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श्रीनगर ग्राउंड रिपोर्ट 16: ‘हमें अब और बच्चों को नहीं खोना’

आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद घाटी में लोगों का जीवन आसान नहीं रह गया है

शादाब मोइज़ी
वीडियो
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घाटी के हालात पर क्या कहती हैं वहां कि महिलाएं
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घाटी के हालात पर क्या कहती हैं वहां कि महिलाएं
फोटो: क्विंट हिंदी

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

वीडियो प्रोड्यूसर: हेरा खान

आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद घाटी में लोगों का जीवन आसान नहीं रह गया है. घाटी की महिलाएं हालात से दुःखी और निराश हैं. श्रीनगर से क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट की इस कड़ी में देखिए किन हालातों से गुजर रहे हैं यहां के लोग और इस पर यहां की महिलाओं का क्या कहना है.

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एक महिला बताती हैं कि “इस तरह से बंद कर देना और फैसला (आर्टिकल 370 हटाना) ले लेना, दिखाता है कि ये डर रहे हैं यानी कुछ गलत है. उन्होंने गलत किया है.”

दूसरी महिला कहती है कि “लोग और सरकार कहती है कि भारत में लोकतंत्र है लेकिन मुझे नहीं लगता. ये सब चीजें लोगों के लिए ही है. जब लोग ही इसमें शामिल नहीं हैं तो बचा क्या?”

लोगों की राय लेनी चाहिए थी कि 370 हटाया जाए या नहीं. लेकिन लोगों की तो इसमें हिस्सेदारी ही नहीं थी.  
<b> निवासी, श्रीनगर</b>

कश्मीरी लड़कों की पत्थरबाजी पर एक महिला ने कहा “सरकार कह रही है कि पत्थरबाजी नहीं हो रही. वो इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि हम अपने बच्चों को खोना नहीं चाहते हैं.”

यही चलता रहा तो लोग क्या करेंगे? जाहिर है वो सड़कों पर उतरेंगे. कुछ न कुछ तो प्रतिक्रिया देंगे. अगर आप 10 साल पीछे देखें, तब सब ठीक था. लेकिन जब ये शुरु हुआ, पहले तो लड़के बाहर आए, लेकिन लड़कियां भी आ रही हैं क्योंकि उनकी जिंदगी पर भी असर पड़ रहा है. &nbsp;
<b>निवासी, श्रीनगर</b>

नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी समेत तमाम राजनीतिक दलों की निंदा करते हुए, इन कश्मीरी महिलाओं का कहना है कि सबने सालों तक सत्ता का सुख भोगा लेकिन राज्य के लिए कुछ नहीं किया. वो कहती हैं “सब एक जैसे हैं. उन्होंने हमारे लिए कभी कुछ अच्छा नहीं किया. अभी वो प्रतिक्रिया दे रहे हैं क्यों? पहले भी कश्मीर अशांत हुआ है, तब वो क्यों नहीं बोल रहे थे. क्योंकि वो सत्ता में थे. अभी इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया. उनके हाथ में कुछ नहीं रहा क्योंकि उनके हाथ से सब छूट रहा है. वो सत्ता में रहे न रहें, हमें कभी फर्क नहीं पड़ा”

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