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प्रवासी मजदूरों की घर वापसी में दिक्कत को लेकर केंद्र राज्यों को जिम्मेदार बता रहा है तो राज्य केंद्र को दोषी बताते हैं. इस बीच झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्र पर बड़ा आरोप लगाया है. क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से खास बातचीत में सोरेन ने कहा कि केंद्र जानबूझकर विपक्षी पार्टी की सरकार वाले राज्यों को परेशान कर रहा है, जबकि बीजेपी शासित राज्यों को बैकडोर से मदद दी जा रही है. सोरेन ने यहां तक कहा कि वो मजदूरों को सहूलियत दिलाने के लिए दो तीन दिन से गृहमंत्री अमित शाह को फोन कर रहे हैं लेकिन वो फोन नहीं ले रहे.
सोरेन ने इस इंटरव्यू में कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं है, ऐसे में कोरोना काल में राज्य भयंकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और ये मुद्दा केंद्र तक भी उठाया गया है. सोरेन ने आरोप लगाया कि कोरोना के मैनेजमेंट में केंद्र से बड़ी गलतियां हुई हैं. उन्होंने कहा कि-'अगर केंद्र लॉकडाउन लगाने के पहले मजदूरों को घर वापसी के लिए एक हफ्ते का समय दे देता तो आज इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती. लोग पटरियों पर, सड़कों पर नहीं मरते.
सोरेन ने कहा- पहले मजदूरों को रोका और फिर जब लगा कि शहरों में खून खराबा होगा तो मजदूरों के लिए ट्रेन चलाई. मजदूरों के लिए शहरों में रहने और खाने का इंतजाम कर देते तो ये नौबत नहीं आती. आज स्थिति ये है कि ट्रेन चलती है कहीं के लिए है और पहुंच कहीं और जाती है. अचानक कहीं ट्रेन पहुंच जाती है तो वहां के प्रशासन के लिए संभालना मुश्किल हो जाता है'
हेमंत सोरेन ने एक चौंकाने वाली बात बताई. उन्होंने कहा-'कई राज्यों में झारखंड के मजदूरों को जबरन रोका गया है. तमिलनाडु की एक मिल में 140 महिला मजदूरों को बंधक बनाकर रख लिया गया है. गुजरात में उन्हें गैर कानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है. हरियाणा मजदूरों की वापसी पर झारखंड के आग्रह का जवाब ही नहीं देता. और इन चीजों पर जब केंद्र से मदद मांगते हैं तो वो भी नहीं मिलती.
सोरेन ने दावा किया -'उनके राज्य में कोई प्रवासी मजदूर पैदल चलता दिखाई नहीं देगा. कोई भूखा नहीं है. हाइवे पर हर 20 किलोमीटर पर सामुदायिक किचन चल रहे हैं. जिला और पंचायत स्तर पर क्वॉरन्टीन सेंटर है. गांव में कोई संक्रमित नहीं है, जो बाहर से आ रहे हैं वही संक्रमित हैं. बाहर से आ रहे मजदूरों को तुरंत रोजगार दे रहे हैं. हमारे यहां कैश ट्रांसफर की जरूरत नहीं, क्योंकि तुरंत रोजगार और खाद्यान्न दे रहे हैं.'
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