advertisement
1990 के दशक के बाद के सालों में मैं ड्राइव करके लता मंगेशकर(Lata Mangeshkar) की लाइव परफॉर्मेंस देखने के लिए लॉन्ग आइलैंड गया था. ये कंसर्ट न्यूयॉर्क के यूनियनडेल में Nassau Coliseum में रखा गया था. ये वेन्यू वहां की स्थानीय आइस हॉकी और बास्केटबॉल टीमों के लिए घर की तरह हुआ करता था, लेकिन ऑफ सीजन में यहां Andrea Bocelli और भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर के म्यूजिक कंसर्ट हुआ करते थे.
वेन्यू तक जाने के रास्ते में मुझे भारी ट्रैफिक जाम मिला जिसकी वजह से मैं थोड़ा लेट भी हो गया था. तब तक शो शुरू हो चुका था, लेकिन जब मैंने लाइव परफॉर्मेंस देखी तो मिड लेवल सीट से मेरा पहला रिएक्शन यही था कि लता मंगेशकर सफेद साड़ी में कितनी सहज और सुंदर लग रही हैं. वो विशाल स्पोर्ट्स एरेना के बीच में खड़ी थीं, चारों तरह अंधेरा था और बस एक स्पॉटलाइट उनकी तरफ पड़ रही थी.
इस शो में कोई डांसर या कलरफुल कॉस्ट्यूम वाले कलाकार नहीं थे, न ही इसमें किसी बॉलीवुड कॉमेडियन को रखा गया था जिससे परफॉर्मेंस के बीच के समय में ऑडियंस को बांधकर रखा जा सके.
ऑडियंस जिनमें ज्यादातर ग्रेटर न्यूयॉर्क क्षेत्र के दक्षिण एशियाई लोग थे, उन्होंने इस कंसर्ट के हर पल का भरपूर मजा उठाया. हालांकि एक छोटे से ब्रेक के दौरान जब लता जी स्टेज छोड़कर गईं और उनके भतीजे (grand-nephew) ने स्टेज संभाला, तो ऑडियंस थोड़ी अधीर हो गई. लोग चिल्लाने भी लगे. तब लता मंगेशकर वापस स्टेज पर आईं और उन्होंने ऑडियंस को विनम्रता से झिड़कते हुए कहा कि आपको इस युवा को एक मौका देना चाहिए.
वो विनम्र और शांत थीं, लेकिन उनकी नाराजगी भी साफ नजर आ रही थी. उन्होंने कहा, 'अगर आपको गाना पसंद नहीं तो ठीक है, वो उम्र में छोटा है, कोशिश कर रहा है, उसे हतोत्साहित मत कीजिए.'
इसके बाद एकदम निस्तब्धता और चुप्पी सी छा गई और ऑडियंस में बैठे करीब 10000 दक्षिण एशियाई लोगों के अंदर एक गिल्ट की भावना आ गई कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?
लाइव परफॉर्म करना लता मंगेशकर को बहुत पसंद था. खास करके यूरोप, नॉर्थ अमेरिका, कैरिबियन और ऑस्ट्रेलिया में, जहां साउथ एशियाई प्रवासियों की अच्छी-खासी संख्या है.
साल 2017 में आई एक किताब 'ऑन स्टेज विद लता' में स्वर कोकिला ने खुद ये कहा है कि लाइव ऑडियंस के लिए परफॉर्म करना बिल्कुल एक अलग तरह का अनुभव है. इस किताब को मोहन देवड़ा और रचना शाह ने लिखा है.
उन्होंने आगे कहा है, 'लाइव परफॉर्मेंस की सबसे खास बात ये है कि सबकुछ आपके सामने हो रहा है. ये जीवंत है. सालों तक मैंने एक छोटे से रिकॉर्डिंग बूथ में गाने रिकॉर्ड किए हैं, जिसमें बस एक कम्पोजर, एक गीतकार एक फिल्म डायरेक्टर होता था. ये सभी लोग मुझे ये बताने के लिए होते थे कि उन्हें मेरा गाना पसंद आया या नहीं या मैंने कैसा गाया.
