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World Stroke Day 2023: ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर मेडिकल समस्या, लकवा आने पर क्या करें?

World Stroke Day 2023: ब्रेन स्ट्रोक के मामले में जल्द से जल्द इलाज मिलना बहुत जरूरी है.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p><strong>World Stroke Day 2023:&nbsp;</strong>स्ट्रोक (लकवा) को कैसे पहचानें?</p></div>
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World Stroke Day 2023: स्ट्रोक (लकवा) को कैसे पहचानें?

(फोटो:फिट हिंदी/iStock)

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World Stroke Day 2023: दुनियाभर में ब्रेन स्ट्रोक के केस बढ़ रहे हैं. भारत में भी ये बीमारी तेजी से पांव पसार रही है. आलम यह है कि देश में हर 4 मिनट में स्ट्रोक से एक मौत हो रही है. स्ट्रोक भारत में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है. देश में हर साल स्ट्रोक के लगभग 18 लाख से अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं. स्ट्रोक के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 अक्टूबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाया जाता है.

ब्रेन स्ट्रोक जिसे लकवा भी कहते हैं, का कारण मस्तिष्क को होने वाली ब्लड सप्लाई में रुकावट होती है, जिसकी वजह से ब्रेन सेल्स को नुकसान पहुंचता है.

ब्रेन स्ट्रोक क्या है और क्यों आता है? स्ट्रोक (लकवा) को कैसे पहचानें? स्ट्रोक आने पर क्या करना चाहिए? ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के लिए क्या कर सकते हैं? क्या ब्रेन स्ट्रोक का इलाज संभव है? इन सारे सवालों के जवाब जानते हैं एक्सपर्ट्स से.

ब्रेन स्ट्रोक क्या है?

ब्रेन स्ट्रोक (brain stroke) एक गंभीर मेडिकल स्थिति है, जो ब्रेन की आर्टरीज यानी धमनियों में ब्लॉकेज या ब्रेक के कारण होती है. इसकी वजह से ब्रेन के किसी हिस्से में ब्लड की आपूर्ति सही तरह से नहीं हो पाती है.

जब ब्रेन को आवश्यक ऑक्सीजन और पोषण पहुंचाने वाली आर्टरीज में ब्लॉकेज होती है, तब उसे इस्केमिक स्ट्रोक कहते हैं. दूसरी ओर, किसी ब्रेन आर्टरी के ब्रेक होने के कारण आने वाले स्ट्रोक को हेमोरेजिक स्ट्रोक कहते हैं, जिससे ब्रेन में खून फैलने लगता है.

बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रिंसिपल डायरेक्टर, डॉ. अतुल प्रसाद ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) के दो प्रमुख कारण के बारे में कुछ यूं बताते हैं:

  • इस्केमिक स्ट्रोक: यह सबसे सामान्य प्रकार का स्ट्रोक है, जिसमें कुल मामलों का लगभग 85% हिस्सा होता है. इसमें ब्लड का थक्का आर्टरीज में ब्लॉकेज कर ब्लड फ्लो को कम कर देता है या पूरी तरह से बंद कर देता है. ब्लड फ्लो की कमी के कारण ब्रेन को ऑक्सीजन और पोषण की कमी होती है, जिससे नुकसान या मौत हो सकती है.

  • हेमोरेजिक स्ट्रोक: इस प्रकार का स्ट्रोक तब होता है, जब ब्रेन में कोई ब्लड की नस फट जाती है. ऐसे में ब्रेन में ब्लीडिंग होने लगती है. हेमोरेजिक स्ट्रोक एन्यूरिज्म या हाई बीपी जैसी स्थितियों के कारण हो सकती है.

ब्रेन स्ट्रोक क्यों आता है?

"ब्रेन स्ट्रोक का कारण मस्तिष्क को होने वाली ब्लड सप्लाई में रुकावट होती है, जिसकी वजह से ब्रेन सेल्स को नुकसान पहुंचता है. यह दिल या दूसरे भागों में खून के थक्के जमने (क्लॉटिंग) के कारण होता है, जो कि कलेस्ट्रोल के अधिक जमाव के चलते धमनियों में रुकावट पैदा करता है."
डॉ. प्रवीण गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड हेड, डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव

डॉ. विपुल गुप्ता फिट हिंदी से कहते हैं कि वैसे तो स्ट्रोक (लकवा) अचानक होता है, लेकिन इसके कई रिस्क फैक्टर हैं. सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है ब्लड प्रेशर. बहुत लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहने या अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल भी इसका कारण बनता है. इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है.

