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"जले हुए पश्न पत्र, एक बुकलेट नंबर, 68 सवाल, दो ट्रंक और 18 गिरफ्तारियां."
नीट-यूजी 2024 (NEET-UG 2024) विवाद मामले में बिहार आर्थिक अपराध इकाई (EoU) की जांच में अब तक ये जानकारियां सामने आई है, जो कि कथित रूप से पेपर लीक की ओर इशारा कर रही हैं. मामले के तार पटना से लेकर झारखंड के हजारीबाग तक से जुड़ रहे हैं.
EoU ने 22 जून 2024 को केंद्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसकी जांच से "स्पष्ट रूप से पता चलता है कि नीट-यूजी परीक्षा का पेपर लीक" हुआ था.
5 मई को देशभर में NEET-UG 2024 की परीक्षा हुई थी. इसी दिन पटना के शास्त्री नगर थाने में IPC की धारा 407, 408, 409 और 120(B) के तहत FIR दर्ज की गई थी. जिसमें 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
बिहार में ये मामला कैसे सामने आया, जानने के लिए यहां क्लिक करें.
वहीं पेपर लीक के आरोपों को लेकर 6 मई को दिल्ली में और 8 मई को गुजरात में भी मामला दर्ज हुआ था.
पटना में दर्ज मामले को करीब 12 दिन बाद यानी 17 मई को बिहार की आर्थिक अपराध इकाई को सौंप दिया गया. EoU मामले की जांच कर रही रही थी कि 4 मई को NTA ने परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया. जिसके बाद परीक्षा में धांधली और पेपर लीक के आरोप लगे. देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. वहीं केंद्र सरकार ने कथित पेपर लीक की जांच अब सीबीआई को सौंप दी है.
चलिए अब आपको बताते हैं कि EoU की अब तक की कार्रवाई में क्या सामने आया है? झारखंड से कैसे कथित पेपर लीक के तार जुड़े हैं.
दरअसल, पटना के खेमनीचक स्थित लर्न बॉयज हॉस्टल और लर्न प्ले स्कूल पर छापेमारी के दौरान पुलिस को प्रश्न पत्र की फोटोकॉपी के जले हुए अवशेष मिले थे.
FIR के मुताबिक, वही जगह थी जहां परीक्षा से पहले 04-05 मई की रात को 20-25 अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्र उत्तर सहित दिया गया और रटाया गया था. गिरफ्तार आरोपी सिकंदर यादवेंदु, अमित आनंद और नीतीश कुमार ने भी इस बात को कबूल की है. आरोपियों के बयान CrPC की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए हैं.
आरोपी सिकंदर ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि पहले प्रत्येक अभ्यर्थी से 30-32 लाख रुपये लेने की बात हुई थी. बाद में 40-40 लाख रुपये पर मामला तय हुआ था.
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार अभ्यर्थी अनुराग यादव ने पुलिस को दिए अपने बयान में कबूल किया है कि परीक्षा से पहले उसे भी पेपर पढ़ाया और रटवाया गया था. इसके साथ ही उसने कहा, "जो प्रश्न पत्र रटवाया गया था वही प्रश्न सही-सही परीक्षा में मिला था."
शिक्षा मंत्रालय को शनिवार को मिली EoU की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जले हुए पेपर के टुकड़ों पर बुकलेट नंबर-6136488 भी दर्ज मिला था. जांच में इस बुकलेट नंबर के तार झारखंड के हजारीबाग स्थित ओएसिस स्कूल से जुड़े. उक्त बुकलेट नंबर का प्रश्न पत्र ओएसिस स्कूल में भेजा गया था. बता दें कि ओएसिस CBSE से संबद्ध एक प्राइवेट स्कूल है जो हजारीबाग में NEET परीक्षा का सेंटर भी था.
आरोपी बालदेव उर्फ चिंटू, संजीव कुमार उर्फ लुटन मुखिया के गिरोह से जुड़ा है. EoU के मुताबिक, NEET-UG 2024 परीक्षा के सॉल्वड प्रश्न पत्र इसी गिरोह द्वारा मोबाइल पर उपलब्ध करवाए गए थे.
इस मामले में EoU को NTA से 15 संदिग्ध अभ्यर्थियों के रोल कोड मिले हैं, जिनमें से 4 से पूछताछ की जा चुकी है. वहीं अन्य पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे.
EoU ने रविवार को पांच और संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जिससे कथित पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या 18 हो गई.
