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बुधवार, 2 फरवरी को सोशल मीडिया दिग्गज कंपनी गूगल (Google), ट्विटर (Twitter) और फेसबुक (Facebook) के अधिकारियों और भारतीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) के अधिकारियों के बीच कंटेंट मॉडरेशन और फेक न्यूज कंट्रोल पर एक मीटिंग हुई. इस बैठक में सरकार और अधिकारियों के बीच फेक न्यूज पर कार्रवाई करने को लेकर बातचीत हुई.
केन्द्र सरकार की ओर से शामिल अधिकारियों ने कहा कि जब बड़ी कंपनियों के अपने कॉमर्शियल इंट्रेस्ट की बात आती है, वो तत्काल रूप से एक्शन लेती हैं. लेकिन जब भारत से संबंधित राष्ट्रविरोधी, भड़काऊ और फेक खबरों की बात आती है, तो वे इस मुद्दे को उठाने की जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ देते हैं. यह एक नकारात्मक स्पिन-ऑफ हो रहा है, जिससे इंटरनेशनल कम्यूनिटी को यह लग रहा है कि भारत सरकार सोशल मीडिया पर कठोर रूप अख्तियार करती है.
गूगल, ट्विटर और फेसबुक के अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग के बाद एक अधिकारी ने कहा कि अन्य देशों में, उनके पास ऐसी शिकायतों से निपटने के लिए एक मकैनिज्म है, लेकिन भारत में वे उम्मीद करते हैं कि सरकार मामलों को खुद उठाएगी और कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
सरकार के अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया कि मीटिंग में कोई गरमागरम बहस हुई, जैसा कि मीडिया के एक हिस्से में बताया गया था. लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि अपनी बात जोरदार तरीके से रखी.
पिछले साल दिसंबर में, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने खुफिया एजेंसियों के साथ चर्चा के बाद 20 YouTube चैनलों और दो वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दिया, जिसमें कहा गया था कि वे भारत विरोधी प्रचार और फर्जी खबरें फैला रहे थे.
सरकार ने कहा था कि ये चैनल और वेबसाइट पाकिस्तान से चलाए जा रहे हैं और भारत से संबंधित विभिन्न संवेदनशील विषयों के बारे में फर्जी खबरें फैलाने वाले एक नेटवर्क से संबंधित हैं.
सरकार ने कहा कि उनका इस्तेमाल कश्मीर, भारतीय सेना, भारत में अल्पसंख्यक समुदायों, राम मंदिर, जनरल बिपिन रावत आदि विषयों पर विभाजनकारी सामग्री पोस्ट करने के लिए किया गया था.
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