वो आगे कहते हैं,

"आदतों की बात करें, तो तंबाकू और शराब का सेवन करने वालों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दूसरों की तुलना में ज्यादा होता है. अनहेल्दी डाइट लेना और आलसभरी लाइफस्टाइल भी इसके खतरे को बढ़ाती है."
डॉ. विपुल गुप्ता, चीफ- न्यूरो इंटरवेंशनल सर्जरी एंड को चीफ- स्ट्रोक यूनिट, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

स्ट्रोक को कैसे पहचानें?

डॉ. अतुल प्रसाद ने बताए स्ट्रोक को पहचानने के ये तरीके:

  • चेहरा (Face): व्यक्ति से मुस्कराने के लिए कहें और ध्यान दें कि क्या उनका एक तरफ का चेहरा लटक जाता है?

  • बाहें (Arms): उनसे दोनों हाथ ऊपर उठाने के लिए कहें और ध्यान दें कि क्या एक हाथ नीचे झुक जाता है?

  • बोलचाल (Speech): उनसे एक साधारण वाक्य दोहराने के लिए कहें और ध्यान दें कि क्या उनकी बोलचाल पहले से अलग और अजीब हो गयी है?

  • समय (Time): ये सभी लक्षण दिखे, तो तुरंत इमरजेंसी सेवाओं को कॉल करें.

स्ट्रोक के इलाज में समय की एहमियत बहुत बड़ी है. जितनी जल्दी मेडिकल हेल्प मिलेगी उतनी अच्छी रिकवरी की संभावना बढ़ेगी.

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ब्रेन स्ट्रोक आने पर क्या करना चाहिए?

"ब्रेन स्ट्रोक के मामले में जल्द से जल्द इलाज मिलना बहुत जरुरी है. इसलिए अगर किसी को ब्रेन स्ट्रोक हो, तो बिना देरी किए एंबुलेंस बुलाकर मरीज को अस्पताल पहुंचाना चाहिए. इससे जल्दी इलाज मिलना संभव हो पाता है."
डॉ. विपुल गुप्ता, चीफ- न्यूरो इंटरवेंशनल सर्जरी एंड को चीफ- स्ट्रोक यूनिट, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

जैसे ही आपको लगे कि किसी व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है/हुआ है, तो उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाएं, जहां उनकी ब्रेन सीटी/एमआरआई जांच की जाएगी.

  • जब तक एंबुलेंस न पहुंच जाए, तब तक पीड़ित व्यक्ति को शांत और आरामदायक स्थान पर लिटाएं. उसे किसी प्रकार के दबाव में न आने दें.

  • मरीज की सांसों पर नजर बनाए रखें और स्थिति के अनुरूप जरूरत पड़ने पर पानी पिलाएं.

  • जहां मरीज को रखें, वहां पूरा वेंटिलेशन होना चाहिए. व्यक्ति को सांस लेने में किसी तरह की परेशानी न आने दें.

  • फोन पर डॉक्टर की राय लेकर प्राथमिक उपचार दे सकते हैं. ऐसी स्थिति में एस्पिरिन देना लाभकारी हो सकता है, क्योंकि इससे खून पतला होता है और ब्लॉकेज खुलने की उम्मीद रहती है.

"अगर मरीज को स्ट्रोक होने के 4.5 घंटे के दौरान इलाज के लिए अस्पताल लाया जाए तो इंजेक्शन से क्लॉट्स को घुलाया जा सकता है और 24 घंटों के भीतर डॉक्टर एंजियोग्राफी कर उन क्लॉट्स को मैकेनिकली निकाल सकते हैं."
डॉ. प्रवीण गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड हेड, डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव

ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के लिए क्या कर सकते हैं?

