Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019रूस की GDP ग्रोथ विकसित देशों में सबसे अधिक होगी, 2 साल से जंग लड़ रहे पुतिन ने ऐसा क्या किया?

रूस की GDP ग्रोथ विकसित देशों में सबसे अधिक होगी, 2 साल से जंग लड़ रहे पुतिन ने ऐसा क्या किया?

IMF का कहना है कि रूस की अर्थव्यवस्था इस साल अमेरिका सहित दुनिया की सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ेगी

आश्रुति पटेल
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>तमाम प्रतिबंधों के बावजूद रुस दुनिया की सबसे तेजी से&nbsp;बढ़ती इकॉनमी कैसे बना&nbsp;</p></div>
i

तमाम प्रतिबंधों के बावजूद रुस दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकॉनमी कैसे बना 

Photo: क्विंट हिन्दी 

advertisement

Russia: इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने घोषणा की है कि इस साल रूस की अर्थव्यवस्था दुनिया की तमाम विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा तेजी से आगे बढ़ेगी. अमेरिका से भी आगे. IMF का कहना है कि इस साल रूस जीडीपी ग्रोथ 3.2% रहने का अनुमान है. यह अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन आदि विकसित देशों में सबसे ज्यादा है.

आइये जानते हैं कि वे कौन सी वजहें हैं जिनकी वजह से रूस पिछले 2 साल से यूक्रेन के साथ युद्ध में रह कर भी अपनी अर्थव्यवस्था में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है.

आईएमएफ (IMF) 190 सदस्य देशों वाला एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है. यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने का काम करता है. इसके साथ ही वह लोन भी देता है.

IMF का मानना है कि रूस की बढ़ती अर्थव्यवस्था का कारण तेल निर्यात और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी है.

ईरान-इजरायल तनाव का असर 

ईरान दुनिया में सबसे ज्यादा तेल एक्सपोर्ट करने वाले देशों में एक है. इसके लिए वो होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते का इस्तेमाल करता है. ईरान के इजरायल के साथ चल रहे तनाव के कारण सबसे ज्यादा ये रास्ता प्रभावित हुआ है. हाल ही में ईरान ने इजरायल से जुड़े एक जहाज को इसी रास्ते पर अपने नियंत्रण में ले लिया था. जाहिर है अब ईरान के लिये भी इस रास्ते से एक्सपोर्ट आसान नहीं होने वाला है.

होर्मुज का इलाका ना केवल ईरान बल्कि ओपेक में शामिल कई देशों, जैसे सऊदी अरब, कुवैत और UAE के लिए तेल सप्लाई करने का इकलौता रास्ता है. ऐसे में अगर इस रास्ते में किसी तरह की गड़बड़ी होती है तो ग्लोबल ऑइल मार्केट के लिये बड़ा झटका साबित हो सकता है. ऐसे में रूस, जो सऊदी अरब के बाद दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है उसे ठीक-ठाक फायदा मिल सकता है.

अमेरिका ने 2022 में यूक्रेन पर किए हमले के बाद रूस पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थी. अमेरिका ने रूस से तेल आयात पूरी तरह बंद कर दिया था. दूसरी तरफ 2018 में ईरान पर लगाई गई पाबंदियों को कम कर दिया था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. इजरायल हमास युद्ध में अमेरिका इजरायल के साथ डटकर खड़ा है और ईरान पर शुरू से आरोप है कि उसने हमास की मदद की है. हाल में ईरान ने इजरायल पर हमला कर दिया है जिसके बाद अमेरिका एक बार फिर ईरान पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

रूस की राजकोषीय नीतियां 

VoA की एक रिपोर्ट में इकोनॉनिस्ट हॉवर्ड जे शैट्ज कहते हैं कि रूस की बढ़ती अर्थव्यवस्था का राज उसके द्वारा बड़े पैमाने पर दिया जाने वाला राजकोषीय प्रोत्साहन है.

रूस हाइड्रोकार्बन का एक बड़ा उत्पादक है. तमाम तरह की पाबंदियों के बाद भी हाइड्रोकार्बन पर कुछ खास तरह की पाबंदी नहीं लगाई गई है और यह लगातार रूस का राजकोष भर रहा है. युद्ध की वजह से रूस अपनी आर्मी और हथियार निर्माण में बहुत अधिक खर्च कर रहा है. इस वजह से भी रूस की अर्थव्यवस्था फिलहाल स्थिर है.

वहीं रॉयटर्स में छपी एक रिपोर्ट में इकोनॉमिस्ट सर्गेई खेस्टनोव कहते हैं कि किसी कंपनी के मिसाइल या गोली बनाने से बेशक इकोनॉमी ग्रो करती है और GDP बढ़ती है लेकिन नागरिकों को इसका कोई खास फायदा नहीं मिलता है. इसके साथ ही IMF के डायरेक्टर अल्फ्रेड कैमर ने पिछले साल कहा था कि सेना पर राजकोषीय खर्च को बढ़ाना थोड़े समय के लिए तो आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है लेकिन लंबी अवधि के लिए यह कारगर नहीं है.

एशियाई देश बने रूस के कच्चे तेल के खरीददार 

रूस के यूक्रेन पर किए हमले के बाद से अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया. रूस के तेल निर्यात पर तमाम तरह की रोक लगने के बाद भारत चीन और जर्मनी समेत कई देश ऐसे हैं जिन्होंने रिकॉर्ड स्तर पर रूस से तेल खरीदा है. DW की रिपोर्ट के अनुसार युद्ध शुरू होने के 2 महीने बाद तक जर्मनी ने सबसे ज्यादा तेल रूस से खरीदा. वहीं भारत की बात करें तो वो रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बनकर उभरा है. भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर रूस से कच्चा तेल आयातित करके उसे रिफाइन किया और यूरोपीय देशों को बेचा है.

रूस से तेल खरीदने की सबसे बड़ी वजह है कि रूस इंटरनेशन ऑयल मार्केट से सस्ते दामों में तेल उपलब्ध करा रहा है. BBC की एक रिपोर्ट बताती है कि 2022 में एक वक्त पर रूस ने एक बैरल की कीमत ब्रेंट क्रूड KI की कीमत से 30 डॉलर से भी ज्यादा कम कर दी थी.

नेचुरल गैस के लिए रूस पर निर्भरता 

USA दुनिया का सबसे बड़ा नेचुरल गैस उत्पादक देश है. इस मामले में रूस दूसरे नंबर पर आता है. पश्चिमी देशों की नेचुरल गैस के लिए रूस पर निर्भरता की वजह से ही 2022 में जब UN ने रूस पर तमाम प्रतिबंध लगाये तब भी उसने नेचुरल गैस एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया.

रूस लिक्विड नेचुरल गैस का एक बड़ा उत्पादक है. रूस सबसे ज्यादा नेचुरल गैस चीन को सप्लाई करता है. रूस को पीछे छोड़ अमेरिका LNG सप्लाई के मामले में सबसे आगे निकल गया है. लेकिन अभी भी रूस को अपने नेचुरल गैस रिसोर्स का बड़ा फायदा होता है.

चीन और रूस के बीच पॉवर ऑफ साइबेरिया गैस पाइपलाइन-2 का निर्माण शुरू होने वाला है. जिसके बाद से चीन और रूस के बीच गैस का की सप्लाई कई गुना बढ़ सकती है.

हूती अटैक की वजह से बाधित गैस सप्लाई 

हूती विद्रोही लगातार लाल सागर में जहाजों को अपना निशाना बना रहे हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल 2023 में ही लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की करीब 4-8% ग्लोबल सप्लाई स्वेज नहर (जो लाल सागर में है) से हुई है. रेड सी ईस्ट-वेस्ट ट्रेड का सबसे अहम रास्ता है.

एक तरफ लाल सागर में चल रही इस टेंशन से रूस को नुकसान है और दूसरी तरफ फायदा भी हो सकता है. यह वही रूट है जिससे रूस भारत समेत एशियाई देशों को कच्चा तेल निर्यातित करता है. दूसरी तरफ यह वो रास्ता भी है जिससे अमेरिका समेत तमाम यूरोपीय देश मिडल ईस्ट से कच्चा तेल आयातित करते हैं. ऐसे में अगर ये रास्ता बाधित होता है तो यूरोप को तेल के लिये फिर से रूस पर निर्भर होना पड़ेगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT