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World Mental Health Day 2023: हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. मेंटल स्ट्रेस केवल बड़े-बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे बच्चों में भी बढ़ने लगा है. स्कूल-कॉलेज के बच्चे हर रोज कई तरह के स्ट्रेस से गुजरते हैं. उसमें से एक है 'रैगिंग' (Ragging). जूनियर्स के इंट्रोडक्शन की आड़ में कई स्कूल-कॉलेज में सीनियर्स रैगिंग करते हैं, जो कई बार बहुत अधिक इंटेंस और एक्सट्रीम हो जाती है, जिसका नेगेटिव असर उसे झेलने वाले बच्चों पर पड़ता है.
रैगिंग से होने वाले मेंटल ट्रामा को कैसे पहचाने? रैगिंग को ले कर क्या कहता है भारतीय कानून? रैगिंग झेल रहे बच्चों का साथ कैसे दें? क्या हैं रैगिंग से डील करने के उपाय? एक्सपर्ट बता रहीं हैं रैगिंग से जुड़े इन सवालों के जवाब.
भारत में आए दिन किसी न किसी स्कूल-कॉलेज से रैगिंग से जुड़ी खबरें आती रहती हैं. कुछ महीनों पहले पश्चिम बंगाल (West Bengal) के जादवपुर विश्वविद्यालय (Jadavpur University) के 18 साल के ग्रेजुएशन स्टूडेंट की हॉस्टल की दूसरी मंजिल से गिरकर मौत हो गई थी. ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर के छात्र के परिवार ने आरोप लगाया है कि कैंपस में उसके साथ रैगिंग (Ragging) की जा रही थी.
साथ ही, अगर इसकी वजह से आपके कामकाज पर भी असर पड़ रहा है और आपकी रोजमर्रा की गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं. आप मन लगाकर पढ़ाई नहीं कर पा रहें तो यह निश्चित ही इस बात की निशानी है कि रैगिंग की घटनाओं ने आपको काफी परेशान किया है और समय रहते इन समस्याओं की ओर ध्यान देना जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग के खिलाफ गाइडलाइन्स जारी की है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि देश के शैक्षणिक संस्थानों में प्रॉक्टोरल कमेटी बनाई जाए ताकि रैगिंग को रोका जा सके और इस तरह के मामले को आंतरिक कमेटी ही अड्रेस कर सके.
कई राज्यों में रैगिंग के खिलाफ स्पेशल कानून बनाए गए हैं. केरल रैगिंग निषेध अधिनियम, 1998 रैगिंग के आरोपी छात्र को निलंबित या बर्खास्त करने का प्रावधान रखता है और कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को अनिवार्य रूप से निकटतम पुलिस स्टेशन को सूचित करने की जरूरत होती है. अगर कोई शैक्षणिक संस्थान ऐसा करने में फेल होता है, तो इसे अपराध करने के लिए "उकसाना" माना जाएगा.
उन्हें बताएं कि इस तरह की स्थितियों से निपटने लिए स्कूल/कॉलेज में एंटी-रैगिंग सेल्स मौजूद है. उन तक इस संदेश को पहुंचाएं कि आप उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुन रहे हैं और आपको अंदाजा है कि उनके साथ जो कुछ घटा है उसका क्या और कैसा असर हुआ है.
अपने बच्चों के दोस्त बनें और उन्हें मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने के प्रति जागरूक करें.
स्टूडेंट्स को यह अच्छी तरह से समझाया जाना चाहिए कि रैगिंग की घटनाओं से निपटने के लिए बाकायदा इंतजाम हैं. उन्हें यह पता होना चाहिए कि ऐसे मामलों में कहां तक लक्ष्मण रेखा खींची जानी चाहिए और यह भी कि अगर वे खुद को असहज महसूस करें, तो किससे संपर्क करें.
ये हैं एक्सपर्ट के बताए कुछ असरदार उपाय:
अपने अनुभवों को नहीं दबाएं
उनके बारे में बात करें
अपने आसपास सपोर्ट सिस्टम बनाएं
कॉलेज एंटी रैगिंग सेल की मदद लें
कॉलेज के मेंटल हेल्थ सपोर्ट सिस्टम का पता करें
अपने अधिकारों का पता कर खुद को प्रोटेक्ट करें
रैगिंग के असर को मैनेज करने में कॉलेज की मदद लें
कॉलेज के प्रोफेसर/स्टूडेंट्स की मदद लें
मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन से संपर्क करें
रैगिंग से अपना आत्मविश्वास डगमगाने न दें
अपने दोस्तों, परिवार या किसी एक्सपर्ट के साथ खुलकर बातचीत करने में देरी न करें.
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