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एडिटोरियल इनपुट : कृतिका
वीडियो एडिटर : अभिषेक शर्मा
वीडियो एडिटर : अभिषेक शर्मा
कैमरा : यशपाल सिंह और गौतम शर्मा
क्या आपने कभी नोटिस किया कि चुनावों से पहले नेता अपनी बात में वजन लाने के लिए या अपने कार्यकाल को सफल दिखाने के लिए अक्सर बडे-बड़े आंकड़ों का जिक्र करते हैं. मसलन, पिछले 10 सालों में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ, बेरोजगारी 18% से गिरकर 2% हो गई है, आखिर ऐसा क्यों किया जाता है ?
इसकी 2 वजहें हैं
काफी मुश्किल होता है डेटा को याद रखना
जब दावे के साथ आंकड़े पेश किए जाते हैं, तो लोग आसानी से सच मान लेते हैं
क्राइम यानी अपराध के डेटा के उदाहरण से ही समझते हैं, जिसको लेकर हाल में सदगुरू ने दावा किया था. सदगुरू ने कहा था कि देश में पिछले 10 साल में कोई बड़ा साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ. पर क्या ये सही है, सचमुच?
भारत में, क्राइम से जुड़ा डेटा कलेक्ट करने का काम करता है गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB).
आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है सिर्फ. टाइप करें 'data on riots in India' इस सर्च के साथ इस साइट का एड्रेस लिखें इस तरह से site:ncrb.gov.in . ऐसा करने से सर्च रिजल्ट सिर्फ NCRB की वेबसाइट से ही आएगा.
सिर्फ यही नहीं. ऐसा ही फिल्टर मैं Filetype को लेकर भी लगाया जा सकता है. इसके लिए हमें टाइप करना होगा 'data on riots in India' और फिर लिखना होगा fitype:pdf. अब गौर से देखिए यहां आपको सिर्फ वही रिजल्ट दिखेंगे जो पीडीएफ फॉर्मेट में हैं.
क्राइम से जुड़े जिस दावे की पड़ताल हम कर रहे हैं उसके लिए हम 10 साल की रिपोर्ट्स देखनी होंगे. ये चेक करने के बाद हमें पता चला कि साम्प्रदायिक दंगों को लेकर किया गया दावा सच नहीं था. NCRB के मुताबिक, 2014 से 2020 के बीच देश में 5000 से ज्यादा साम्प्रदायिक दंगे हुए.
अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ा डेटा चाहिए, तो हर साल जारी होने वाले नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की रिपोर्ट देख सकते हैं. इकोनॉमी और डेमोग्राफिक से जुड़े आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध रहते हैं..
इसी तरह आप बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े CMIE की वेबसाइट पर देख सकते हैं, जो कि एक इंडिपेंडेंट थिंक टैंक है. भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंडर में काम करने वाले नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस (NSSO) के पीरियॉडिक लेबरफोर्स सर्वे में आप बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े देख सकते हैं,
( ये हमारी सीरीज 'वेरिफाई किया क्या?' का आठवां और आखिरी ऐपिसोड है. द क्विंट ने ये खास सीरीज शुरू की, ताकी फैक्ट चेकिंग आसान बन सके. अगर आप भी किसी चीज को वेरिफाई नहीं कर पा रहे हैं या फिर फैक्ट चेकिंग के बारे में और ज्यादा जानना चाहते हैं, तो इस सीरीज की हमारे पिछले ऐपिसोड देख सकते हैं . सोशल मीडिया पर वायरल किसी भी दावे का सच जानने के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी WebQooF@TheQuint.com पर हमें भेजिए.)
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