ADVERTISEMENT

Fact Check: देश में '10 सालों में नहीं हुआ बड़ा दंगा', सद्गुरू का दावा सच नहीं

सद्गुरु के मुताबिक टीवी बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है सांप्रदायिक घटनाओं को, जबकि NCRB और मीडिया रिपोर्ट्स कुछ और कहती हैं

Published
Fact Check: देश में '10 सालों में नहीं हुआ बड़ा दंगा', सद्गुरू का दावा सच नहीं
i

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

सद्गुरू जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने एक बार फिर उस दावे को दोहराया जो सत्ता पक्ष के कई नेताओं की तरफ से किया जाता रहा है. उन्होंने ANI को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि देश में पिछले 10 सालों में कोई दंगा नहीं हुआ.

वीडियो में सद्गुरू से जब देश में धार्मिक सहिष्णुता से जुड़ा सवाल पूछा गया तो जवाब में सद्गुरु ने कहा ''मुझे लगता है कि चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है. मैं जानता हूं कि कुछ समस्याएं हैं, जिन पर बात होनी चाहिए''.

ADVERTISEMENT
''भारत में पिछले 10 सालों में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ है. धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का काम सिर्फ टीवी कर रहा है.''
ANI को दिए इंटरव्यू में सद्गुरू

हालांकि, सद्गुरू का ये दावा तथ्यों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता. सरकारी आंकड़ों और मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो ये सच नहीं है. ज्यादा पीछे जाने की जरूरत नहीं है. हाल में हनुमान जयंती और रामनवमी के दौरान देश में कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. 2020 में दिल्ली दंगा, 2013 में यूपी के मुजफ्फरनगर के दंगे से जुड़े आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि देश में कई बड़ी सांप्रदायिक घटनाएं हुई हैं.

सदगुरू के दावे का सच हम इन दो पाइंट्स के आधार पर बताएंगे.

  • डेटा क्या कहता है?

  • हाल मे हुई दंगों से जुड़ी घटनाएं

ADVERTISEMENT

क्या कहता है डेटा?

हमने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के पिछले 10 सालों के आंकड़े खंगाले, जिससे पता चल सके कि देश में एक दशक में कितनी साम्प्रदायिक घटनाएं हुईं. हालांकि, 2012 और 2013 के लिए हमें NCRB की वेबसाइट पर साम्प्रदायिक हिंसा का अलग से कोई डेटा नहीं मिला. लेकिन, हमें लोकसभा में साल 2015 में गृह मंत्रालय से पूछे गए सवाल का जवाब मिला. इसके मुताबिक, 2012 में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी 668 और 2013 में 823 घटनाएं दर्ज की गईं थीं.

इसके अलावा, NCRB की रिपोर्ट में 2014 में सांप्रदायिकता से जुड़े 1227 मामले दर्ज किए गए थे. जो 2013 के मुकाबले लगभग 50 प्रतिशत ज्यादा थे. इसके अलावा, 2015 और 2016 में क्रमश: 789 और 869 मामले दर्ज किए गए थे. साल 2017 में 723 और 2018 में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े 512 मामले दर्ज किए गए थे.

2019 में सांप्रदायिकता से जुड़े मामले जहां 440 थे वहीं ये 2020 में लगभग 100 प्रतिशत बढ़कर 857 हो गए थे.
ADVERTISEMENT

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि 2021 और 2022 में साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े मामलों की रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं की गई है. नीचे दिए गए चार्ट के जरिए, 2012 से लेकर 2020 तक देश में हुई सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़े आंकड़े समझे जा सकते हैं.

ये तो हुई आंकड़ों से जुड़ी बात. अब डालते हैं एक नजर हाल के सालों (2020-2022) में हुई सांप्रदायिक हिंसा और दंगों से जुड़ी उन घटनाओं पर जिनसे जुड़ी रिपोर्ट्स मीडिया में उपलब्ध हैं.

ADVERTISEMENT

हाल के सालों में हुई दंगों/सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी घटनाएं

सद्गुरू का ये कहना है कि देश में पिछले 10 सालों में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ है. इस दावे को सच इसलिए भी नहीं माना जा सकता क्योंकि पिछले 3 सालों में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी कई बड़ी घटनाओं को मेन स्ट्रीम मीडिया ने रिपोर्ट किया है.

2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में 23 फरवरी की रात से हिंसा शुरू हो गई. ये हिंसा सीएए विरोधी और सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई थी. इसमें 53 लोगों की जान गई थी और 200 लोग घायल हुए थे.

प्रतीकात्मक तस्वीर

(फोटो :पीटीआई)

ADVERTISEMENT

साल 2021 में त्रिपुरा और महाराष्ट्र में हिंसा की घटनाएं

त्रिपुरा में विश्व हिंदू परिषद ने बांग्लादेश में हुई हिंदू मंदिरों और दुर्गा मंडपों में तोड़फोड़ और हिंसा के विरोध में अक्टूबर 2021 में एक रैली निकाली थी. इस दौरान भड़की हिंसा में कई घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी. इसके अलावा मस्जिदों में पथराव और दरवाजा तोड़ने से जुड़ी रिपोर्ट्स भी सामने आई थीं.

VHP की रैली निकालने के बाद शुरू हुई थी हिंसा

(फोटो: क्विंट हिंदी)

इसके बाद ही, त्रिपुरा हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र के अमरावती में 12 नवंबर को एक रैली निकाली गई, जिस दौरान पत्थरबाजी शुरू हो गई और हिंसा शुरू हो गई.

अमरावती हिंसा के बाद एक दुकान में आग बुझाता पुलिसकर्मी

(फोटो: PTI)

ADVERTISEMENT

करौली, जहांगीरपुरी और खरगोन हिंसा

राजस्थान के करौली में 2 अप्रैल, 2022 को नव संवत्सर (हिंदू केलैंडर के अनुसार नव वर्ष) पर एक बाइक रैली आयोजित की गई जिस पर कथित तौर पर पथराव हो गया. इसके बाद गुस्साई भीड़ ने आगजनी कर दी. इस हिंसा में उग्र भीड़ ने आधा दर्जन से ज्यादा दुकानें जला दी थीं और करीब 15 लोगों को चोटें आईं थी.

इसके कुछ दिनों बाद ही, 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान मध्य प्रदेश के खरगोन में भी सांप्रदायिक हिंसा हुई. इस दौरान यहां 26 घरों में आगजनी और लूट से जुड़ी रिपोर्ट्स हैं.

दिल्ली के जहांगीरपुरी में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी. दो गुटों में बहस के बाद बात बढ़ गई, जिसने हिंसा का रूप ले लिया. हिंसा में 1 नागरिक और 8 पुलिसकर्मी घायल हुए थे.

ADVERTISEMENT
3 जून 2022 को कानपुर में BJP नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के विरोध में मुस्लिम संगठनों ने बंद का आह्वान किया गया था. जिसके बाद पथराव हुआ.

मतलब साफ है, सद्गुरु का ये दावा सच नहीं है कि देश में पिछले एक दशक में कोई बड़ी साम्प्रदायिक घटना नहीं हुई.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

ADVERTISEMENT
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
0
3 माह
12 माह
12 माह
मेंबर बनने के फायदे
अधिक पढ़ें
ADVERTISEMENT
क्विंट हिंदी के साथ रहें अपडेट

सब्स्क्राइब कीजिए हमारा डेली न्यूजलेटर और पाइए खबरें आपके इनबॉक्स में

120,000 से अधिक ग्राहक जुड़ें!
ADVERTISEMENT
और खबरें
×
×