीज है एक्सरसाइज न करना, जिसकी वजह से कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है."डॉ विवेका कुमार, प्रिंसिपल डायरेक्टर, कार्डियक साइंसेज डिपार्टमेंट एंड कैथ लैब्स चीफ, मैक्स अस्पताल, साकेत
डॉ विवेका कुमार के अनुसार कुछ लोगों में जेनेटिक कारणों की वजह से कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ रहता है.
"कुछ लोगो में यह जेनेटिक डिजीज होता है, जिनके पेरेंट्स में या फैमिली में बहुत स्ट्रॉन्ग हार्ट की बीमारी होती है, तब भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ पाया जाता है. अगर किसी को थायराइड की बीमारी है, जिसको हाइपोथायराइड कहा जाता है, तब भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ पाया जाता है. इसके कारण कई हैं, पर असर हार्ट पर ज्यादा हो जाता है".डॉ विवेका कुमार
किस उम्र के बाद लिपिड प्रोफाइल टेस्ट जरूर कराना चाहिए?
किसी के परिवार में अगर हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत है, तो उन्हें 30 साल की उम्र के बाद टेस्ट करा लेना चाहिए और यदि ऐसी कोई समस्या नहीं है, तो 40 साल की उम्र के बाद लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करा लेना चाहिए. फिर अगर टेस्ट रिजल्ट नॉर्मल रहता है, तो 5 साल में एक बार करा लेना चाहिए और यदि नॉर्मल नहीं रहता है, तो डॉक्टर की सलाह लें. वैसे ऐसे लोग कम से कम साल में एक बार टेस्ट जरूर कराएं. जिन लोगों को पहले से हार्ट की बीमारी है, उनको छह महीने में एक बार जरूर करना चाहिए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)