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World Menstrual Hygiene Day 2022: 28 मई को विश्व भर में महिलाओं को मेन्स्ट्रुएशन यानी मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बरतने को लेकर जागरूक करने के मकसद से मनाया जाता है. हर साल मेन्स्ट्रुअल हाइजीन डे (Menstrual Hygiene Day) यानी मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है.
मेन्स्ट्रुएशन को बोलचाल की भाषा में पीरियड्स भी कहा जाता है. दुनिया में ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्हें उनका पहला मेन्स्ट्रुएशन साइकिल अच्छी तरह से याद है और उससे जुड़ी अच्छी के साथ-साथ बुरी यादें भी.
हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अपनी बेटियों के मेन्स्ट्रुएशन साइकिल शुरू होने से पहले उसके बारे में उनसे बातें करें, उन्हें सही तरीके और उसके महत्व के बारे में बताएं ताकि आने वाले भविष्य के लिए एक मजबूत नींव तैयार हो सके.
लड़कियों को एक उम्र के बाद और पीरियड्स से पहले उसके बारे में जानकारी देना अच्छा होता है. ऐसा नहीं होने पर जब उन्हें अचानक मासिक धर्म शुरू हो जाता है, तो वह समझ नहीं पाती कि उनके साथ क्या हो रहा है और वह घबरा जाती हैं. वो डर और घबराहट उम्र भर उनकी यादों में रह जाता है.
गायनकॉलिजस्ट डॉ नुपूर गुप्ता ने फिट हिंदी को बताया कि लड़कियों का पहला मासिक धर्म यानी कि मेनार्चे (Menarche) औसतन (on an average) 9 से 12 साल की उम्र में आता है. इसके लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं.
आमतौर पर मेन्स्ट्रुएशन साइकिल 7 दिनों की होती है और हर 21 से 35 दिनों पर दोहराती है.
डॉ नुपुर गुप्ता कहती हैं, “लड़कियों को आजकल पीरियड्स के बारे में पहले से बताना जरुरी है. ये मां भी कर सकती हैं और स्कूल में काउन्सलिंग भी की जाती है. अगर मां ये सपोर्ट नहीं दे पा रही हैं या फिर बच्ची के मन में दुविधा है, तो गायनकॉलिजस्ट से भी बच्ची को मिलवा सकती हैं.”
बेटी को ये बताएं कि ये एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है, जो उसे बाल्यावस्था (childhood) से वयस्कता (adulthood) की ओर ले जाती है. प्यूबर्टी (Puberty) की उम्र में आने वाले बदलावों के बारे में बेटी से खुलकर बातें करें. कोशिश करें कि एक ही बार में सभी बदलावों के बारे में बात करने की बजाय अलग-अलग सेशन में बात करें.
अगर आपकी बेटी या बेटा पीरियड्स के बारे में पूछते हैं, तो उन्हें खुलकर जवाब दें और हिचकिचाएं नहीं, क्योंकि मेन्स्ट्रुएशन साइकल यानी मासिक धर्म एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है.
सामान्य और असामान्य प्रक्रिया के बारे में, कम और ज्यादा ब्लड के बहाव के बारे में, रेगुलर-इरेग्युलर, पीरियड्स कितने दिनों में शुरू होना चाहिए और कब तक चलना चाहिए जैसे कई सवालों के जवाब खुलकर और सही-सही दें.
उन्हें कोई भी गलत जानकारी है, तो तुरंत सही बात बताएं. साथ ही अपने अनुभव उनके साथ साझा करें.
बेटी को बताएं कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं. उनमें से एक लड़कियों में बच्चे को जन्म देने की क्षमता का विकास करते हैं. वो विकास लड़कियों के यूटरस में होता है. हर महीने यूटरस की परत हटती है और वेजाइना से वेस्ट ब्लड के रूप में बाहर निकल जाती है. जिसे हम मेन्स्ट्रुएशन साइकिल कहते है.
जब ऐसा नहीं होता है तो, ज्यादातर मामलों में यूटरस अपने आप को बच्चे के विकास के लिए तैयार करने में जुट गया होता है यानी कि प्रेग्नेंसी की शुरुआत हो सकती है.
मेन्स्ट्रुअल साइकल शरीर में होर्मोनल बदलाव लाते हैं, जिसके कारण किसी-किसी को समस्या होती है. ऐसे में बेटी को परिवार का पूरा सपोर्ट मिलना चाहिए और उसे ये बताना चाहिए कि ऐसा बस थोड़े वक्त के लिए होता है.
“इस समय खेल-कूद, व्यायाम नहीं करने के पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं है. बेटी को बताएं कि ऐसे में खेल-कूद, वॉक, हल्के-फुल्के व्यायाम, योग करते रहना चाहिए, चाहे थकान कितनी भी हो. व्यायाम से शरीर में पॉजिटिव हार्मोन निकलते हैं, इससे शारीरिक और मानसिक लाभ पहुंचता है" ये कहना है डॉ नुपुर गुप्ता का.
