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हर साल 17 मई को दुनिया भर में World Hypertension Day मनाया जाता है. भारतीय बच्चों में मोटापे (Obesity) और हाइपरटेंशन की समस्या तेजी से बढ़ रही है. बचपन में हाइपरटेंशन (Hypertension) की समस्या होने से बच्चों में स्ट्रोक, हार्ट अटैक, किडनी फेल होना, आंखों की रोशनी कम होना जैसी खतरनाक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
आइए जानते हैं, बच्चों में हाइपरटेंशन (Hypertension) के लक्षणों के बारे में विशेषज्ञों से, जिन्हें भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और साथ ही ‘साइलेंट किलर’ कहे जाने वाली इस समस्या से बच्चों को कैसे बचाएं.
हाइपरटेंशन (Hypertension) यानी हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) एक बेहद खतरनाक बीमारी है. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें धमनियों (arteries) में ब्लड का दबाव काफी बढ़ जाता है और इसके कारण ब्लड की धमनियों (arteries) में ब्लड का प्रवाह बनाए रखने के लिए हार्ट को नोर्मल से अधिक काम करने की जरूरत पड़ती है.
रक्त धमनियां (blood arteries) जितनी सिकुड़ी या पतली होंगी, उतना ही हार्ट को ब्लड पंप करके आगे पहुंचाने में शक्ति लगानी पडे़गी और इस वजह से ब्लड प्रेशर (blood pressure) उतना ही ज्यादा होगा.
हार्ट अटैक (heart attack) यानी दिल का दौरा पड़ने के पीछे की एक बड़ी वजह हाइपरटेंशन (hypertension) भी है.
इसके अलावा इससे ब्रेन, किडनी और अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है. अक्सर इससे पीड़ित बहुत से लोग इसके लक्षणों पर ध्यान नहीं देते और जिस वजह से यह समस्या गंभीर हो जाती है.
“बच्चों में लक्षण उम्र के अनुसार अलग-अलग दिखते हैं. 1-2 साल के शिशु को हाइपरटेंशन (hypertension) होने पर चिड़चिड़ापन, दूध नहीं पीना, सुस्त रहना है. कुछ बच्चों में हाइपरटेंशन के साथ दूसरी अंडरलाइन समस्या भी होती है, जैसे हाइपरटेंशन के साथ कुशिंग सिंड्रोम (cushing syndrome) जिसमें बच्चे का वजन बढ़ता जाता है” ये कहना है, दिल्ली के मणिपाल हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग की एचओडी और कन्सल्टंट डॉ स्मिता मिश्रा का.
ये हैं बच्चों में हाइपरटेंशन के लक्षण :
लगातार सिरदर्द होना
चक्कर आना
सुस्ती रहना
चिड़चिड़ापन
दिल की धड़कन तेज होना
दिमागी दौरे आना
सामान्य से ज्यादा सांस फूलना
आंखों में जलन महसूस करना
चलने पर पैरों में दर्द या तकलीफ होना
विशेषज्ञों के अनुसार, जैसे बड़ों में प्राइमरी हाइपरटेंशन होता है, वैसे ही बच्चों में भी प्राइमरी हाइपरटेंशन देखा जा रहा है. इसका कारण है बच्चों का बदलता हुआ लाइफस्टाइल (lifestyle). कोविड के कारण बच्चे घर पर ही बैठे रहे, जिसकी वजह से फिजीकल ऐक्टिविटी (physical activity) कम हुई तो बच्चों में ओबीसिटी बढ़ गई. जो हाइपरटेंशन का कारण होता है.
डॉ अमित मिसरी ने फिट हिंदी को बताया कि एक स्टडी में ये पता चला है कि आजकल बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है, जिसके कारण वो कम सोते हैं और इससे हाइपरटेंशन की समस्या होती है. साथ ही फास्ट फूड में नमक की मात्रा ज्यादा होती है, जो बच्चों में हाइपरटेंशन का एक कारण बनता है.
डॉ स्मिता बताती हैं, “एक वैज्ञानिक डाइट है, जो ऐसी स्थिति में काफी मददगार साबित होती है. इसे DASH (डाइटरी अप्रोचेस टू स्टॉप हाइपरटेंशन) यानी हाइपरटेंशन रोकने की डाइट कहा जाता है. इसमें मौसमी फल, सब्जियां, नट्स, कार्बोहाइड्रेट और कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल हैं.
इस तरह की डाइट ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करती है क्योंकि इसमें कम नमक और चीनी होता है. हाइपरटेंशन से ग्रसित बच्चों की डाइट से सोडियम को हटा देना चाहिए. हाई पोटैशियम, मैग्नीशियम और फाइबर वाले खाद्य पदार्थ डीएएसएच (DASH) डाइट का हिस्सा हैं. यह डाइट बॉडी में पानी की कमी को भी कम करता है.”
लाइफस्टाइल (lifestyle) में बदलाव से हाइपरटेंशन के मरीजों में बहुत सुधार आता है. छोटी-छोटी बातों का अगर ध्यान रखा जाए और दिनचर्या में बदलाव लाया जाए, तो हाइपरटेंशन को बहुत हद तक कम किया जा सकता है और उसके कारण होने वाली इमरजेंसी को आसानी से टाला जा सकता है.
"बच्चों में सर्दी ठीक करने की दवाएं और जो पेन किलर्स दी जाती है, उससे भी सेकंडेरी हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है. बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को कोई भी दवा नहीं देनी चाहिए" ये कहना है डॉ उद्गीथ धीर का.
3 साल से बड़े बच्चों का साल में 1 बार ब्लड प्रेशर जरुर चेक होना चाहिए.
शारीरिक व्यायाम/एक्सरसाइज नियमित रूप से कराएं
प्रीजर्वेटिव (preservative) वाला खाना बच्चों को नहीं खिलाएं
नमक कम खिलाएं
पर्याप्त नींद लेने की आदत दिलाएं
खाने में फल और हरी पत्तेदार सब्जी दें
रेड मीट कम से कम खिलाएं
फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक्स नहीं दें
टीवी, कम्प्यूटर या मोबाइल से नहीं बच्चों को लोगों से जुड़ना सिखाएं
फिट हिंदी से बात करते हुए तीनों विशेषज्ञों ने ये सलाह दी.
अगर किसी बच्चे का वजन ज्यादा बढ़ रहा है, उसकी लंबाई की तुलना में तो हमें उसके पीछे के कारणों का पता लगाना चाहिए. साथ ही ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को खेलते समय कोई परेशानी तो नहीं हो रही.
सबसे ज्यादा बच्चे को फास्ट फूड और स्क्रीन से दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि स्क्रीन के सामने पूरे समय बैठे रहने से बच्चों में हार्ट और किडनी की समस्या बढ़ रही है.
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