"ब्रेन स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर पर नजर डालें तो इससे बचाव के तरीके भी सामने आ जाते हैं. बचाव का सबसे अहम तरीका है हेल्दी डाइट. फल, सब्जियां, हरी पत्तेदार सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को कम करता है. नमक का कम सेवन भी लाभकारी है."
डॉ. विपुल गुप्ता, चीफ- न्यूरो इंटरवेंशनल सर्जरी एंड को चीफ- स्ट्रोक यूनिट, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

स्ट्रोक (लकवा) से बचाव के लिए कई जरुरी लाइफस्टाइल चैलेंजेज के मैनेजमेंट की जरूरत होती है. यहां कुछ तरीके हैं, जिनसे लकवे के खतरे को कम किया जा सकता है:

  • ब्लड प्रेशर कंट्रोल: हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक का एक बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर है. ब्लड प्रेशर की रेगुलर मॉनिटरिंग और जरूरत पड़ने पर डाइट, एक्सरसाइज, दवा के जरिए मैनेजमेंट करना भी जरुरी है.

  • हेल्दी डाइट: फल, सब्जियां, पूरे अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार खाएं. सैट्युरेटेड और ट्रांस फैट, नमक और अतिरिक्त चीनी को सीमित करें.

  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें: हफ्ते में कम से कम 5 दिन 30 मिनट का एक्सरसाइज करें.

  • सिगरेट छोड़ें: सिगरेट पीने से आपके आपके शरीर में स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. सिगरेट छोड़ने से तुरंत और लंबे समय तक हेल्थ बेनिफिट हो सकता है.

  • शराब का सेवन बंद: अधिक मात्रा में शराब पीने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और स्ट्रोक का खतरा भी.

  • डायबिटीज का मैंजमेंट: हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और डॉक्टर के सुझाव के अनुसार दवाओं के माध्यम से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें.

  • हेल्दी वजन बनाए रखें: अधिक मोटापा या ओबेसिटी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है.

  • कोलेस्ट्रॉल का मैनेजमेंट: बढ़े हुए LDL (बुरा) कोलेस्ट्रॉल आपके धमनियों में प्लाक जमने के खतरे को बढ़ा सकता है. दवाइयों और आहार में परिवर्तन से कोलेस्ट्रॉल के लेवल को मैनेज किया जा सकता है.

  • पर्याप्त पानी पीना: डिहाइड्रेशन ब्लड क्लॉट के खतरे को बढ़ा सकता है, इसलिए दिन में पर्याप्त पानी पीना महत्वपूर्ण है.

  • तनाव को कम करें: तनाव स्ट्रोक के खतरे में योगदान कर सकता है. ध्यान या योग जैसी तनाव कम करने की तकनीकों को अपनाने से फायदे हो सकता है.

क्या ब्रेन स्ट्रोक का इलाज संभव है?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) का इलाज संभव है लेकिन इलाज की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि स्ट्रोक किस प्रकार का है, उसका कारण क्या है और व्यक्ति पर कितना प्रभाव पड़ चुका है.

"बेशक, ब्रेन स्ट्रोक के मरीज पूरी तरह से रिकवर हो सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि उन्हें गोल्डन पीरियड के दौरान अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया जाए. ऐसा होने पर पूरी तरह रिकवरी की संभावना बढ़ती है."
डॉ. प्रवीण गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड हेड, डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव

डॉ. विपुल गुप्ता भी डॉ. प्रवीण की बातों से सहमत होते हुए कहते हैं,

"तुरंत इलाज मिल जाए तो मरीज की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है. समय रहते इलाज शुरू करना, फिजियोथेरेपी और दवाओं से स्ट्रोक के कुछ मामलों में लाभ मिलता है. गंभीर मामलों में डॉक्टरों की देखरेख में थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है. लापरवाही की जाए, तो ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) जानलेवा हो सकता है."
डॉ. विपुल गुप्ता, चीफ- न्यूरो इंटरवेंशनल सर्जरी एंड को चीफ- स्ट्रोक यूनिट, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

वहीं डॉ. अतुल प्रसाद का कहना है कि हर मामले में हुए नुक़सान का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं भी हो सकता है.

"हालांकि स्ट्रोक से संबंधित ब्रेन को हुए नुकसान का पूरी तरह से इलाज हमेशा संभव नहीं हो सकता. मेडिकल प्रोग्रेस, रिहैबिलिटेशन और लाइफस्टाइल में बदलाव कई स्ट्रोक सर्वाइवर्स के लिए महत्वपूर्ण सुधार और जीवन की गुणवत्ता बढ़ता है."
डॉ. अतुल प्रसाद, प्रिंसिपल डायरेक्टर-न्यूरोलॉजी, बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल

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