थकान
डायरिया
उकासी
सिरदर्द
पेट दर्द
मूड स्विंग्स
ज्यादा भावुक होना
गुस्सा आना
ऐंजाइयटी
पीरियड्स शुरू होने की उम्र के बारे में बताएं
शुरू-शुरू के 1-2 साल पीरियड्स रेगुलर नहीं होते हैं
पीरियड्स शुरू होने के बाद लड़कियों का शरीर प्रेग्नेंसी के लिए तैयार हो जाता है क्योंकि हर महीने अंडों का विकास होने लगता है, साथ ही ये भी बताएं कि छोटी उम्र प्रेग्नेंसी के लिए सही नहीं होती है
पीरियड्स 3 से 5 दिनों तक चलना चाहिए
28 से 35 दिनों पर पीरियड्स होना चाहिए, पर 21 दिनों से लेकर 45 दिनों तक को भी नॉर्मल माना जाता है
पीएमएस (PMS) एक सिंड्रोम है, जिसमें शरीर में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव आते है. मूड स्विंग, ब्लोटिंग, मुंहासे जैसे अन्य बदलाव.
अच्छा मेन्स्ट्रुअल हेल्थ बेहद जरुरी है. अपने बच्चों से इसके बारे में बात करना कई बार संकोच का विषय भी बन सकता है. लेकिन यह बच्चों के लिए बेहद जरुरी है ताकि वो अपने शरीर से जुड़े फैसले सही ढंग से ले सकें. बच्चों को सही जानकारी मिले, ये जिम्मेदारी माता-पिता की ही है. इस बारे में जानकारी देने के तरीके खोजें.
मेन्स्ट्रुअल हेल्थ के बारे में अपनी बेटी के साथ-साथ अपने बेटे को भी जरुर बताएं. धीरे-धीरे उन्हें बताना शुरू करें. सब कुछ एक दिन या एक बार में बताना सही नहीं होगा.
बेटी को पीरियड्स के बारे में बताने के बाद उसे पहले से मेन्स्ट्रुअल हाइजीन प्रोडक्ट साथ ले जाने का सुझाव दें. उसे दिखाएं कि पैड, टैम्पोन, मेंस्ट्रुअल कप का सही तरीके से उपयोग कैसे किया जाता है, ताकि अगर उसे अकेली उस स्थिति का सामना करना पड़े, तो वो उसके लिए पूरी तरह से तैयार रहे.
मेन्स्ट्रुअल हाइजीन प्रोडक्ट से जुड़े अपने अनुभव भी साझा करें ताकि उसे सही प्रोडक्ट चुनने में सहायता मिल सके.
एक और जरुरी बात, बेटी को एक मेन्स्ट्रुअल हाइजीन प्रोडक्ट का इस्तेमाल कितनी देर तक करना है ये जरुर बताएं.
डॉ गुप्ता बताती हैं कि पीरियड्स के दौरान थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पौष्टिक आहार और भरपूर तरल पदार्थ बेटी को देते रहें. कैल्शियम की मात्रा भी बढ़ा दें.
दर्द निवारक दवा (pain killer) का इस्तेमाल जरुरत पड़ने पर करें.
पेट में या पीठ में दर्द ज्यादा होने पर गर्म या ठंडे सेंक लें, अदरक की चाय भी किसी-किसी को आराम देती है.
सबसे पहले तो उसे ऐसे दिन के लिए मानसिक तौर पर तैयार कर दें. बेटी को बताएं कि स्कूल में या घर से दूर पीरियड्स शुरू होने पर उसे क्या करना चाहिए.
ऐसे में उसे लड़कियों के वॉशरूम में जाकर जांच करनी चाहिए. बेटी के लिए एक छोटा सा मेंस्ट्रुअल किट तैयार कर उसके साथ दे दें, जिसे वो ऐसे समय में उपयोग में ला सके. जिसमें अंडरवियर, पैड या टैम्पोन, वाइप, पैन किलर शामिल हों.
बेटी को बताएं कि पीरियड्स अनियमित हो सकता है, जो ज्यादातर किसी समस्या का संकेत नहीं होता है लेकिन कभी-कभी समस्या भी हो सकती है. इसलिए, अपनी बेटी को पीरियड्स को ट्रैक करने के लिए एक डायरी जिसमें कैलेंडर हो या आजकल कई ऐसे ऐप हैं, जो पीरियड्स ट्रैक करते है. उनका उपयोग करना सीखाएं.
पीरियड्स को ट्रैक करने से कई बार आपातकालीन स्तिथि से बचा जा सकता है और साथ ही अपने अपने मेन्स्ट्रुअल हेल्थ को समझने में मदद भी मिलती है.
ऐसे तो पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं, पर इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क जरुर करें.
15 साल की उम्र तक अगर बेटी का पीरियड शुरू न हो
स्तन विकास शुरू होने के 3 वर्षों बाद भी पीरियड्स शुरू न हो
पीरियड्स शुरू होने के 2 साल बाद भी पीरियड्स रेगुलर न हो
बहुत अधिक ब्लीडिंग हो
बहुत ज्यादा क्रैम्प हो
लगातार उल्टी या डायरिया हो
पीएमएस (PMS) के लक्षण बहुत ज्यादा हों, जिसकी वजह से बेटी की दिनचर्या पर बुरा असर पड़ रहा हो
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