अब बड़ा सवाल है कि पेपर कहां से और कैसे लीक हुआ? ये बड़ी पहेली बनी हुई है.
EoU के सूत्रों के मुताबिक, NTA किसी एक जगह पर प्रश्न पत्र प्रिंट करवाता है. प्रिंट होने के बाद सारे क्वेश्चन पेपर की बार कोडिंग की जाती है और फिर उसे अलग-अलग राज्यों में भेजा जाता है. प्रश्न पत्र सीधे सेंटर पर नहीं जाते हैं. पहले वो राज्यों की राजधानी में भेजे जाते हैं. जैसे- बिहार का पेपर पहले पटना आएगा. झारखंड का पेपर पहले रांची जाएगा. फिर प्रश्न पत्रों को वहां से कूरियर के जरिए जिन शहरों में सेंटर है, वहां भेजा जाता है. परीक्षा से पहले प्रश्न पत्रों को स्टेट बैंक के लॉकर में रखा जाता है. परीक्षा के दिन दो घंटे पहले पेपर बैंक से निकाला जाता है और मजिस्ट्रेट की निगरानी में सेंटर हेड को सौंपा जाता है.
EoU ने जानकारी देते हुआ बताया,
इसके साथ ही EoU ने कहा, "सुरक्षा मानकों जिसमें प्रश्न पत्र के ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज, हैंड ओवर/टेक ओवर के मानक शामिल हैं, इसकी जांच से पता चला की इनका सही से अनुपालन नहीं किया गया, जसके कारण प्रश्न पत्रों के बक्सों और एनवेलप से छेड़छाड़ नहीं पकड़ी जा सकी."
ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसानहुल हक ने सोमवार, 24 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्कूल की तरफ से किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "स्कूल प्रश्न पत्र लाता है 5 तारीख को, जिस दिन परीक्षा होती है. परीक्षा से 15 मिनट पहले पैकेट खुलता है. यहां स्कूल की संलिप्तता संभव नहीं है."
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि "EoU के अधिकारियों का कहना था कि एनवेलप की दूसरी तरफ एक बारीक कट था. जो किसी high skilled professional द्वारा किया जा सकता है. सात लेयर अंदर जाकर कट किया गया और ग्लू से चिपका दिया गया. जो किसी आम आदमी की पकड़ से बाहर है."
प्रिंसिपल हक ने बताया कि इस पूरे मामले में बैंक और ट्रांसपोर्टेशन एजेंसी में कुछ लापरवाही सामने आई है. उन्होंने कहा कि वे EoU के अधिकारियों के साथ बैंक गए थे. लेकिन बैंक वालों ने पहले मना कर दिया कि उनके यहां से पेपर नहीं गए थे.
एहसानहुल हक ने कूरियर एजेंसी के हवाले से बताया कि, "रांची से प्रश्न पत्र नेटवर्क की गाड़ी (ऐसी गाड़ी जो कई कंपनियों को सर्विस देती है) से आया था. कूरियर की गाड़ी में सिर्फ एक ड्राइवर था. सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि प्रश्न पत्र से भरे बक्से को बैंक पहुंचाने की जगह कूरियर सेंटर पर छोड़ दिया गया था. जिसके बाद उसे ई-रिक्शा से बैंक पहुंचाया गया."
EoU की टीम सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है. EoU ये ट्रैक करने की कोशिश में जुटी है कि क्या कूरियर कंपनी के कर्मचारी प्रश्न पत्र डिलीवर करने से पहले कहीं रुके थे या फिर किसी से मिले थे. उनके मोबाइल लोकेशन को भी ट्रैक किया जा रहा है.
मामले की छानबीन में जुटी EoU की टीम ने BPSC पेपर लीक केस में जेल में बंद आरोपी शिव कुमार से पूछताछ की. शिव ने ही अपने पिता संजीव मुखिया का नाम बताया है.
आरोप है कि दोनों सिपाही भर्ती परीक्षा और बीपीएससी समेत अन्य परीक्षाओं के पेपर लीक में शामिल रहे हैं. संजीव बिहार के नालंदा जिला के नगरनौसा प्रखंड के भुतहाखार पंचायत का रहने वाला है.
EoU के मुताबिक, इस पूरे मामले में एक संगठित अंतरराज्यीय गिरोह शामिल है. अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से 5 लोगों को देवघर से अरेस्ट किया गया है. वहीं संजीव मुखिया आरोपी सहित अन्य की तलाश जारी है.
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