इसके विपरीत कंसर्ट में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के लोग होते हैं, जो दशकों से अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में बसे हुए हैं. ये हजारों की संख्या में शो में आते हैं और तालियां बजाकर हम सिंगर्स का उत्साह बढ़ाते हैं. ईमानदारी से कहूं तो लोगों से जिस तरह की प्रतिक्रिया मिलती है, उसकी उम्मीद मैंने नहीं की थी.'
यहां ऑडियंस में भारतीय राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ वीके कृष्ण मेनन और मशहूर एक्टर दिलीप कुमार थे, जिन्होंने अपने खास अंदाज और आवाज में गायिका का परिचय दिया. उन्होंने कहा, जिस तरह फूलों की खुशबू या महक का कोई रंग नहीं होता, जिस तरह पानी के बहते हुए झरने या हवाओं का कोई घर, गांव, वतन, देश नहीं होता, जिस तरह से उभरते हुए सूरज की किरणों का या किसी मासूम बच्चे की मुस्कुराहट का कोई मजहब नहीं होता, वैसे ही लता मंगेशकर की आवाज कुदरत की तख़लीक़ का एक करिश्मा है.
इस परफॉर्मेंस के बाद सालों तक लता मंगेशकर ने दुनिया भर के कई बड़े वेन्यूज पर लाइव परफॉर्म किया. इसमें सिडनी के ओपेरा हाउस से लेकर न्यूयॉर्क सिटी का मैडिसन स्क्वायर गार्डन तक शामिल रहा, जहां साल 1985 में किशोर कुमार के साथ उनके कंसर्ट के सारे टिकट बिक गए थे. इसके बाद रॉयल अल्बर्ट हॉल में उनका एक और कंसर्ट हुआ जिसमें सुनील दत्त भी थे. साल 1980 में अमिताभ बच्चन और जया बच्चन जैसे कलाकार भी मैडिसन स्क्वायर गार्डन के फेल्ट फोरम में गेस्ट के तौर उनके शो में मौजूद थे.
साल 1983 में वैनकूवर के पीएनई एग्रोडोम में लता मंगेशकर के शो में अमिताभ बच्चन और रेखा थे. यहां तक कि कंसर्ट के पोस्टर में भी उनकी तस्वीरें थीं. हालांकि इसका मतलब ये नहीं था कि वैनकूवर की देसी आबादी को लता मंगेशकर की लाइव परफॉर्मेंस तक खींचने के लिए दूसरे कलाकारों की जरूरत थी.
लता मंगेशकर, मुकेश के साथ लाइव परफॉर्म करना हमेशा एंजॉय करती थीं. मुकेश को वो अपने भाई की तरह मानती थीं और वो मुकेश ही थे जिन्होंने लास वेगास में पहली बार गायिका का परिचय गैम्बलिंग से कराया था. स्लॉट मशीनों में खेलते हुए लता मंगेशकर को ये शहर खूब पसंद आया था. वो एक कसीनो से दूसरे कसीनो, शॉपिंग मॉल्स जैसी कई जगहों पर गईं.
हालांकि दुखद ये रहा कि ऐसे ही एक टूर के दौरान साल 1976, डेट्रॉयट में मुकेश को दिल का दौरा पड़ा और अचानक वो इस दुनिया को छोड़कर चले गए.
उस वक्त जब इंटरनेट और सोशल मीडिया नहीं था, मुझे याद है कि आशा भोसले दूरदर्शन पर आई थीं. वह बहुत उदास लग रही थीं और उन्होंने हिंदी में कहा कि उन्हें अभी-अभी दीदी यानी लता मंगेशकर की कॉल आई और उन्होंने ये खबर दी कि मुकेश भैया अब इस दुनिया में नहीं हैं.
मुझे ये भी याद है कि तब दूरदर्शन ने मशहूर गायक मुकेश के अंतिम संस्कार को कवर किया और तब उस दौरान बंदिनी फिल्म का गाना ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना... चल रहा था. गायक मुकेश की मौत से लता मंगेशकर को गहरा दुख पहुंचा था. कुछ सालों तक उन्होंने विदेश में कंसर्ट के लिए जाना भी छोड़ दिया था.
लता मंगेशकर का अमेरिकी मीडिया से मिलाजुला रिश्ता रहा. साल 1959 में टाइम मैगजीन ने उन्हें भारत के प्लेबैक सिंगर्स की 'निर्विवाद क्ववीन' कहा था ( "undisputed and indispensable queen of India’s playback singers.")
