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सोशल मीडिया सिर्फ जानकारी और सूचनाएं पाने का ही स्रोत नहीं रहा, भ्रामक और गलत जानकारी भी भर-भरकर परोसी जाती है. इन सूचनाओं को इस ढंग से पेश किया जाता है कि पहली नजर में ये पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि गलत क्या है और सही क्या.
जब इन गलत जानकारियों का इस्तेमाल किसी संप्रदाय विशेष को लेकर नैरेटिव सेट करने के लिए होता है तो ये और भी घातक हो जाती हैं. हम ऐसी भ्रामक खबरों की पड़ताल करके सच आप तक पहुंचाते हैं. आइए एक नजर डालते हैं ऐसी ही कुछ फेक खबरों पर जिन्हें सांप्रदायिक एंगल के साथ शेयर किया जा रहा है. हमने इन फेक खबरों की पड़ताल करके सच आप तक पहुंचाया है.
सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक दावे के साथ एक वीडियो शेयर किया जा रहा है. वीडियो में एक शख्स खाना पार्सल करते हुए उसपर उल्टी करता देखा जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि ये अल्जीरिया से आया एक शरणार्थी है.
वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि 21 वर्षीय जैलान कार्ले नाम के शख्स का पिज्जा में थूकते हुए एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया था. अमेरिकी बेसबॉल टीम Detroit Tigers के होम स्टेडियम में जैलॉन फूंड वेंडर था. मामले में अदालत ने भी जैलॉन को दोषी करार दिया था.
गूगल पर सर्च करने पर ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं जिनके मुताबिक वीडियो पोस्ट करने वाले शख्स ने बताया था कि सुपरवाइजर से अनबन के चलते जैलॉन ने ये हरकत की थी.
हमें इंटरनेट पर ऐसी कोई रिपोर्ट हमें नहीं मिली, जिसमें उल्लेख हो कि जैलॉन अल्जीरिया से आया शरणार्थी है. जैसा कि वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है. इस वीडियो को गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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सोशल मीडिया पर दूध में मिलावट करते एक शख्स के वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि वीडियो में दिख रहा शख्स मुस्लिम है.
वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि वीडियो साल 2020 का है. मिलावट करते शख्स का नाम राजू है. वीडियो असल में हैदराबाद के डाबीरपुरा का है और इसे लेकर एक मामला भी दर्ज किया जा चुका है. केस में डेयरी फार्म के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन राजू फरार हो गया था.
डाबीरपुरा पुलिस थाने के सब-इंस्पेक्टर श्रवण कुमार ने कंफर्म किया कि इस शख्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 269, 272 और 273 R/W 23 और महामारी रोग अधिनियम की धारा 3 के तहत केस दर्ज किया गया है.
मतलब साफ है कि दूध में मिलावट करते शख्स का पुराना वीडियो गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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सोशल मीडिया पर एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के भोपाल में घरेलू काम में मदद करने वाली महिला भोजन में मूत्र मिला रही है. वीडियो को सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है. दावे में कहा जा रहा है कि ये महिला मुस्लिम है.
मामले से जुड़े कीवर्ड सर्च करने पर हमें ‘Jansandesh News’ नाम के यूट्यूब चैनल पर 17 अक्टूबर, 2011 को अपलोड किया गया न्यूज बुलेटिन मिला इसमें काम कर रही महिला का नाम आशा बताया गया है. इसके अलावा दैनिक जागरण की साल 2011 की रिपोर्ट में भी महिला का नाम आशा कौशल ही बताया गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की 18 अक्टूबर 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक 55 वर्षीय इस महिला का नाम आशा कौशल है. घर के मालिक की शिकायत पर आशा पर धारा 270 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था.
मतलब साफ है कि 10 साल से भी पुराने वीडियो को हाल का बताकर इस गलत दावे से शेयर किया जा रहा है कि महिला मुस्लिम है. ये दावा झूठा है.
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ऐसा नहीं है कि सिर्फ खाने-पीने के सामान में मिलावट करने वाले वीडियो या फोटो को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावों से शेयर किया जा रहा है. ऐसे और भी वीडियो या फोटो हैं जो मिलावट करने से नहीं जुड़े हैं. उन्हें सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावों से शेयर किया जा रहा है. लखनऊ में हाल में ही हुई एक घटना का वीडियो शेयर करके भी ऐसे ही भ्रामक दावे किए जा रहे हैं.
लखनऊ के एक मॉल से शर्ट चुराने के आरोपी कॉन्स्टेबल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल हो रहा है कि कॉन्स्टेबल का नाम 'सलीम' है. वीडियो में दिख रहा है कि वर्दी के नीचे शर्ट पहने कॉन्सटेबल को वहां जमा भीड़ पीट रही है.
वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, ''सलीम का सिनेमा बन गया, लखनऊ: मॉल में खरीदारी करने गए सिपाही सलीम की चोरी के आरोप में हुई पिटाई,,,, ट्रायल रूम में वर्दी के नीचे चोरी कर तीन शर्ट पहन कर निकले सलीम की पोल खुली.''
वेबकूफ टीम ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल की तो पाया कि कॉन्सटेबल का नाम सलीम नहीं आदेश कुमार है. मामला सामने आने के बाद कॉन्सटेबल को सस्पेंड कर दिया गया है. क्विंट की वेबकूफ टीम ने हुसैनगंज थाने के एसएचओ दिनेश कुमार से भी संपर्क किया.
एसएचओ दिनेश कुमार ने पुष्टि की कि वायरल वीडियो में दिख रहा कॉन्स्टेबल आदेश कुमार है जो पुलिस लाइन में तैनात था. इसके अलावा हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें कॉन्सटेबल का नाम आदेश कुमार ही बताया गया है.
मतलब साफ है कि वीडियो को गलत दावे से शेयर करके सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.
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