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मतगणना के बाद और शपथ ग्रहण से पहले तक के दिनों में BJP में जिस तरह की हलचल थी उससे साफ लगता है कि केंद्र का हस्तक्षेप सरकार बनाने में ज्यादा रहा है. इसकी शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के पर्यवेक्षक बनाए जाने से हो गई थी.
केंद्र के इस दखल का मुख्य कारण 2024 में होने वाले आम चुनाव हैं जिसमें बीजेपी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. पार्टी के सबसे बड़े चाणक्य अमित शाह को उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए लगा दिया था.
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी और संगठन के सभी शीर्ष नेताओं ने इस बीच दिल्ली के कई चक्कर लगाए. यहां उनकी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कई राउंड की मुलाकात और कैबिनेट के भावी मंत्रियों के नामों पर मंथन हुआ. फिर आखिरी मीटिंग लखनऊ में बीजेपी विधानमंडल दल की थी जो फिर अमित शाह के नेतृत्व में हुई और वहां योगी आदित्यनाथ को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री चुना गया.
केंद्र के गहरे हस्तक्षेप का एक प्रमाण अरविंद कुमार शर्मा भी हैं. नौकरशाही से राजनीति में आए अरविंद कुमार शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी बताए जाते हैं. अरविंद कुमार शर्मा जब राजनीतिक दंगल में प्रवेश किए थे तब कयास लगाए जा रहे थे की शर्मा को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी लेकिन उन्हें संगठन तक ही सीमित रखा गया और बीजेपी का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया था.
हालांकि विशेषज्ञों ने तब भी दावा किया था कि अगर बीजेपी की सरकार दोबारा सत्ता में आती है तो उन्हें मंत्रिमंडल में जरूर जगह मिलेगी और आज वैसा ही हुआ. मनोज सिन्हा के कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर बनाए जाने के बाद पार्टी में कोई भी बड़ा भूमिहार नेता नहीं बचा था और अरविंद कुमार शर्मा के बढ़ते कद को देख कर लग रहा है कि संगठन अब इस कमी को खत्म करने की कोशिश कर रहा है.
बृजेश पाठक का बढ़ता हुआ कद भी केंद्र की देन मानी जा रही है. 2017 में बीएसपी छोड़कर बीजेपी में आए पाठक 5 साल में उप मुख्यमंत्री बन गए हैं और इनका यह बढ़ता कद प्रदेश के बीजेपी संगठन में कई लोगों को चुभ रहा है. लेकिन राजनाथ के करीबी माने जाने वाले पाठक को अगर विशेषज्ञों की मानें तो केंद्र का भी संरक्षण प्राप्त है जिससे उनके प्रतिद्वंदी भलीभांति परिचित हैं.
पिछले साल बीजेपी शासित केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्य और फिर 2024 में होने वाले आम चुनाव को लेकर अपनी मंशा जाहिर करना शुरू कर दिया था. रिटायरमेंट के 2 दिन पहले आईएएस दुर्गा शंकर मिश्रा को उत्तर प्रदेश का चीफ सेक्रेटरी बनाकर भेज दिया गया था. जानकारों की माने तो केंद्र के इस निर्णय को राज्य सरकार भाप भी नहीं पाई थी जिसको लेकर विपक्षियों ने तब योगी सरकार पर निशाना भी साधा था.
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