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NIA की स्पेशल कोर्ट ने सोशल एक्टिविस्ट सोनी सोरी (Soni Sori) को 11 साल बाद राजद्रोह मामले में बरी कर दिया है. सोनी सोरी पर माओवादियों से कनेक्शन और उन्हें फंड मुहैया कराने का आरोप था. 11 साल बाद बरी होने पर सोनी सोरी ने एक सवाल उठाया है. उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र और राज्य की सरकारें उन्हें उनका 11 साल लौटा सकती हैं.
साल 2010 में स्वतंत्रता दिवस के विरोध में 14 अगस्त को नक्सलियों ने 6 ट्रकों को आग लगा दी थी. पुलिस ने इस मामले में सोनी सोरी को भी आरोपियों बनाया था. पुलिस ने सोनी सोरी पर राजद्रोह, दंगा भड़काने, एक्सटॉर्शन संबंधी कई धाराओं में केस दर्ज किए थे.
साल 2011 में सोनी सोरी को पैसे के लेन देने मामले में दिल्ली ने गिरफ्तार किया था और छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप दिया गया. इस दौरान सोनी सोरी ने आरोप लगाया कि कस्टडी में उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. सोनी सोरी ने जेल से ही एक चिट्ठी लिखी थी.
इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि हम देशवासियों से जानना चाहते हैं कि हम औरतों के साथ ऐसा अत्याचार क्यों हो रहा है. सोनी सोरी ने तत्कालीन एसपी अंकित गर्ग पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि एसपी गर्ग अपनी कुर्सी पर बैठकर उनके नग्न शरीर को देख कर भद्दी टिप्पणी करते हैं. हालांकि, गर्ग ने इन सारे आरोपों को खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सोनी सोरी ने राजनीति में एंट्री मारी. साल 2014 में वो आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं. साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आप ने उन्हें बस्तर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. लेकिन, वो हार गईं. इसके बाद साल 2019 में उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़ दिया.
महिलाओं और आदिवासियों की लड़ाई लड़ने वाली महिला वकील और एक्टिविस्ट शालिनी गेरा, ईशा खंडलेवाल और पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम पर अदिवासियों से जुड़े होने के आरोप लगे. पुलिस ने उनके मकान मालिकों से पूछताछ शुरू कर दी, इसके बाद इन्हें घर से निकाल दिया गया. इसी को लेकर 20 फरवरी साल 2016 को एक प्रसे कॉन्फ्रेंस हुई थी. इस कॉन्फ्रेंस में सोनी सोरी भी शामिल थीं. कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद वो बाइक से लौट रही थीं. इसी वक्त बाइक सवार तीन लोग आए और उनके मुंह पर जली हुई ग्रीस फेंक दी. इस हमले में सोनी सोरी का चेहरा बुरी तरह से जल गया था.
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