हालांकि साल 2016 में उनका नाम विवादों में घसीटा गया जब स्टैंड-अप कॉमेडियन तन्मय भट्ट ने एक स्नैपचैट वीडियो में उनकी खराब नकल की थी. न्यूयॉर्क टाइम्स ने भट्ट के वीडियो पर प्रतिक्रियाओं को लेकर एक खबर छापी थी, लेकिन इसमें अखबार ने लता मंगेशकर को "so-called playback singer." लिख दिया था.
अखबार को लता मंगेशकर के प्रशंसकों की तीखी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी जिसके बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने माफी भी मांगी. अखबार ने लिखा कि लेख की वो लाइन बस पाठकों को ये समझाने के लिए थी कि प्लेबैक सिंगर क्या होता है, क्योंकि अमेरिकन इंग्लिश में प्लेबैक सिंगर टर्म इस्तेमाल नहीं किया जाता.
अपनी छोटी बहन आशा भोसले की तरह लता मंगेशकर पश्चिम में बदलाव की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं रहीं, इसकी एक वजह ये है कि आशा भोसले ने पश्चिमी संगीतकारों के साथ Kronos Quartet जैसे प्रयोग किए. उन्होंने बॉय जॉर्ज (Boy George) के साथ उनके सिंगल Bow Down Mister और पॉप ग्रुप कॉर्नरशॉप के साथ गाना गाया. इसमें आशा भोसले का एक हिट सॉन्ग Brimful of Asha भी शामिल है
आशा भोसले ने कई बार प्रमुख वेन्यूज जैसे न्यूयॉर्क सिटी के Carnegie Hall में परफॉर्म भी किया. यहां उन्होंने बड़ी संख्या में गैर दक्षिण एशियाई ऑडियंस को भी अपने कंसर्ट की तरफ खींचा.
साल 2008 में अपने एक लेख में न्यूयॉर्क टाइम्स ने आशा भोसले के बारे में लिखा था कि उनके कुछ प्रतिद्वंद्वियों में उनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर हैं, जो खुद एक बहुत बड़ी और सफल प्लेबैक सिंगर हैं.
नॉर्थ अमेरिका में बसी दक्षिण एशियाई आबादी खास तौर से बुजुर्ग अप्रवासी लोगों के लिए लता मंगेशकर उनके दिल के बेहद करीब हैं.
साल 1981 में मैं एक यंग स्टूडेंट के तौर पर अमेरिका आ गया था. ये पहली बार था जब मैं अपने घर से दूर था. मैं अपने देश भारत, मेरे परिवार और दोस्तों को बहुत मिस करता था. तब भारतीय फिल्में और म्यूजिक मेरे अव्यवस्थित मन के लिए कम्फर्ट फूड की तरह थीं. साल 1981 में कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट के तौर पर मैं कई बार भारतीय स्टूडेंट्स के साथ बैठता. तब किसी के पास पोर्टेबल कैसेट प्लेयर होता, तो कोई नया कैसेट लेकर आता, इस तरह हम हिंदी फिल्मों के गाने सुनते थे.
एक साल बाद मैंने अपने एक करीबी दोस्त जो एक भारतीय फिल्म जर्नलिस्ट थे, Arthur Pais को फोन किया.
मैं यहां बताना चाहूंगा कि मेरी कुछ सबसे प्यारी यादों में वो समय है, जब मैं आर्थर के साथ न्यूयॉर्क सिटी के अपने स्टूडेंट अपार्टमेंट में बैठा हूं, बियर पी रहा हूं और लता मंगेशकर के पुराने गाने सुन रहा हूं. साल 2013 में आर्थर इस दुनिया को छोड़कर चले गए.
मेरा भारत लता मंगेशकर की आवाज में था. चाहे मैं दुनिया में कहीं भी रहूं, उनके गाने हमेशा मुझे भारत के नजदीक रखते थे.
(एक्टर और प्रोड्यूसर असीम छाबड़ा सीता सिंग्स द ब्लूज (2008), इफ्तार (2015) और पल्स: द देसी बीट (2007) के लिए जाने जाते हैं. NYIFF के ऑर्गनाइजर्स में भी उनका नाम शामिल है. @chhabs उनका ट्विटर हैंडल है. ये एक पर्सनल ब्लॉग है और इसमें व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined