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अगर कोई पूछे कि मानवता का सबसे बड़ा हत्यारा कौन है ? तो इसका जवाब न तो परमाणु बम होगा, न ही युद्ध और न ही कोविड जैसी महामारी. मानवता का सबसे बड़ा हत्यारा है, धूम्रपान जिसका आविष्कार बदकिस्मती से इंसानों ने ही किया है.
तंबाकू में ऐसे अनेक हानिकारक रसायन होते हैं, जो धूम्रपान करने वालों और धूम्रपान न करने वालों, दोनों के लिए ही खतरनाक होते हैं. तंबाकू के धुएं में 7000 से अधिक रसायन होते हैं और इनमें से कम से कम 70 कैंसर कारक होते हैं.
धूम्रपान शरीर के तकरीबन हर हिस्से को नुकसान पहुंचाता है और व्यक्ति के स्वास्थ्य को इस तरह से प्रभावित करता है कि वह अनेक गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाता है, जो जीवन के लिए खतरनाक हैं.
धूम्रपान से सिर्फ फेफड़े का ही कैंसर नहीं होता बल्कि अनेक अन्य अंग जैसे मुहं, गले, भोजन नली किडनी, ब्लैडर, जिगर, पेंक्रियास, पेट और आंतें भी कैंसरग्रस्त हो सकती हैं. धूम्रपान से हृदय रोग, स्ट्रोक, लाइलाज फेफड़े की बीमारियां, दमा के अलावा ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है कि मधुमेह हो जाए या फिर रक्तचाप पर नियंत्रण न रहे. धूम्रपान से रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ती है और निमोनिया और तपेदिक का जोखिम भी बढ़ जाता है.
धूम्रपान करने वाली महिलाओं के लिए गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है और धूम्रपान करने वाली गर्भवती महिलाओं को गर्भपात होने, समय से पहले प्रसव और शिशु के अंगों में विकार का जोखिम बना रहता है. धूम्रपान करने वाली महिलाओं के शिशु को अचानक मृत्यु का भी खतरा होता है.
परिवार में जो लोग धूम्रपान नहीं भी करते उन्हें भी परोक्ष धूम्रपान से ऐसा ही खतरा रहता है. खास तौर से बच्चों पर इसका अधिक असर होता है और यह कैंसर कारक भी हो सकता है. परोक्ष धूम्रपान बच्चों के फेफड़े का विकास धीमा करता है और उन्हें खांसी, छींकने की शिकायत और सांस में दिक्कत भी हो सकती है. धूम्रपान घरों के भीतर प्रदूषण का भी बड़ा कारण है। धूम्रपान के कण लंबे समय तक वातावरण में बने रहते हैं और परिवार के दूसरे सदस्यों को प्रभावित करते हैं.
यह भी गलतफहमी है कि सिगरेट के बजाए हुक्के या बीड़ी से कम नुकसान होता है. किशोरों में ई—सिगरेट का चलन भी बहुत बढ़ गया है. लेकिन ई सिगरेट भी सुरक्षित नहीं हैं. सच तो यह है कि ई—सिगरेट पीने वाले ज्यादातर लोग बाद में तंबाकू वाली परंपरागत सिगरेट पीने लगते हैं. इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि ई—सिगरेट से धूम्रपान छोड़ने में मदद मिलती है. तंबाकू हर प्रकार हानिकारक है और उसकी लत लगती है. इतनी ही नहीं, धूम्रपान का कोई सुरक्षित कम स्तर भी नहीं है.
धूम्रपान छोड़ना आसान नहीं होता क्योंकि इससे शारीरिक और मानसिक दासता पैदा हो जाती है. धूम्रपान छोड़ने के लिए बेहद मजबूत इच्छाशक्ति चाहिए. कई बार धूम्रपान छोड़ने के लिए डॉक्टर की सहायता की जरूरत पड़ती है क्योंकि वे इस दौरान धूम्रपान छोड़ने में सहायक दवाएं दे सकते हैं. इसके अलावा परिवार से सहृदय और मजबूत समर्थन भी मिलना जरूरी है.
संपूर्ण आहार, पर्याप्त पानी लेना, योग और नियमित कसरत से भी धूम्रपान छोड़ने में मदद मिलती है. परिवार के साथ बिताने या खेलों में व्यस्त रहने से भी धूम्रपान की ओर से ध्यान बंटता है. धूम्रपान छोड़ने के फायदों के बारे में लगातार जागरूक रहने और इन फायदों को बार बार याद करने से भी यह लत छोड़ने की प्रेरणा मिलती है.
धूम्रपान छोड़ने से हृदय गति सामान्य होने लगती है, रक्त में ऑक्सीजन और कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा में सुधार होता है, कम खांसी होती है, कैंसर और हृदय की बीमारियों का खतरा कम होता जाता है और दूसरी अन्य बीमारियां भी नहीं लगतीं.
धूम्रपान कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं बल्कि यह एक सामाजिक समस्या है. इस विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर हमारा यह आग्रह है कि तंबाकू के प्रोडक्ट्स का किसी भी दबे ढके अंदाज में विज्ञापन न हो. मैट्रो स्टेशन, पार्कों, मॉल आदि को तंबाकू मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाए. स्कूलों और कॉलेजों के पास तंबाकू और सिगरेट की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी हो. सिगरेट के पैकेट्स पर सिगरेट के हानिकारक प्रभावों जैसे कैंसर आदि के चित्र प्रकाशित किए जाएं.
( World No Tobacco Day पर यह लेख फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ मनोज गोयल द्वारा फिट हिंदी के लिए लिखा गया है.)
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Published: 30 May 2022,03:19 PM IST