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इंडिया टुडे के हालिया सर्वे देश का मूड (MOOD OF THE NATION) जारी किया गया है. सर्वे में कई सवालों के जवाब देशवासियों ने दिए हैं. इस सर्वे में मोदी की लोकप्रियता, एनडीए की विकफला, गांधी परिवार के बिना कांग्रेस, देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री समेत कई सवाल पूछे गए थे जिनके जवाब आ चुके हैं. आइए जानते हैं क्या कहता है सर्वे....
देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पीएम मोदी की लोकप्रियता में गिरावट देखने को मिली है. पिछले साल 2020 में 66 फीसदी लोग नरेन्द्र मोदी को देश के अगले पीएम के तौर पर देख रहे थे. लेकिन इस बार 24 फीसदी लोगों ने ही मोदी के नाम पर मुहर लगाई है. वहीं योगी आदित्यनाथ पिछले साल 3 फीसदी से इस बार 11 फीसदी पर आ गए उन्हें जनता पीएम के दूसरे विकल्प के तौर पर देखती है. जबकि राहुल गांधी 10 फीसदी लोगों की पसंद के साथ तीसरे स्थान पर हैं. पिछले साल राहुल को 8 फीसदी लोगों ने पीएम के तौर पर पसंद किया था. इस लिस्ट में अरविंद केजरीवाल ,ममता बनर्जी, अमित शाह, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी का नाम भी है.
NDA सरकार की प्रमुख विफलता पर 29 फीसदी लोगों ने मूल्य वृद्धि और मंहगाई पर मुहर लगाई. बेरोजगारी को दूसरी बड़ी विफलता बताया गया. 11 फीसदी ने कोविड प्रबंधन को विफलता के तौर पर इंगित किया. 8 फीसदी ने किसान आंदोलन और किसानों की समस्याओं पर ध्यान दिलाया जबकि 7 फीसदी ने नोटबंटी को एनडीए की सबसे बड़ी विफलत बताया.
अगर आज के दौर में प्रमुख समस्याओं की बात करें तो सर्वे में 23 फीसदी ने कोविड महामारी को सबसे बड़ी समस्या बताया. 19 फीसदी ने मंहगाई, 17 फीसदी ने बेरोजगारी, 9 फीसदी ने ईंधन की बढ़ती कीमतों और 6 फीसदी ने आर्थिक मंदी को सबसे बड़ी समस्या बताया.
अपने-अपने राज्यों में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री के बारे में लोगों ने सर्वे में अपनी राय दी है. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टैलिन की लोकप्रियता 42 फीसदी, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की 38 फीसदी, केरल के पिनारई विजयन की 35 फीसदी, महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे की 31 फीसदी और प.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की लोकप्रियता 30 फीसदी है. आदित्यनाथ योगी 29% के साथ सातवें नंबर हैं. खास बात ये है कि टॉप फाइव में कोई बीजेपी सीएम नहीं है...टॉप 10 में भी सिर्फ दो योगी और हिमंता हैं.
लोगों से विरोध प्रदर्शन के अधिकार पर जब पूछा गया तो 51 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें किसी भी प्लेटफार्म में अभिव्यत या प्रोटेस्ट करने में डर लगता है. उन्हें गिरफ्तारी का डर लगता है. जबकि 40 फीसदी ने कहा उन्हें विरोध प्रदर्शन करने में कोई समस्या नहीं है.
47 फीसदी लोगों कहा देश में लोकतंत्र को खतरा है. वहीं 47 फीसदी ने यह भी माना कि ऐसा नहीं है. पिछले साल 45 फीसदी लोग मानते थे कि लोकतंत्र को खतरा है.
जब लोगों से पूछा गया कि किस राज्य ने कोविड महामारी को बेहतर ढंग से संभाला है तो इन पांच राज्यों के लोगों ने अपनी सरकार के प्रति सबसे ज्यादा प्रतिबद्धता जताई. ओडिशा के 73 फीसदी, असम के 72 फीसदी, झारखंड के 63 फीसदी, तमिलनाडु के 62 फीसदी और गुजरात के 60 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके राज्य में कोविड का प्रबंधन ठीक से किया गया है.
सर्वे में लोगों 44 फीसदी लोगों ने माना कि कोविड महामारी की दूसरी लहर में लोगों को होनी वाली समस्याओं की जिम्मेदार केंद्र और राज्य सरकार दोनों हैं. वहीं 21 फीसदी ने किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है. 12 फीसदी लोगों का मानना है कि अकेले केंद्र सरकार जिम्मेदार है वहीं 10 फीसदी ने राज्य सरकार को दोषी ठहराया है. जबकि 6 फीसदी का मानना है कि इसके लिए हॉस्पिटल्स जिम्मेदार हैं.
19 राज्यों की 115 संसदीय क्षेत्र और 230 विधानसभा क्षेत्र में सर्वे किया गया. 14 हजार 559 लोगों ने हिस्सा लिया था.
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