advertisement
वीडियो एडिटर : अभिषेक शर्मा
इलस्ट्रेशन : अरूप मिश्रा
''झूठ को अगर बार-बार बोला जाए तो वो ही सच हो हो जाता है'', ये कहावत आज ऐसे वक्त पर बिल्कुल सटीक बैठती है जब रोजाना आने वाली सूचनाओं की बाढ़ आती हो, फिर भ्रामक सूचनाओं में से सच को पहचानना एक चुनौती लगती हो. ये जानना भी एक मुश्किल काम हो कि आखिर क्या सही है और क्या गलत.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने 2020 में दर्ज किया था कि फेक न्यूज/गलत जानकारी और अफवाहों के फैलने में 214% की तेजी देखी गई है. जाहिर है ये आंकड़े स्पष्ट करने के लिए काफी हैं कि अब स्थिति और खराब हो चुकी है.
लेकिन, हम आज आपको ये सब क्यों बता रहे हैं? ये तो वो बातें हैं जो आप पहले से ही जानते होंगे? जाहिर है आप जानते हैं, लेकिन आज हम आपको सिर्फ समस्या नहीं उसका समाधान बता रहे हैं. कुछ आसान स्टेप्स हैं, जिन्हें फॉलो करके आप ये सुनिश्चित कर पाएंगे कि इंटरनेट पर आने वाली हर सही-गलत जानकारी को आप सच नहीं मानते.
आपको सिर्फ खुदसे कुछ सवाल पूछने होंगे :
किसने शेयर किया : कौन लोग हैं जो उस खास जानकारी को शेयर कर रहे हैं. क्या वो लोग विश्वसनीय हैं? इससे पहले वो लोग किस तरह के पोस्ट शेयर करते रहे हैं ?
जानकारी का सोर्स क्या है : क्या जानकारी के साथ उसके सोर्स के बारे में भी बताया गया है ? क्या उसे सच साबित करता कोई सुबूत है?
बाकी विश्वसनीय सोर्स क्या कहते हैं ? : जब हम ऐसी किसी जानकारी को क्रॉस चेक कर रहे हों जिसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने भी छापा है, तो जरूरी है कि इससे जुड़े सबसे विश्वसनीय रिपोर्ट्स में क्या बताया गया है.
इन आसान स्टेप्स को हर बार फॉलो करने से आप इंटरनेट पर फैल रही हर जानकारी को सच नहीं मानेंगे. इन स्टेप्स के जरिए आप किसी भी जानकारी को शेयर करने के पहले क्रिटिकली उसका आकलन कर सकेंगे कि वो वाकई सच है या नहीं.
(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)