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मेरा पानी उतरता देख
मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना
मैं समंदर हूं
लौटकर वापस आऊंगा !
1 दिसंबर 2019 को किया गया देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) का ये ट्वीट फिर चर्चा में हैं. ट्विटर पर ये ट्वीट तेजी से वायरल हो रहा है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के इस्तीफे के बाद इसे महाराष्ट्र (Maharashtra) में बीजेपी (BJP) की वापसी के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र की सियासत का सिकंदर कहा जा रहा है.
महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) सरकार के गिरने के बाद माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की सियासत में देवेंद्र फडणवीस ने कमबैक किया है. 2019 की शर्मिंदगी को भूलाकर फडणवीस ने बीजेपी को फिर से महाराष्ट्र की सत्ता के केंद्र में ला दिया है. लेकिन ये सब एक दिन में नहीं हुआ है. कहा जा रहा कि MVA सरकार के गठन के साथ ही फडणवीस ने वापसी की पटकथा लिखनी शुरू कर दी थी.
महाराष्ट्र में शिवसेना (Shiv sena) और बीजेपी (BJP) के बीच सत्ता की लड़ाई आज की नहीं है. ये जंग 2019 विधानसभा चुनाव के बाद से चल रही है.
इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस, NCP के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना लिया. उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली. वहीं देवेंद्र फडणवीस नेता प्रतिपक्ष बने.
देवेंद्र फडणवीस ने नेता प्रतिपक्ष के तौर पर महाविकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. फडणवसी शिवसेना और उद्धव ठाकरे पर निशाना साधने से नहीं चूक रहे थे. वो लगातार सरकार की नकामियों को उजागर करने में जुट गए.
इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस ने अनिल देशमुख से लेकर नवाब मलिक और परमबीर सिंह के जरिए उद्धव सरकार में भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया. MVA सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक और अनिल देशमुख भ्रष्टाचार के आरोपों में अभी जेल में बंद हैं.
महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार में सेंधमारी राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव से शुरू हुई. पहले देवेंद्र फडणवीस ने राज्यसभा चुनाव में तीन सीटें जीतकर सत्तारूढ़ शिवसेना, कांग्रेस और NCP को बड़ा झटका दिया.
महाराष्ट्र की 6 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को वोट डाले गए थे. चुनाव परिणाम में बीजेपी (BJP) को 3, शिवसेना, NCP और कांग्रेस को एक-एक सीट पर जीत मिली. बीजेपी के दो उम्मीदवारों की जीत पक्की मानी जा रही थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी जीत भी दिला दी. बीजेपी के धनंजय महादिक ने शिवसेना के संजय पवार को मात दी.
राज्यसभा चुनाव के 10 दिन बाद ही देवेंद्र फडणवीस ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन को दूसरा झटका दिया. राज्यसभा चुनाव से सबक लेते हुए MLC चुनाव में कांग्रेस, NCP और शिव सेना ने अपने विधायकों को होटल में रखा था, लेकिन फिर भी देवेंद्र फडणवीस सेंध लगाने में कामयाब रहे.
MLC चुनाव में 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे. क्रॉस वोटिंग हुई. बीजेपी के सभी 5 कैंडिडेट जीत गए. वहीं NCP के 2, शिवसेना के 2 और कांग्रेस का 1 उम्मीदवार ही जीत सका.
विधान परिषद चुनाव के नतीजों ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन में फूट की दरार को और बढ़ा दिया. राज्यसभा और MLC चुनाव के बाद साफ हो गया कि MVA गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है. बीजेपी को भी इसे मौके का इंतजार था.
अभी महाविकास अघाड़ी गठबंधन हार के सदमे से उबरा भी नहीं थी कि शिवसेना में बगवात की चिंगारी भभक उठी. सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे. शिवसेना के खास और ठाकरे परिवार के करीबी एकनाथ शिंदे 13 विधायकों के साथ सूरत चले गए. फिर वहां से बीजेपी शासित असम के गुवाहाटी पहुंच गए.
28 जून से महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा अपने अंत की ओर बढ़ने लगा. दिल्ली, मुंबई और गुवाहाटी में बैठकों का दौर चला. देवेंद्र फडणवीस पहले दिल्ली गए, जहां उन्होंने सरकार बनाने की चर्चा की. दिल्ली दरबार से हरी झंडी मिलने के बाद फडणवीस मुंबई लौटे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर फ्लोर टेस्ट की मांग की.
फ्लोर टेस्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन उद्धव सरकार को वहां से भी राहत नहीं मिली. इसके बाद बुधवार देर रात उद्धव ठाकरे ने सरेंडर कर दिया. इस तरह से महाराष्ट्र में एक बार फिर बीजेपी सरकार का रास्ता साफ हो गया है.
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